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दो प्राध्यापकों के भरोसे चल रहा फरुखनगर कॉलेज

जिले में इस सत्र से खुलने वाले राजकीय कॉलेजों में संसाधनों का अभाव है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 07:10 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 07:10 PM (IST)
दो प्राध्यापकों के भरोसे चल रहा फरुखनगर कॉलेज
दो प्राध्यापकों के भरोसे चल रहा फरुखनगर कॉलेज

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: जिले में इस सत्र से खुलने वाले राजकीय कॉलेजों में संसाधनों का अभाव है। इन कॉलेजों की अभी तक न तो इमारत बनकर तैयार हो पाई है और न ही अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं मिल पाई हैं। इन कॉलेजों में प्राध्यापकों की भी खासा कमी है।

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कई बार कॉलेज प्राचार्यों द्वारा प्राध्यापकों की नियुक्ति को लेकर उच्चतर शिक्षा विभाग से मांग की गई है लेकिन अभी तक पूरा स्टाफ नहीं मिल पाया है। बता दें कि नए खुले राजकीय महाविद्यालयों में स्नातक में आ‌र्ट्स और कॉमर्स कोर्स ही हैं। प्राध्यापकों की कमी को लेकर भेजा रिमाइंडर: फरुखनगर स्थित राजकीय महाविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे डॉ. वीरेंद्र अंतिल ने बताया कि कॉलेज पास के सरकारी स्कूल की शाखा में चलाया जा रहा है। यहां पर महज दो ही प्राध्यापक हैं। एक प्राध्यापक अंग्रेजी विषय के हैं और एक गणित विषय के। दो प्राध्यापकों के भरोसे ही कॉलेज चलाया जा रहा है। मंगलवार को उन्होंने उच्चतर शिक्षा विभाग में प्राध्यापकों की कमी को लेकर मांग का रिमाइंडर भेजा है। अभी कॉलेज में कुल 77 विद्यार्थी हैं। दिसंबर-जनवरी में होने वाली सेमेस्टर परीक्षाओं की तैयारी के लिए जाटौली-हेलीमंडी स्थित राजकीय महाविद्यालय से प्राध्यापकों को बुलाकर कोर्सों का पाठ्यक्रम पूरा करवाया गया था। पिछले सत्र में खुलने वाले रिठौज स्थित राजकीय महाविद्यालय में भी प्राध्यापकों की कमी है।

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विनय सिंह ने बताया कि हाल ही में उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा नए कॉलेजों के लिए प्राध्यापक डेपुटेशन लिस्ट जारी की गई थी। इसमें पुराने कॉलेजों से डेपुटेशन पर नए कॉलेजों में प्राध्यापक भेजे गए थे। लिस्ट में भी कुछ ही विषयों के प्राध्यापक मिल पाए थे। महाविद्यालय की प्राध्यापक रेनु ने बताया कि कॉलेज में कुछ विषयों के प्राध्यापक नहीं हैं। दिसंबर-जनवरी में हुई सेमेस्टर परीक्षाओं की तैयारी के लिए सेक्टर-14 स्थित राजकीय महाविद्यालय से कुछ समय के लिए पाठ्यक्रम पूरा करवाने के उद्देश्य से डेपुटेशन पर प्राध्यापक भेजे गए थे। उच्चतर शिक्षा विभाग को प्राध्यापकों की नियुक्ति को लेकर कई बार मांग की जा चुकी है लेकिन अभी तक स्टाफ पूरा नहीं हुआ है।


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