देवोत्थान एकादशी : फूलों के गार्डन की थीम तो कहीं बर्फ की सफेदी
19 नवंबर को शहर का हर विवाह स्थल, सामुदायिक भवन होटल उत्सवी होगा। देवोत्थान एकादशी का अबूझ साया तो है ही मगर इस साल नवंबर में इसके अलावा कोई और विवाह के लिए शुभ दिन नहीं। देवोत्थान एकादशी के दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है मगर इस साल नवंबर में अंतिम चरण में यह आया है। इसके बाद दिसंबर के महीने में 11, 12, 13 को शादियां होगी। गुरुग्राम और आस-पास करीब
पूनम, गुरुग्राम
19 नवंबर को शहर का हर विवाह स्थल, सामुदायिक भवन होटल उत्सवी होगा। देवोत्थान एकादशी का अबूझ साया तो है ही मगर इस साल नवंबर में इसके अलावा कोई और विवाह के लिए शुभ दिन नहीं। देवोत्थान एकादशी के दिन से शुभ कार्यो की शुरुआत होती है मगर इस साल नवंबर में अंतिम चरण में यह आया है। इसके बाद दिसंबर के महीने में 11, 12, 13 को शादियां होगी।
गुरुग्राम और आस-पास करीब 80 बड़े और मझोले विवाह स्थल हैं, इन सब में 19 नवंबर के दिन कोई स्थल खाली नहीं। सेक्टरों के सामुदायिक भवन, सोहना रोड, महरौली रोड, दिल्ली रोड और जयपुर हाइवे के आस-पास के फार्म हाउस से लेकर मंदिर भी जोड़ों के पावन परिणय के साक्षी बनने को तैयार हो रहे हैं।
शीतला माता मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य जय भगवान बताते हैं कि इस बार लग्न के दिन कम हैं। देवोत्थान एकादशी का अबूझ साया विवाह के लिए एक बहुत अच्छा योग होता है इसलिए 19 नवंबर सोमवार के दिन इस सीजन की अधिसंख्य शादियां संपन्न हो रही हैं। प्रदूषण से मुक्ति का हो रहा है इंतजाम, जंगल थीम, फूलों की सज्जा की बढ़ी मांग
गुरुग्राम दिल्ली बार्डर स्थित विवाह स्थल निकुंज, दिल्ली रोड स्थित नॉ¨टग हिल्स और ज्वेल गार्डन के प्रबंध निदेशक विनोद सैनी बताते हैं कि कई महीने पहले गार्डन की बु¨कग हुई है। यहां गुरुग्राम के अलावा दिल्ली और एनसीआर के लोग भी आकर विवाह कार्य संपन्न कर रहे हैं। इस बार यहां प्रदूषण बहुत है, इस कारण भी प्राकृतिक थीम की मांग ज्यादा है। बर्फ की आकृतियां और सजावट वाली थीम ठंड शुरू होने के बावजूद पसंद की गई है। कई गार्डन बर्फ की मूर्तियां, आइस स्केट जैसी थीम पर सजावट है, यह बर्फ आठ- नौ घंटे नहीं पिघलती।
दूसरी ओर फूलों की बहुत मांग है। फूलों पर तितली और बैठने उठने की जगह को पूरी तरह ढंका जाए, ऐसी व्यवस्था की मांग है। हमलोगों ने प्राकृतिक पेड़ पौधे काफी लगाए हैं और यह सजावट का एक बड़ा हिस्सा बन रहे हैं। एयर प्यूरिफायर पौधों का भी प्रयोग किया गया है। जंगल थीम पर विवाह स्थल की सजावट की जा रही है। इसकी मांग भी इस साल की शादियों में ज्यादा है। दिल्ली के बाजार के अलावा थाईलैंड से आर्किड जैसे फूल कोलकाता के खास गेंदें, बंग्लुरु से भी देशी विदेशी फूल मंगाए गए हैं। प्राकृतिक लताओं और पेड़ पौधों का प्रयोग ज्यादा है।
खर्च की बात हो तो तीन से चार लाख और अस्सी से नब्बे लाख तक उत्सव गार्डन की सजावट और व्यवस्था पर खर्च किए जा रहे हैं। ऐसा नहीं कि ज्यादा शादियां हैं तो रेट ज्यादा हो। रेट थोड़े बहुत ऊपर नीचे होते हैं मगर औसतन एक ही रहते हैं मगर बु¨कग जिन्होंने पहले कराई है, उनकी स्थिति अच्छी है। कई महीने पहले सारे विवाह स्थल बुक हो गए थे।