फिर से हुई ओलावृष्टि की मार से कराह उठे किसान
सात फरवरी को हुई ओलावृष्टि से अभी तक किसान उबर नहीं पाए थे कि बृहस्पतिवार को भी उनकी फसलों पर हुई ओलावृष्टि ने उनकी कमर ही तोड़ दी। फसलों की बर्बादी को देख किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं। किसानों को ¨चता सता रही है कि उनका कर्ज कैसे उतरेगा। वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कृषि विभाग व बीमा कंपनी के सूचनार्थ भरे जाने वाले फार्म को जमा करवाने के लिए किसान अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हो रहे हैं। किसानों की मानें तो सरसों की फसल ओलावृष्टि से बुरी तरह से तबाह हो गई है।
संवाद सहयोगी, फरूखनगर (गुरुग्राम): सात फरवरी को हुई ओलावृष्टि से अभी किसान उबर भी नहीं पाए थे कि बृहस्पतिवार को फिर से फसलों पर हुई ओलावृष्टि ने उनकी कमर ही तोड़ दी है। फसलों की बर्बादी को देख किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं।
किसानों को ¨चता सता रही है कि उनका कर्ज कैसे उतरेगा। वहीं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कृषि विभाग व बीमा कंपनी के सूचनार्थ भरे जाने वाले फार्म को जमा करवाने के लिए किसान अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हो रहे हैं। किसानों की मानें तो सरसों की फसल ओलावृष्टि से बुरी तरह से तबाह हो गई है। 50 से 80 प्रतिशत नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।
किसान धर्मपाल हाजीपुरिया, सतपाल ¨सह, पवन कुमार, अजीत ¨सह, ओमप्रकाश, वीर बहादुर, चौधरी सतबीर, धर्मबीर कौशिक खंडेवला, करण ¨सह, ओमबीर सहित अन्य किसानों का कहना है कि सात फरवरी के बाद 14 फरवरी की सुबह हाजीपुर, पातली, खेटावास, फरूखनगर, फाजिलपुर बादली, ताजनगर, जोनियावास, जाटौला, खंडेवला, सुल्तानपुर, सैहदपुर, मोहम्मदपुर, खेटावास, धानावास, मुबारिकपुर, खेडा झांझरौला गांवों में ओलावृष्टि से किसानों की सरसों की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है।
किसानों का कहना है कि सरसों की फसल पक कर कटने के लिए तैयार खड़ी थी। ओलावृष्टि के कारण सरसों की फलियां झड़ गई और सूखने के बाद दाने खेतों में ही बिखर गए हैं। वहीं गेंहू व जौ की फसल के अलावा मौसमी सब्जियों में भी भारी नुकसान हुआ है।