सवालों के घेरे में नगर निगम की जमीन का सौदा
सस्ते दामों पर दो बिल्डरों से जमीन का सौदा कर नगर निगम के अधिकारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। हालांकि यह मुद्दा 12 अक्टूबर को हुई नगर निगम सदन की बैठक में भी उठा था लेकिन इसे दबा दिया गया।
संदीप रतन, गुरुग्राम
सस्ते दामों पर दो बिल्डरों से जमीन का सौदा कर नगर निगम के अधिकारी सवालों के घेरे में आ गए हैं। हालांकि यह मुद्दा 12 अक्टूबर को हुई नगर निगम सदन की बैठक में भी उठा था, लेकिन इसे दबा दिया गया। पार्षदों ने इसे सीधे तौर पर नगर निगम का करोड़ों रुपये का नुकसान बताया है। बता दें कि शहर में जगह-जगह बिल्डरों ने रेवेन्यू रास्तों (गांवों के सरकारी रास्ते) की 28 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है।
जमीन की तबादला नीति के तहत हाल ही में दो बिल्डरों वाटिका लिमिटेड और एरा रिजार्ट्स से रेवेन्यू रास्तों पर कब्जा की गई जमीन का तबादला नगर निगम ने किया है। पार्षद आरएस राठी सहित अन्य पार्षदों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों ने बिल्डरों से घाटे का सौदा कर उनको करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाया है। ऐसे हुआ करोड़ों रुपये का नुकसान
पार्षद आरएस राठी का कहना है कि सीही गांव में वाटिका बिल्डर के साथ 3.3 एकड़ जमीन का तबादला गढ़ी हरसरू की जमीन के साथ किया गया है। सीही की जमीन का 2019-20 का कलेक्टर सर्कल रेट नौ हजार रुपये प्रति गज है, जबकि गढ़ी हरसरू की जो जमीन तबादले में निगम को मिल रही है, उस कृषि भूमि का प्रति एकड़ रेट 1.10 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है। यानी कि इसका रेट 2273 रुपये प्रति गज है।
इस तरह 14.77 करोड़ रुपये का नुकसान निगम को हुआ है। मार्केट रेट के हिसाब से 70 करोड़ रुपये का नुकसान नगर निगम को हुआ है। 3.28 एकड़ सीही की जमीन के बदले गढ़ी हरसरू में निगम बिल्डरों से 3.28 एकड़ जमीन ही ले रहा है, जबकि सर्कल रेट के हिसाब बिल्डरों से निगम को 13 एकड़ जमीन मिलनी चाहिए।
इसी तरह एरा रिजार्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की सीही गांव की 551.55 वर्ग गज जमीन का तबादला सीही गांव की कृषि भूमि के साथ किया गया है। जहां निगम को 968 गज जमीन मिल रही है, जबकि सर्कल रेट के हिसाब से निगम को 1.53 एकड़ जमीन मिलनी चाहिए। सीही की कामर्शियल जमीन का 2019-20 का कलेक्टर सर्कल रेट 30 हजार पांच सौ रुपये प्रति वर्ग था। इस तबादले से निगम को 1.61 करोड़ रुपये और मार्केट रेट के हिसाब से आठ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
- सोते रहे निगम अधिकारी
वर्ष 2008-09 में गुरुग्राम में कई बिल्डरों को सोसायटी बसाने के लिए लाइसेंस दिए गए थे। 2008 में नगर निगम का गठन भी हो चुका था। लेकिन बड़े पैमाने पर रेवेन्यू रास्तों (गांवों के सरकारी रास्ते) पर कब्जा होने के बावजूद कोई संज्ञान नहीं लिया गया। बिल्डरों ने भी सरकार और अधिकारियों के ढिलाई का जमकर फायदा उठाया और करोड़ों रुपये की बेशकीमती जमीनों पर कब्जा कर लिया।
हालात यह हैं कि कई जगहों पर तो बिल्डरों ने रेवेन्यू रास्ते की जमीन पर कब्जा कर बिल्डिग भी खड़ी कर दी हैं। 30 नवंबर 2017 को शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय की ओर से रेवेन्यू रास्तों की जमीन बिल्डरों से तबादला करने के लिए एक पालिसी बनाई गई थी। इस संबंध में नगर निगम आयुक्त विनय प्रताप सिंह से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। कहां कितनी जमीन पर कब्जा
जोन-1 52 कनाल 2 मरला
जोन-2 84 कनाल 13 मरला
जोन-3 77 कनाल 5 मरला
जोन-4 10 कनाल
कुल- 28 एकड़