हमारे योद्धा : मुश्किल में भी घर-घर पहुंचा रहे हैं अखबार
घर-घर अखबार पहुंचाने का काम सबसे कठिन माना जाता है। ना कोई छुट्टी ना कोई देरी।
संवाद सहयोगी, बादशाहपुर: घर-घर अखबार पहुंचाने का काम सबसे कठिन माना जाता है। ना कोई छुट्टी ना कोई देरी। लगातार पाठकों की सेवा के लिए सेवारत रहते हैं अखबार वितरक। दैनिक जागरण ने ऐसे कर्मठ अखबार वितरकों को कर्मयोगी का नाम दिया। कड़ाके की ठंड में सुबह तीन बजे उठना और उसके बाद घर-घर अखबार पहुंचाना एक बेहद कठिन काम है। कर्मयोगी अपनी चिता किए बिना पाठकों तक अखबार पहुंचाने का काम बखूबी निभाते हैं।
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आज सोशल मीडिया की खबरों पर लोगों को विश्वास नहीं होता। लोग समाचार पत्र पढ़कर जरूर अपनी जिज्ञासा को शांत करते हैं। संकट की इस घड़ी में सुबह अखबार पढ़े बिना लोगों को तसल्ली नहीं होती। सटीक खबरों का सबसे बेहतर साधन आज भी अखबार को ही माना जाता है।
-विजयपाल, अभिकर्ता कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव की अफवाह से लोगों ने अखबार लेना बंद कर दिया। इससे काफी दिक्कत हुई। लेकिन लोगों को घर-घर जाकर समझाया कि अखबार बेहद सुरक्षित है। अखबार के माध्यम से कोरोना वायरस नहीं फैलता।
-घनश्याम, कर्मयोगी अखबार बांटना बेहद कठिन काम है। बरसों से अखबार बांटने का काम कर रहे हैं, तो अब आदत सी बन गई है। पूरी निष्ठा के साथ अखबार वितरण का काम करते हैं। अखबार पाठक तक पहुंचने में देर हो जाती है, तो पाठक बेचैन से होने लगते हैं। पाठक हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है।
-मनोज शर्मा, कर्मयोगी वाट्सएप आदि पर सारा दिन लोग खबर देखते हैं। सोशल मीडिया के दूसरे माध्यम से भी देश दुनिया की खबरें मिलती रहती है। फिर भी लोग सुबह अखबार पढ़ कर ही उन खबरों की पुष्टि करते हैं। अखबार में लिखी खबर को ही सही माना जाता है।
-प्रवीण राठौर, कर्मयोगी