अपराध शाखा के दो सबइंस्पेक्टरों समेत चार दोषियों को कैद
एक कबाड़ी से रिश्वत लेने के आरोपित अपराध शाखा के दोनों सब इंस्पेक्टरों के साथ ही दोनों बिचौलिये को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्वनी कुमार मेहता की अदालत ने दोषी ठहराते हुए सजा सुना दी। दोनों सब इंस्पेक्टर को पांच-पांच साल की कैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माना एवं दोनों बिचौलिये को चार-चार साल की कैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। सरकारी अधिवक्ता देवेंद्र कुंडू ने बताया कि मामला 22 जुलाई 2013 का है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: एक कबाड़ी से रिश्वत लेने के आरोपित अपराध शाखा के दो सबइंस्पेक्टरों के साथ ही दो बिचौलियों को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्वनी कुमार मेहता की अदालत ने दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है। दोनों सबइंस्पेक्टर को पांच-पांच साल की कैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माना एवं दोनों बिचौलिये को चार-चार साल की कैद व 10-10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है।
जिला न्यायवादी धर्मेंद्र राणा ने बताया कि मामला 22 जुलाई 2013 का है। शिकायत के मुताबिक दिल्ली के द्वारका में कबाड़ का कारोबार करने वाले इस्लाम की गुरुग्राम में कबाड़ का काम करने वाले मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी सरफराज से जान-पहचान थी। 22 जुलाई को सरफराज ने इस्लाम को गुरुग्राम बुलाया और अपराध शाखा के दो अधिकारियों से से¨टग करके पकड़वा दिया। बाद में इस्लाम के पिता जहीर अहमद से कहा कि उसकी अपराध शाखा में अच्छी जान-पहचान है। वह मामले को रफा-दफा करा देगा। सरफराज की दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल सूबे से जान-पहचान थी। दोनों ने मिलकर जहीर अहमद को अपराध शाखा में तैनात सबइंस्पेक्टर विनोद कुमार एवं राजकपूर से मिलवाया।
दोनों पुलिस वालों ने कहा कि यदि बेटे को छुड़ाना है तो 10 लाख रुपये देने होंगे। किसी तरह उन्होंने पांच लाख रुपये का इंतजाम किया और सरफराज के माध्यम से दोनों अधिकारियों तक पहुंचा दिया। इसके बाद भी बेटे को नहीं छोड़ा तो जहीर अहमद ने तीन लाख रुपये की व्यवस्था करने के साथ ही इस बात की जानकारी स्टेट विजिलेंस को दी। जानकारी मिलते ही विजिलेंस ने टीम बनाकर जाल बिछाया। रुपयों में पाउडर लगाकर जहीर को सरफराज के पास भेजा। राजीव चौक के नजदीक से पैसे लेते हुए सरफराज को गिरफ्तार किया गया। सिरहौल इलाके में सूबे को काबू किया गया। दोनों से पूछताछ के बाद अपराध शाखा के दोनों सबइंस्पेक्टरों को गिरफ्तार किया गया। सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। तमाम सबूतों व गवाहों के बयान के आधार पर आरोपितों को दोषी ठहराते हुए सजा सुना दी गई। जुर्माने की राशि जमा न करने पर छह-छह महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।