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मां के त्याग ने बेटे को दिया नवजीवन

आखिर एक मां अपने उस बेटे को मौत के मुंह में कैसे जाने दे सकती है जिसे उसने जन्म दिया हो। बेटे शकील की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 06:10 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 06:10 PM (IST)
मां के त्याग ने बेटे को दिया नवजीवन
मां के त्याग ने बेटे को दिया नवजीवन

अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम

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आखिर एक मां अपने उस बेटे को मौत के मुंह में कैसे जाने दे सकती है जिसे उसने जन्म दिया हो। बेटे शकील की दोनों किडनी खराब हो चुकी थी। उसका जीवन खतरे में था, तो उसकी मां ने अपनी किडनी दान करने का प्रण लिया और ऐसा किया भी। अब शकील को दूसरा जन्म मिला है।

उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के ग्राम नवी नगर लहरपुर के रहने वाले 32 वर्षीय शकील की किडनी को डॉक्टरों ने खराब बता दी थी। उसने अलग-अलग डॉक्टरों को दिखाया भी। हिमाचल प्रदेश स्थित धर्मशाला से उसने किडनी स्वस्थ होने की दवा भी ली थी, लेकिन सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने उससे कहा कि अब तो अंतिम विकल्प किडनी ट्रांसप्लांट ही है। शकील की 50 वर्षीय मां लायकुन निशा को जब बेटे की बीमारी के संबंध में जानकारी मिली, तो पहले वह घबरा गईं थीं। लेकिन, फिर उन्होंने बेटे को किडनी देने का निर्णय लिया। गुरुग्राम के नारायाणा अस्पताल के डॉक्टरों ने उसकी किडनी ट्रांसप्लांट की। नौ जुलाई को किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था और अब मैं स्वस्थ हूं। मेरी मां ने मुझे नया जीवन दिया है। मेरी मां ने मेरे जीवन को बचाने में बड़ा संघर्ष किया।

शकील जब लखनऊ में जांच कराई गई, तो मुझे पता चला कि मेरे बेटे का जीवन खतरे में है। मुझे किसी ने बताया कि कोई किडनी दे दे, तो वह स्वस्थ हो जाएगा। तभी मैंने सोच लिया था कि बेटे को किडनी देकर स्वस्थ जीवन देना है।

लायकुन निशा, शकील की माता शकील लंबे समय से किडनी की समस्या के कारण डायलिसिस पर थे। लॉकडाउन के कारण ट्रांसप्लांट में देरी हुई। अब मरीज की स्थिति को देखते हुए ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया गया, लेकिन कोरोना महामारी में संक्रमण का बहुत खतरा था। ऐसे में ट्रांसप्लांट करना मुश्किल भरा काम था लेकिन हम कामयाब रहे और मरीज अब स्वस्थ है।

डॉ. विकास जैन, यूरोलॉजी व रीनल ट्रांसप्लांट नारायणा अस्पताल


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