आरडब्ल्यूए संगठनों की होगी अहम भूमिका
शहर के सेक्टरों और कॉलोनाइजर इलाके के आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों की लोक सभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रत्याशियों ने ग्रामीण क्षेत्रों के सरपंचों और आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों के साथ बैठकें शुरू कर दी है। रविवार को एक ऐसी ही मुलाकात बैठक का आयोजन किया गया। हालांकि गुरुग्राम की पुरानी कॉलोनियां हो या सेक्टर लोग पानी सड़क सीवेज लाइन सामुदायिक भवन परिवहन के साधनों के अभाव बदहाल ग्रीन बेल्ट सुरक्षा संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं। लोग आए दिन इन बातों को लेकर उबलते भी रहे हैं। मुद्दों को लेकर आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों के विचार वोट को प्रभावित करेंगे। शहर के अधिसंख्य आरडब्ल्यूए संगठन किसी न किसी पार्टी से जुड़े भी है। चुनाव को लेकर पार्टी के प्रति निष्ठा एक तरफ है तो दूसरी ओर रोज-रोज परेशान करने वाले स्थानीय मुद्दे।
पूनम, गुरुग्राम
शहर के सेक्टरों और कॉलोनाइजर इलाके के आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों की लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। प्रत्याशियों ने ग्रामीण क्षेत्रों के सरपंचों और आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। रविवार को एक ऐसी ही मुलाकात बैठक का आयोजन किया गया। हालांकि गुरुग्राम की पुरानी कॉलोनियां हो या सेक्टर लोग पानी, सड़क, सीवेज लाइन, सामुदायिक भवन, परिवहन के साधनों के अभाव, बदहाल ग्रीन बेल्ट, सुरक्षा संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं। लोग आए दिन इन बातों को लेकर गुस्सा भी करते रहे हैं। मुद्दों को लेकर आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों के विचार वोट को प्रभावित करेंगे। शहर के अधिसंख्य आरडब्ल्यूए संगठन किसी न किसी पार्टी से जुड़े हैं। चुनाव को लेकर पार्टी के प्रति निष्ठा एक तरफ है तो दूसरी ओर रोज-रोज परेशान करने वाले स्थानीय मुद्दे। पिछले चुनाव से इस बार के चुनाव में खासा बदलाव
पिछली बार 2014 की लोक सभा के चुनाव और इस बार की लोक सभा के चुनाव में काफी अंतर है। पिछली बार हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टर नगर निगम में शामिल नहीं थे। वहां आरडब्ल्यूए संगठन सक्रिय थे। पार्षदों और आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों की अपनी-अपनी भूमिका थी। इस बार अधिसंख्य सेक्टरों को निगम में शामिल कर लिया गया है। अब आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों और निगम पार्षदों के बीच अधिकार की लड़ाई चल रही है।
आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि अपने क्षेत्र के कार्यों में पार्षदों की दखल पसंद नहीं कर रहे जबकि निगम में सेक्टरों के आने बाद सदन के प्रस्ताव से आरडब्ल्यूए के अधिकार क्षेत्र पार्षद अपने अधीन करने में जुटे हैं। पिछले साल पार्कों और सामुदायिक भवनों के रखरखाव को लेकर निगम पार्षदों और आरडब्ल्यूए की बीच अधिकार की लड़ाई हो चुकी है। हालांकि इसमें आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि अपने अधिकार बनाए रखने में कामयाब रहे, मगर यदि सांसद चुने हुए स्थानीय निकाय प्रतिनिधि को सबल बनाने की बात करते हैं तो आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि के अधिकार जाएंगे। विभिन्न कार्यों को लेकर कई आरडब्ल्यूए संगठन प्रतिनिधियों के स्थानीय पार्षद से विवाद भी चल रहे हैं। सफाई, सड़क का निर्माण, पानी की व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर भी विवाद है। आरडब्ल्यूए संगठनों के पास यह मौका है कि वे अपनी एकजुटता दिखा कर लोक सभा प्रतिनिधि चुनने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका जताएं। पिछले दिनों पार्क और सामुदायिक भवन के मुद्दे पर बिखरे हुए आरडब्ल्यूए एक हुए थे, चुनाव में भी ऐसा लग रहा है। हमलोगों ने उम्मीदवार से मुलाकात की, उनपर भरोसा जताया। हालांकि मैं अपने इलाके में विकास कार्यों को लेकर कुछ चर्चा करना चाह रहा था मगर किया नहीं। भरोसा दिला रहे हैं कि कार्य होंगे। गुरुग्राम के ज्यादा हिस्सों को मेट्रो से जोड़ने, सेक्टर 23 में बस सेवाएं बढ़ाने जैसे विषयों पर आश्वासन मिला है।
- ब्रह्म प्रकाश यादव, आरडब्ल्यूए अध्यक्ष, सेक्टर 23 हमें स्थानीय मुद्दों को लेकर ज्यादा परेशानी नहीं है। उसका समाधान तो हम मिलकर करेंगे हमारे लिए तो देश सबसे महत्वपूर्ण है। हमारा संगठन उस पार्टी को मजबूत करेगा जो देश को आगे ले जाए, पूर्ण बहुमत प्राप्त कर स्थायी सरकार दें ताकि मध्यावधि चुनाव जैसा मामला नहीं बने। निगम पार्षदों के साथ हम कम्युनिटी सेंटर और पार्कों के रखरखाव को लेकर भिड़े थे। लोक सभा चुनाव में हम स्थानीय समस्याओं से ऊपर उठ कर देश के मुद्दों पर ताकत दिखाने वाली पार्टी के साथ होंगे।
- नरेश कटारिया, सेक्टर नौ आरडब्ल्यूए