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बिल्डर डिफाल्टर हुआ तो भी आवंटी के हित सुरक्षित रहेंगे

रियल एस्टेट आवंटियों के हितों की रक्षा के लिए हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) गुरुग्राम ने शुक्रवार को अभूतपूर्व फैसला दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 07:04 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 07:18 PM (IST)
बिल्डर डिफाल्टर हुआ तो भी आवंटी के हित सुरक्षित रहेंगे
बिल्डर डिफाल्टर हुआ तो भी आवंटी के हित सुरक्षित रहेंगे

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: रियल एस्टेट आवंटियों के हितों की रक्षा के लिए हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (हरेरा), गुरुग्राम ने शुक्रवार को अभूतपूर्व फैसला दिया है। अभी तक यह प्रावधान था कि अगर किसी बिल्डर ने अपनी रियल एस्टेट परियोजना के लिए बैंक से लोन लिया हो और उसे नहीं लौटाता है तो बैंक उसकी परियोजना को कब्जे में लेकर उसकी नीलामी करता है। ऐसे में आवंटियों का भविष्य संकट में आ जाता है। अब ऐसा नहीं होगा, हरेरा बेंच ने यह व्यवस्था बनाई है कि यदि बैंक बिल्डर की लोन वाली संपत्ति की नीलामी करता है, तो उसे पहले आवंटियों के हितों का संरक्षण करना होगा।

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हरेरा, गुरुग्राम के चेयरमैन डॉ. केके खंडेलवाल ने शुक्रवार को हरेरा बेंच के इस निर्णय से सिविल लाइन स्थित लोक निर्माण विश्राम गृह में मीडिया प्रतिनिधियों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह निर्णय सुपरटेक ह्यूज से संबंधित रियल एस्टेट परियोजना में दीपक चौधरी बनाम मेसर्स पीएनबी हाउसिग फाइनेंस लिमिटेड के मामले में दी। उन्होंने बताया कि रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड व सर्व रिटेलर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित की जाने वाली परियोजना को बैंक के पास गिरवी रखा गया था। जब वह लोन नहीं चुका पाए तो बैंक द्वारा बिल्डर की संपत्ति की ई-नीलामी का निर्णय लिया गया।

आवंटी दीपक चौधरी द्वारा इस मामले को हरेरा गुरुग्राम बेंच के समक्ष उठाया गया, जिस पर हरेरा द्वारा नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। साथ ही बेंच ने अपने अधिकार क्षेत्र में यह व्यवस्था कायम कर दी है कि यदि कोई बिल्डर बैंक का कर्ज नहीं चुका पाता है तो उसकी संपत्ति से नीलामी के समय संबंधित बैंक को बिल्डर की पूरी देनदारी का ब्योरा देना होगा। साथ ही आवंटियों के हितों को सुरक्षित करना होगा। किसी भी कीमत पर आवंटी का धन नहीं डूबना चाहिए। बिल्डर द्वारा बैंक के पास गिरवी रखी संपत्ति की नीलामी से पूर्व अब बैंकों व संबंधित वित्तीय संस्थानों को हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (हरेरा), गुरुग्राम की लिखित स्वीकृति भी लेनी होगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि आवंटियों का हित पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।


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