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भ्रूण लिग जांच करने वालों पर उप्र व राजस्थान में एफआइआर आसान नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत में बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओं के नारे के साथ अभियान शुरू किया था। तभी हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली थी और भ्रूण लिग जांच कराने व जांच करने वालों के पीछे पड़ गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 07:02 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 07:02 PM (IST)
भ्रूण लिग जांच करने वालों पर उप्र व 
राजस्थान में एफआइआर आसान नहीं
भ्रूण लिग जांच करने वालों पर उप्र व राजस्थान में एफआइआर आसान नहीं

अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत में बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओं के नारे के साथ अभियान शुरू किया था। तभी हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली थी और भ्रूण लिग जांच कराने व जांच करने वालों के पीछे पड़ गए। इसी मेहनत का नतीजा है कि हरियाणा में लिगानुपात बढ़कर हजार लड़कों पर 922 लड़कियां की संख्या दर्ज की गई, जबकि 2015 में लिगानुपात 873 दर्ज किया गया था।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भ्रूण लिग जांच करने वालों को पकड़ने के लिए दूसरे प्रदेशों में छापे मारना पड़ता है। विभाग की सख्ती के कारण गुरुग्राम व हरियाणा के शहरों में भ्रूण लिग जाने करने वालों की दुकान बंद हो गई तो भ्रूण लिग जांच करने वालों ने अपना धंधा चलाने के लिए दूसरे प्रदेशों में अपना अड्डा बना रखा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में मुख्य तौर पर सक्रिय लोग गुरुग्राम व हरियाणा के अन्य शहरों से महिलाओं को लेकर भ्रूण लिग जांच कराते हैं तो स्वास्थ्य विभाग की टीम भी उनके पीछे पीछे पहुंचने लगी।

स्वास्थ्य विभाग के सामने समस्या यह होती है कि भ्रूण लिग जांच करने वालों को पकड़ने के बाद वहां की पुलिस जल्द सहयोग नहीं करती है। बल्कि वहां की पुलिस ही स्वास्थ्य विभाग टीम पर दबाव बनाने की कोशिश करती है कि यहां नहीं आना चाहिए था। यहां तक आरोप लगाते हैं कि हरियाणा स्वास्थ्य विभाग टीम बदनाम कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गए लोगों पर एफआइआर दर्ज कराने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।

22 जनवरी को गुरुग्राम स्वास्थ्य विभाग टीम राजस्थान बहरोड में भ्रूण लिग जांच करने वाले पकड़े गए लेकिन बहरोड पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज 24 जनवरी को की। वह भी उच्च अधिकारियों के दखल देने के बाद एफआइआर दर्ज हुई है। सिविल सर्जन डा. विरेंद्र यादव का कहना है कि परेशानी है लेकिन इसके लिए हम भ्रूण लिग जांच करने वालों को छोड़ नहीं सकते।


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