खपत ना होने से अंडा कारोबार में भारी मंदी
लॉकडाउन के चलते अंडा के कारोबार में भारी मंदी आ गई है।
जागरण टीम, गुरुग्राम: लॉकडाउन के दौरान अंडे के कारोबार में भारी मंदी आ गई है। अंडे की खपत पहले के मुकाबले एक तिहाई रह गई है। इससे पोल्ट्री फार्म चलाने वाले बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। अंडे के उत्पादन में तो कमी नहीं आई, लेकिन खपत कम होने के कारण रेट काफी कम हो गए। प्रवासी कामगारों के अपने गांव लौटने से भी इस कारोबार पर बुरा असर दिख रहा है। इनमें से कई अंडे की रेहड़ियां लगाते थे।
जिले में अंडे का उत्पादन वाले पोल्ट्री फार्म की संख्या कम है। बादशाहपुर के आसपास कुछ पोल्ट्री फार्म हैं। इसके अलावा पटौदी और फरुखनगर क्षेत्र में भी पोल्ट्री फार्म हैं। इन पोल्ट्री फार्म में अंडे देने वाली मुर्गी रखने के बजाय लोग अधिकांश चिकन मांस के लिए चूजे पालते हैं। लेकिन जिले में अंडे का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। अधिकांश थोक कारोबारी फतेहाबाद, जींद, बरवाला क्षेत्र से माल खरीद कर यहां बेचते हैं।
कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन हुआ तो अंडे के कारोबार पर भी इसका पूरा असर पड़ा। सर्दियों के मौसम में अंडे की खपत बढ़ जाती है। उस समय अंडे की ट्रे (30 पीस) का भाव 160 रुपये तक पहुंच जाता है। गर्मी में खपत कुछ कम होती है तो ट्रे का भाव 120 से 125 तक रहता है। मंदी आने के कारण इस समय ट्रे का थोक भाव 90 से 100 रुपये तक का है। पोल्ट्री फार्म मालिक फिलहाल 50 से 60 रुपये प्रति ट्रे के दाम पर अंडा बेच रहे हैं। यह आम दिनों में कम से कम 80 से 90 रुपये तक रहता था।
प्रवासी कामगारों के जाने से खपत हुई कम
कोरोना वायरस के चलते लोग अंडे की कम खरीदारी कर रहे हैं। बड़ी-बड़ी इमारतों के निर्माण स्थल के आसपास बनी झुग्गी बस्तियों में अंडे की खपत सबसे ज्यादा मानी जाती है। इन झुग्गी बस्तियों में रहने वाले अधिकांश प्रवासी अपने घरों को लौट गए। इससे अंडे का कारोबार काफी नीचे आ गया।
अंडा सप्लाई करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि पहले उसकी रोजाना 300 ट्रे की औसत बिक्री थी। अब मुश्किल से 100 ट्रे बिक पाती हैं। बाजार में राशन आदि की दुकान पर भी अंडे बिकते थे। अब लोगों ने अंडा लेना काफी कम कर दिया। इससे अंडे की खपत में कमी आ गई है।
कोरोना वायरस में लॉकडाउन के कारण सभी मार्केट बंद है। इसके चलते अंडे की खपत में काफी कमी आ गई। भाव इतने मंदे हो गए कि ऐसे में मुर्गी के दाने का पैसा भी पूरा करना मुश्किल हो रहा है। अगर यही हाल रहा तो पोल्ट्री फार्म इंडस्ट्री बिल्कुल बैठ जाएगी।
सुरेंद्र शर्मा, प्रबंधक, पोल्ट्री फार्म लॉकडाउन के चलते दिक्कत तो हर क्षेत्र में आ रही है। पोल्ट्री फार्म संचालकों के सामने भी परेशानियां हैं। अंडे की भी खपत कम हुई है। साथ ही चूजे से मांस के लिए चिकन तैयार करने वाले पोल्ट्री फार्म संचालकों पर भी संकट है। इस प्राकृतिक आपदा में सभी प्रभावित हो रहे हैं।
डॉ. पुनीता पुनिया, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग