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इन्हें सलाम: कोरोना संक्रमित कैदियों के स्वास्थ्य रक्षक बने दो डाक्टर

कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में डाक्टरों व अन्य स्टाफ में एक से बढ़कर एक काम करने वाले देखने को मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग में दो ऐसे डाक्टर विकास यादव डा. योगेश साहू हैं जो लगातार कैदियों को इलाज दे रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 06:22 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 06:22 PM (IST)
इन्हें सलाम: कोरोना संक्रमित कैदियों के स्वास्थ्य रक्षक बने दो डाक्टर
इन्हें सलाम: कोरोना संक्रमित कैदियों के स्वास्थ्य रक्षक बने दो डाक्टर

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में डाक्टरों व अन्य स्टाफ में एक से बढ़कर एक काम करने वाले देखने को मिले हैं। स्वास्थ्य विभाग में दो ऐसे डाक्टर विकास यादव, डा. योगेश साहू हैं, जो लगातार कैदियों को इलाज दे रहे हैं। पिछले वर्ष पहली कोरोना लहर में सेक्टर नौ महाविद्यालय में कैदियों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया था। तब बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित कैदियों का इलाज किया गया।

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ऐसे ही अब जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो गांव बेगमपुर खटोला में कैदियों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया। कोरोना की दोनों लहर के दौरान बहुत से ऐसे कैदी कोरोना संक्रमित हुए, जो संगीन अपराध के कारण जेल में बंद हैं।

डाक्टरों का कहना है कि शुरू में लगा था कि किन मरीजों का इलाज करने में ड्यूटी लग गई। जब कैदियों के बीच रहकर इलाज देते रहे, तो एक दोस्ताना माहौल बन गया और सब ठीक रहा। कैदियों के वार्ड में ड्यूटी लगने पर अन्य डाक्टर आनाकानी करते हैं वहीं यह दोनों डाक्टर कभी पीछे नहीं हटे।

हमारी ड्यूटी पहली कोरोना लहर में कैदियों के इलाज करने में लगी थी और अब दूसरी लहर में भी कैदियों के इलाज में ड्यूटी लगी है। पहली लहर में कुछ परेशानी आई थी क्योंकि उन्हें समय पर खाना नहीं मिल रहा था और इस कारण कैदी कई बार भड़क जाते थे। यही कारण था कि वह झगड़ा करने तक तैयार हो जाते, लेकिन बाद में कैदी समझ गए थे कि खाना उपलब्ध कराना डाक्टरों की ड्यूटी नहीं है। जिसके बाद कोई परेशानी नहीं हुई। हमारी तरफ से पूरी कोशिश रही कि इलाज बेहतर हो जाए।

डा. विकास यादव कोरोना संक्रमण का डर इतना था कि हर कोई डर रहा था। कई बार कैदी को अधिक बुखार होता तो वह गुस्सा करता कि उन्हें परेशानी बढ़ रही है, लेकिन जब बताया जाता कि उन्हें किसी तरह का खतरा नहीं है तो वह मान जाते। जब ठीक होने के बाद वह जेल में वापस जाते, तो आभार जताकर जाते। हम मरीज समझकर काम करते हैं और उसी तरह उनका ध्यान रखते हैं। हमारी पूरी कोशिश रहती है कि कैदी जल्द ठीक हो जाए।

डा. योगेश साहू


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