सदन की बैठक में पार्षदों का हंगामा, इको ग्रीन का रोका भुगतान
बादशाहपुर के त्यागीवाड़ा स्थित सामुदायिक केंद्र में बुधवार को नगर निगम सदन की बैठक हुई। बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने कचरा प्रबंधन करने वाली कंपनी इको ग्रीन एनर्जी का ठेका रद करने की मांग करते हुए हंगामा किया।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: बादशाहपुर के त्यागीवाड़ा स्थित सामुदायिक केंद्र में बुधवार को नगर निगम सदन की बैठक हुई। बैठक शुरू होते ही पार्षदों ने कचरा प्रबंधन करने वाली कंपनी इको ग्रीन एनर्जी का ठेका रद करने की मांग करते हुए हंगामा किया। पार्षदों का कहना है कि कंपनी ने तीन साल में कोई काम नहीं किया है और अभी तक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट भी नहीं लगा है।
पार्षदों ने गुरुग्राम निगम द्वारा फरीदाबाद की टिपिग (कूड़ा उठाने) फीस के तौर पर हर माह दो करोड़ रुपये के भुगतान का भी विरोध किया। सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू हुई थी और एक बजे तक यानी दो घंटे हंगामा चलने के कारण कोई भी एजेंडा सिरे नहीं चढ़ सका। सदन में फिलहाल इको ग्रीन एनर्जी के सभी तरह के भुगतान रोकने पर सहमति बनने के बाद ही सदन की कार्यवाही शुरू हो सकी।
बैठक में पार्षदों ने स्ट्रीट लाइट नहीं लगाने, निगम की एफडी (फिक्स्ड डिपाजिट) तोड़कर 100 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च करने, पिछली सदन की बैठक में जमीन तबादला कर बिल्डरों को फायदा पहुंचाने और स्ट्रीट वेंडिग जोन में रेहड़ियों के कब्जे का मुद्दा गरमाया रहा। पार्षदों ने निगम अधिकारियों पर सुनवाई नहीं करने के भी आरोप लगाए।
पार्षद बोले, अधिकारी सवालों के जवाब नहीं देते
बैठक शुरू होते ही पार्षद आरएस राठी ने कहा कि अधिकारी पार्षदों के सवालों के जवाब नहीं देते हैं। पार्षद ने इको ग्रीन कंपनी पर सवाल उठाते हुए कहा कि वेस्ट टू एनर्जी प्लांट अभी तक स्थापित नहीं हुआ है। पार्षदों ने इको ग्रीन का भुगतान रोकने के साथ ही जुर्माने की वसूली करने को कहा। मेयर मधु आजाद ने कहा कि इकोग्रीन को भुगतान नहीं किया जाएगा।
पार्षद कपिल दुआ ने कहा कि निगम के अधिकारी फोन नहीं उठाते। वार्ड 19 के पार्षद अश्वनी शर्मा ने कहा कि बैठक का एजेंडा बैठक से एक दिन पहले क्यों मिलता है। पार्षद कुलदीप यादव ने कहा कि उनके क्षेत्र में बूस्टिग स्टेशन बनकर तैयार हो चुके हैं, लेकिन कनेक्शन नहीं हुए हैं। बूस्टिग से सामान भी गायब हो गया है और ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया है।
स्ट्रीट वेंडिग एजेंसियों हो विजिलेंस जांच
वार्ड 19 के पार्षद अश्वनी शर्मा ने कहा कि रेहड़ियों का कब्जा हर जगह है। 2014 से 2020 तक कितने वेंडिग जोन बने हैं, इसकी जानकारी अभी तक निगम अधिकारियों ने नहीं दी है। अन्य पार्षदों ने कहा ग्रीन बेल्ट काटकर रेहड़ियां लगा दी गईं। सीमा पाहुजा ने कहा इस संबंध में अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया है।
पार्षद अनूप ने कहा कि सेक्टर 14 में रेहड़ी वालों का कब्जा है। नियमों का उल्लंघन हो रहा है। मेयर मधु आजाद ने कहा कि स्ट्रीट वेंडिग जोन व एजेंसियों की विजिलेंस जांच होनी चाहिए। निगमायुक्त ने कहा कि अवैध रेहड़ियों को दो दिसंबर तक हटा दिया जाएगा। इस पर पार्षदों ने सभी रेहड़ियों को हटाने की मांग की। पार्षद महेश दायमा ने कहा कि रेहड़ियों की वजह से सेक्टर 56 का बुरा हाल हो गया है। जमीन तबादले से हुआ करोड़ों का नुकसान
पार्षद आरएस राठी ने बैठक में जमीन तबादले का मुद्दा उठाया। राठी ने कहा कि जमीन तबादले के लिए वो जमीन बिल्डर या कंपनी के नाम होनी चाहिए। इस संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब अधिकारियों ने नहीं दिया है। जमीन तबादले से निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो फरीदाबाद जैसी आर्थिक रूप से बदहाल हालत हो जाएगी। जमीन की कीमत का दोबारा आकलन किया जाना चाहिए। स्ट्रीट लाइटों पर हुआ बवाल
वार्ड एक की पार्षद मिथलेश बरवाल व अन्य पार्षदों ने वार्डों में स्ट्रीट लाइट नहीं लगाने पर बवाल किया। लाइट लगाने वाली कंपनी ईईएसएल कंपनी का भुगतान रुका हुआ है। पहले लगाई गई लाइटों का सर्वे चल रहा है। निगम अधिकारियों के मुताबिक स्ट्रीट लाइटों की तीन जोन में गिनती पूरी हो चुकी है। जोन चार में सर्वे चल रहा है। बैठक में नजर आई पार्षदों की गुटबाजी
स्थानीय मुद्दों पर भी निगम सदन में अब पार्षद एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं। 30 लाख की आबादी वाले जिस शहर को जनप्रतिनिधियों से उम्मीद है, वे सब सदन में दो धड़ों में बंट गए। जनसमस्या या शहर के किसी मुद्दे को जब सदन में किसी पार्षद द्वारा रखा जाता है, तो अन्य पार्षद सदन में खड़े पार्षद को चुप करवाने के लिए आपस भिड़ने लगे हैं।
पार्षद कपिल दुआ को इस बार बैठक में अन्य पार्षदों ने नहीं बोलने दिया। इसके अलावा सदन के नियमों की अवहेलना करते हुए महिला पार्षदों के पति भी बैठक में मौजूद रहकर सदन की कार्यवाही में हस्तक्षेप करते रहे। 12 अक्टूबर को हुई पिछली सदन की बैठक में पार्षद आरएस राठी द्वारा उठाए गए जमीन तबादले में करोड़ों के नुकसान के मुद्दे पर अन्य पार्षदों ने उनको बोलने नहीं दिया था।