रेलवे के रिकार्ड में गुरुग्राम अभी भी गुड़गांव, यात्रियों को होती है परेशानी
प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा करीब दो साल पहले गुड़गांव का नाम गुरुग्राम कर दिए जाने के बाद भी रेलवे विभाग में पुराना ही नाम चला आ रहा है। रेलवे रिकार्ड में गुरुग्राम गुड़गांव के नाम से ही दर्ज है। रेलवे की इस लापरवाही का खामियाजा मां भारती की रक्षा करने वाले फौजियों को उठाना पड़ रहा है। उन्हें यात्रा वारंट जारी कराने में परेशानी होती है। यही नहीं रेलवे कर्मी और छूट के दायरे में आने वाले विद्यार्थी व अन्य लोग भी टिकट लेते समय परेशान होते हैं। लोगों की पीड़ा को देखते हुए यदि टिकट आरक्षण केंद्र में नियुक्त कर्मचारी टिकट जारी कर देते
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा करीब दो साल पहले गुड़गांव का नाम गुरुग्राम कर दिए जाने के बाद भी रेलवे विभाग में पुराना ही नाम चला आ रहा है। रेलवे रिकार्ड में गुरुग्राम गुड़गांव के नाम से ही दर्ज है। रेलवे की इस लापरवाही का खामियाजा मां भारती की रक्षा करने वाले फौजियों को उठाना पड़ रहा है। उन्हें यात्रा वारंट जारी कराने में परेशानी होती है। यही नहीं रेलवेकर्मी और छूट के दायरे में आने वाले विद्यार्थी व अन्य लोग भी टिकट लेते समय परेशान होते हैं। लोगों की पीड़ा को देखते हुए यदि टिकट आरक्षण केंद्र में नियुक्त कर्मचारी टिकट जारी कर देते हैं तो डिजिटल डाटा से मेल नहीं खाने के चलते टिकट की रकम उन्हें अपनी जेब से जमा करनी पड़ती है। लोगों की पीड़ा को देखते हुए निगम पार्षद शीतल बागड़ी ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) अश्विनी लुहानी को शनिवार को मांगपत्र दिया तो वह भी भौचक्के रह गए कि ऐसा क्यों है? उन्होंने तत्काल डीआरएम (दिल्ली डिवीजन) से कहा कि समस्या का समाधान तुरंत किया जाए। लुहानी फरुखनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में आए हुए थे। कब नाम बदलने का लिया गया था फैसला
प्रदेश की मनोहर सरकार द्वारा 13 अप्रैल 2016 को इस आध्यात्मिक आस्था को देखते हुए गुड़गांव का नामकरण गुरुग्राम के नाम से करने का निर्णय लिया था। इस बात की घोषणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा 27 सितंबर 2016 को की गई। जिसके बाद प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था। गुरुग्राम की संस्कृति और सभ्यता के दृष्टिकोण से भाजपा सरकार का यह एक सराहनीय और ऐतिहासिक निर्णय है। लेकिन रेलवे के रिकार्ड में अब तक गुड़गांव को गुरुग्राम नहीं दर्ज किया गया है। जबकि सेना के अधिकारी और सैनिकों को जो टिकट वारंट जारी किया जा रहा है वह गुरुग्राम के नाम से जारी होता है जबकि रेलवे के रिकार्ड में गुड़गांव है। इन लोगों ने उठाई समस्या
गुरुग्राम रेलवे स्टेशन नगर निगम वार्ड दस के दायरे में आता है। यहां की पार्षद शीतल बागड़ी व पूर्व पार्षद मंगतराम बागड़ी ने लोगों की पीड़ा को देखते हुए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) को मांग पत्र दिया उनके साथ पीडी शर्मा, सुभाष पाहवा, मूलचंद शर्मा, जगदीश रावत, अनिल भी थे।