आक्सीजन बेड की किल्लत में अमीरों भी भाने लगा सरकारी अस्पताल
महंगी कारों में चलने वाले जो लोग कभी सरकारी अस्पताल में इलाज कराना अपनी शान के खिलाफ समझते थे अब वही लोग सरकारी अस्पताल में स्वजन का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इन दिनों सेक्टर दस जिला अस्पताल में महंगी कारों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
महंगी कारों में चलने वाले जो लोग कभी सरकारी अस्पताल में इलाज कराना अपनी शान के खिलाफ समझते थे, अब वही लोग सरकारी अस्पताल में स्वजन का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इन दिनों सेक्टर दस जिला अस्पताल में महंगी कारों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। जिला नागरिक अस्पताल में मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू जैसी लग्जरी कारों में चलने वाले लोग भी इलाज कराने पहुंच रहे हैं, और उन गरीब मरीजों के साथ वार्ड में भर्ती हो रहे हैं जिसके कारण वह सरकारी अस्पताल में आना पसंद नहीं करते थे। लेकिन कोरोना संक्रमण ने सबको बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया। महामारी के इस दौर में गरीबी-अमीरी को कोई फर्क नहीं बचा है। लोगों को अब बस इलाज चाहिए और कहां मिल रहा है यह नहीं देख रहे हैं। क्योंकि आक्सीजन सुविधा से लैस बेड पैसे खर्च करके नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि लोगों को जहां पर भी यह सुविधा मिल रही है वहां पर भर्ती हो रहे हैं।
इस समय पैसे वाले मरीज लग्जरी सुविधाओं के अस्पताल को नहीं देख रहे हैं। वह यही चाहते हैं कि कैसे भी मरीज को इलाज मिल जाए। आक्सीजन का बेड मिल जाए। इन दिनों जिला अस्पताल में ऐसी महंगी कारों की खड़े करने में जगह भी मिलना मुश्किल हो रही है। यह हाल उस अस्पताल का है जिसमें डाक्टरों की कारों के अलावा शायद ही कोई कार देखने को मिलती थी।
स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों पर विश्वास:
कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों की अहमियत को बढ़ा दिया है। कुछ लोग तो ऐसे हैं जो अपने मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पताल में करा रहे हैं और उनकी रिपोर्ट और डाक्टर द्वारा दिया जा रहे इलाज के संबंध में स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों से सलाह मशविरा करने पहुंच रहे हैं।