गुरुग्राम टीम ने बिजनौर में पकड़ा भ्रूण लिग जांच गिरोह
गुरुग्राम स्वाथ्य विभाग टीम ने जाल बिछाकर बुधवार को उत्तर प्रदेश के बिजनौर से भ्रूण लिग जांच करने वालों को पकड़ा है। आरोपित में एक झोलाछाप डाक्टर एक महिला और एक युवक शामिल है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: गुरुग्राम स्वास्थ्य विभाग टीम ने जाल बिछाकर बुधवार को उत्तर प्रदेश के बिजनौर से भ्रूण लिग जांच करने वालों को पकड़ा है। आरोपित में एक झोलाछाप डाक्टर, एक महिला और एक युवक शामिल है। सभी के खिलाफ बिजनौर के चांदपुर थाने में मामला दर्ज कराया गया। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया। मौके से अल्ट्रासाउंड मशीन भी कब्जे में ली गई है। आरोपित हरियाणा के अलग-अलग जिलों से महिलाओं को ले जाकर भ्रूण लिग जांच करते थे।
सिविल सर्जन डा. विरेंद्र यादव को सूचना मिली थी कि बिजनौर के चांदपुर का रहने वाला चंद्रपाल गुरुग्राम से गर्भवती महिलाओं को ले जाकर भ्रूण लिग जांच कराता है। इसके बाद एक महिला के माध्यम से चंद्रपाल से संपर्क किया गया। चंद्रपाल ने महिला से 20 हजार रुपये में जांच कराने की बात तय की और बुधवार को चंद्रपाल ने महिला को जांच के लिए अमरोहा के गजरौला में बुलाया। गजरौला से महिला को लेकर चंद्रपाल बिजनौर पहुंचा। डा. विरेंद्र यादव ने बताया कि इस गिरोह को पकड़ने के लिए उप सिविल सर्जन डा. प्रदीप कुमार के नेतृत्व में डा. हरीश, डा. सुनीता यादव, डा. दीपांशु की टीम बनाई गई और टीम भी महिला के साथ-साथ चलती रही।
डा. प्रदीप ने बताया कि चंद्रपाल महिला को लेकर बिजनौर स्थित एक क्लीनिक पर पहुंचा। यहां एक क्लीनिक था जिसे डा. ज्योति गोला चलाती है। चंद्रपाल ने यहां से अल्ट्रासाउंड मशीन ली और बिजनौर के गांव सकतलपुर मिलक में सभी रेखा सैनी के घर पहुंचे। यहां पर डा. हसीन सैफी (झोलाछाप डाक्टर) ने अल्ट्रासाउंड किया और गर्भ में लड़का बताया। स्वास्थ्य टीम ने तीनों को मौके पर अल्ट्रासाउंड मशीन समेत पकड़ लिया।
डा. प्रदीप ने कहा कि डा. हसीन सैफी, रेखा सैनी, चंद्रपाल तीनों के खिलाफ चांदपुर थाने में पीसी पीएनडीटी एक्ट के मामला दर्ज कराया और पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया। एक आशा वर्कर मौके से भागने में कामयाब रही। जिसे पुलिस जांच कर पकड़ेगी। डा. प्रदीप ने बताया कि हरियाणा से पांच महिलाओं को एक साथ बुलाया गया था। रेवाड़ी तथा अन्य जिलों से महिलाएं पहुंची हुई थीं। यह लोग करीब दो वर्ष से भ्रूण लिग जांच करने का काम कर रहे थे और 20 से 25 हजार रुपये लेते थे। डा. प्रदीप ने बताया कि विभाग की कार्रवाई में बिजनौर जिला स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डा. शैलेश जैन और उनकी टीम का सहयोग भी लिया गया।