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यहां की मिट्टी में रची-बसी है हरियाणवी संस्कृति

कहीं भी हरियाणा का जिक्र हो जेहन में सबसे पहले आता है यहां की खड़ी बोली हर बात में हास्य व्यंग्य और हाजिर जवाबी अलग वेशभूषा विशेष खान-पान सांग-रागनी चौपाल और पारंपरिक खेल।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 07:53 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 07:53 PM (IST)
यहां की मिट्टी में रची-बसी है हरियाणवी संस्कृति
यहां की मिट्टी में रची-बसी है हरियाणवी संस्कृति

सुधीर तंवर, चंडीगढ़

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कहीं भी हरियाणा का जिक्र हो, जेहन में सबसे पहले आता है यहां की खड़ी बोली, हर बात में हास्य व्यंग्य और हाजिर जवाबी, अलग वेशभूषा, विशेष खान-पान, सांग-रागनी, चौपाल और पारंपरिक खेल। यह सब यहां की मिट्टी में रचा-बसा है जो यहां की संस्कृति को समृद्ध बनाता है। हर तीज-त्योहारों पर मेले इस समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाने में विशेष योगदान देते हैं।

हरियाणवी लोगों की कई खासियत उन्हें बाकियों से अलग बनाती हैं। बोलते हैं तो लगता है कि लठ मार रहे हैं, लेकिन हकीकत में यह उनके प्यार जताने का तरीका भी हो सकता है। आज भी गांवों की चौपाल पर हुक्का गुड़गुड़ाते बुजुर्गों के साथ किस्से-कहानियां सुनने में मशगूल युवाओं और बच्चों की टोलियां यहां खूब दिखती हैं। हरि का यह प्रदेश लोकगीतों में समृद्ध है। मौसमी और धार्मिक त्योहार इस क्षेत्र की संस्कृति की महिमा का बखान करते हैं। यहां के लोगों की पोशाक जीवंत और रंगीन है जो संस्कृति, परंपरा और जीवनशैली को दर्शाती है। पुरुषों की धोती-कुर्ता और पगड़ी तथा महिलाओं की कुर्ती, घाघरा और ओढ़नी उन्हें वैश्विक स्तर पर अलग पहचान दिलाते हैं।

सामाजिक और आर्थिक स्तर पर बड़े पैमाने पर बदलाव के चलते दुनिया बदल गई है, लेकिन यहां के लोगों ने कभी अपनी संस्कृति को पीछे नहीं छोड़ा। न इससे दूर भागते हैं। यही कारण है कि हरियाणवी संस्कृति आज भी हर गांव, खेत-खलिहानों में जिदा है। शादी-ब्याह से लेकर तीज-त्योहारों पर लोकगीत और रागनी यहां अब भी खूब सुने और गाये जाते हैं। यही वजह है कि देश-दुनिया में हरियाणवी संस्कृति का जलवा है। बालीवुड फिल्मों और छोटे पर्दे पर जहां हरियाणवी बोली की धूम है तो विदेश में रह रहे हरियाणवी लोग विभिन्न तरीकों और कार्यक्रमों से समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। बाक्स

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव दिलाता वैश्विक पहचान हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत बहुत पुरानी है। यह वो जगह है जहां महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था और कर्म की महत्ता बताई थी। महाभारत की लड़ाई से लेकर मुगलकाल में लड़े गए कई युद्धों का गवाह हरियाणा की धरती रही है। इन तमाम झंझावतों का सामना करते हुए भी यहां के लोग अपनी गरिमामयी परंपराओं और इस पावन भूमि के गौरव को बनाए हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव हरियाणवी संस्कृति को वैश्विक पटल पर विशेष पहचान दिलाने में कारगर हो रहा है। हरियाणवी संस्कृति को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए विदेश में ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किए जाते रहे हैं। बाक्स

विदेश में बने संस्कृति के ध्वजवाहक हरियाणा से आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड सहित अलग-अलग देशों में जाकर बसे लोग भी हरियाणवी संस्कृति को अपने-अपने तरीके से बढ़ावा देने में लगे हैं। न्यूयार्क में बसे डा. ललित शौकीन और पत्नी पूजा हों या मेलबर्न में रहने वाले विकास श्योरान और उनकी पत्नी रितु श्योरान, इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते हंसी-मजाक वाले इनके वीडियो प्रदेश की संस्कृति, पहनावे और बोली को बढ़ावा देते हैं। विदेश में हरियाणवी युवाओं के कई संगठन बन गए हैं जो लगातार सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों से अपनी संस्कृति को जिदा रखे हुए हैं।


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