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जुकाम-बुखार होने पर संक्रमण न फैलाएं, खुद को कर लें क्वारंटाइन: डा. काजल कुमुद

कोरोना की पहचान और बचाव को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग की वरिष्ठ फिजिशियन डा. काजल कुमुद की दैनिक जागरण के अनिल भारद्वाज के साथ खास बातचीत के मुख्य अंश।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 04:11 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 04:11 PM (IST)
जुकाम-बुखार होने पर संक्रमण न फैलाएं, खुद को कर लें क्वारंटाइन: डा. काजल कुमुद
जुकाम-बुखार होने पर संक्रमण न फैलाएं, खुद को कर लें क्वारंटाइन: डा. काजल कुमुद

कोरोना संक्रमण एक बार फिर फैल रहा है। हमें सजग रहने की जरूरत है क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वहीं सर्दी के मौसम में स्वाइन फ्लू संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है। डाक्टरों का कहना है कि ध्यान और बचाव करने से स्वयं के साथ अन्य को बीमार होने से बचाया जा सकता है। जो लोग बीमार होने पर कोरोना जांच से बच रहे हैं, वह स्वयं को क्वारंटाइन कर लें ताकि दूसरों में संक्रमण न फैले। कोरोना की पहचान और बचाव को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग की वरिष्ठ फिजिशियन डा. काजल कुमुद की दैनिक जागरण के अनिल भारद्वाज के साथ खास बातचीत के मुख्य अंश :

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. कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है क्या किया जाए जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके?

- देखने में आया है कि संक्रमित होने के बाद भी लोग कोरोना जांच नहीं करा रहे हैं। इससे उनके परिवार के लोग और अन्य भी संक्रमित हो रहे हैं। अगर किसी को बुखार, जुकाम, खांसी हुआ है और कोरोना जांच नहीं करा रहा है तो स्वयं को क्वारंटाइन कर ले। इससे परिवार के अन्य सदस्य और दूसरे लोगों में संक्रमण नहीं फैल पाएगा। यह बहुत जरूरी है कि स्वयं बीमार होने पर दूसरों को बीमारी से बचाएं। दवा लेने के साथ वह जल्द स्वस्थ भी हो जाएगा। देखने में आ रहा है कि लोगों को जुकाम, खांसी, बुखार हो रहा है। वे कार्यालय के साथ बाजार में भी आ-जा रहे हैं। इससे दूसरे लोगों में संक्रमण ही फैल रहा है। मेरी लोगों से अपील है कि अगर आपके आसपास बीमार व्यक्ति है तो उसे क्वारंटाइन जरूर कराएं।

. कोरोनारोधी टीका कोरोना संक्रमण से बचाव में कितना कारगर है?

- आप देख रहे हैं आज शहर में 19,266 कोरोना संक्रमित सक्रिय मरीज हैं और इसमें 19,111 मरीज होम आइसोलेशन में इलाज ले रहे हैं। इसका मतलब यह हुआ है कि संक्रमित मरीज गंभीर बीमार नहीं हो रहे हैं। यह कोरोनारोधी टीकाकरण के करण संभव हो पाया है। मेरा यही कहना है कि लोग टीकाकरण जरूर कराएं और टीकाकरण विरोधियों की बातों पर ध्यान न दें। टीका जीवनरक्षक है और किसी तरह का नुकसान नहीं करता है।

. कोरोना की तीसरी लहर का कितना खतरा है?

विगत दस-पंद्रह दिनों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और आगे संख्या अधिक होगी। एक ही राहत है कि लोगों का टीकाकरण हुआ है तो लोग गंभीर बीमार कम हो रहे हैं। इसका बचाव करने के लिए वही नियम हैं जो पहले भी बताए गए हैं। दो गज की शारीरिक दूरी बनाए रखें और मास्क लगाएं। इससे स्वयं का बचाव होगा। अगर बुखार होता है तो डाक्टर को जरूर दिखाएं। सावधान रहने से तीसरी लहर को कमजोर किया जा सकता है। सभी लोग कोरोनारोधी टीका जरूर लगवा लें। इससे बचाव में बहुत लाभ मिलेगा। अगर कोई टीका लगवाने के बाद भी कोरोना ग्रस्त होता है तो उसे कोरोना गंभीर बीमार नहीं कर पाएगा।

. अक्सर स्वाइन फ्लू का खतरा सर्दी के मौसम में होता है। कोरोना के साथ स्वाइन फ्लू का कितना खतरा है?

- बुखार या जुकाम होता है तो लोगों में कोरोना और स्वाइन फ्लू का डर रहता है। ओपीडी में अधिक मरीज आ रहे हैं जिन्हें जुकाम हुआ है और वो स्वाइन फ्लू या कोरोना समझ रहे हैं। बुखार है तो कोरोना समझ रहे हैं। अक्सर माना जाता है कि जुकाम होने के साथ स्वाइन फ्लू हो जाता है। यही कारण लोगों में डर बना हुआ है। डरने की जरूरत नहीं है। समय पर डाक्टर को दिखाएं।

. मरीज को जुकाम होने पर स्वाइन फ्लू और कोरोना में कैसे अंतर करें?

सर्दी-जुकाम के समय पहले गले में खराश पैदा होती है और जलन होती है। नाक बंद हो जाती है या बहने लगती है। रोगी बार-बार छींकने लगता है। हल्का बुखार भी आ जाता है। सामान्य लोगों में आमतौर पर सात दिनों के बाद जुकाम दूर हो जाता है और यह स्वाइन फ्लू नहीं है। इसमें पहचान के लिए गला खराब होना, जुकाम होना, नार्मल कोल्ड होना, आंखों में दर्द और पानी आना, सिर दर्द करना, खांसी होना, मांसपेशियों में दर्द होना, आंखें लाल होना, जी मिचलाना जैसे लक्षण स्वाइन फ्लू की तरफ इशारा करते हैं।

. क्या सावधानी बरती जाए जिससे कोरोना-स्वाइन फ्लू से बचाव किया जा सके?

कोरोना संक्रमण और स्वाइन फ्लू वायरस से संक्रमण व्यक्ति का खांसना और छींकना या ऐसे उपकरणों का स्पर्श करना जो दूसरों के संपर्क में भी आता है, तो वो दूसरे का संक्रमित कर सकता है। जो संक्रमित नहीं है वो भी दरवाजे के हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर या टायलेट के नल के स्पर्श के बाद स्वयं की नाक पर हाथ लगाने भर से संक्रमित हो सकते हैं। इससे बचाव के लिए बार-बार अपने हाथों को साबुन से धोना जरूरी होता है, जो वायरस का खात्मा कर देते हैं। नाक और मुंह पर हमेशा मास्क पहन कर रखना।

. अगर मरीज को कोरोना तथा स्वाइन फ्लू का डर है तो वो क्या करे?

डाक्टर के पास जाएं। डाक्टर स्वयं तय करेगा कि मरीज को कोरोना संक्रमण और स्वाइन फ्लू है या नहीं। कोई भी मरीज स्वयं दवा न खाएं। मरीज में अगर स्वाइन फ्लू लक्षण हैं तो भी मरीज को डाक्टर की सलाह पर ही टैमी फ्लू दवा खानी चाहिए। अगर किसी भी मरीज ने एक बार टैमी फ्लू टेबलेट खा ली और जब स्वाइन फ्लू होगा तो टैमी फ्लू असर नहीं करेगी। टैमी फ्लू टेबलेट तभी खाएं जब स्वाइन फ्लू की रिपोर्ट पाजिटिव हो।

. लोग बिना मास्क के घर से ना निकलें क्या इसके लिए और सख्ती नहीं होनी चाहिए?

डाक्टर 2019 से ही कह रहे हैं कि मास्क लगाएं। अगर कोरोना संक्रमण को खत्म करना है तो मास्क लगना ही होगा। आज शहर में बहुत लापरवाही दिख रही है। बाजार या अन्य सार्वजनिक जगहों पर बिना मास्क लगाए जाने वाले लोगों पर सख्ती की जानी ही चाहिए। मैं यहां कहना चाहूंगी कि किसी बीमारी को खत्म करने के लिए लोगों के सहयोग की जरूरत होती है और उनकी जिम्मेदारी भी है कि वह सावधानी बरतें। परिचय: जन्म स्थान: पटना, बिहार

शिक्षा:

2005 में एमबीबीएस मेडिकल कालेज नेपाल

2011 में एमडी मेडिकल कालेज लखनऊ

विशेषज्ञ: मेडिसन

नियुक्ति: हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस 2011


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