लाइसेंस कालोनी में तेजी से हो रहा बिल्डर फ्लोर का निर्माण
डीएलएफ सुशांत लोक सनसिटी आरडी सिटी साउथ सिटी समेत दर्जनों लाइसेंस कालोनियों में तेजी से बिल्डर फ्लोर का निर्माण हो रहा है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन के लिए किसी भी अथॉरिटी का ध्यान नहीं है।
गौरव सिगला, नया गुरुग्राम
डीएलएफ, सुशांत लोक, सनसिटी, आरडी सिटी, साउथ सिटी समेत दर्जनों लाइसेंस कालोनियों में तेजी से बिल्डर फ्लोर का निर्माण हो रहा है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन के लिए किसी भी अथॉरिटी का ध्यान नहीं है। नगर निगम एवं योजनाकार विभाग ने इंटरनल डेवलेपमेंट शुल्क एवं एफएआर शुल्क के नाम पर 200 करोड़ रुपये से अधिक इकट्ठे कर लिए लेकिन उनसे इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन करने की योजना पर कोई काम नहीं किया जा रहा है। इसके लिए अब निवासियों ने आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है।
बीते 2 साल में तेजी से बने फ्लोर: नगर योजनाकार विभाग द्वारा लगभग 2 वर्ष पहले एफआर बढ़ाने और 4 फ्लोर की स्वीकृति देने के बाद बीत दो सालों में लाइसेंसी कालोनियों में 4000 से अधिक बिल्डर फ्लोर का निर्माण हो गया लेकिन बिजली, पानी, सीवर व ड्रेन का बुनियादी ढांचा वहीं का वहीं है। ऐसे में अब कालोनियों में बिजली, जलापूर्ति व सीवर की शिकायतें तेजी से बढ़ रही है लेकिन नगर निगम व योजनाकार विभाग की इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन पर अभी तक कोई योजना नहीं बनी है। एक साल में मचेगा हाहाकार
अभी हाल में भी 1000 से अधिक फ्लोर निर्माणधीन होंगे और इसी तेजी से फ्लोर का निर्माण होता रहा तो अगले एक साल के भीतर लाइसेंस कालोनियों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी परेशानियों को लेकर हाहाकार मचना शुरू हो जाएगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन की कोई योजना नहीं है और तेजी से फ्लोर बन रहे हैं। इसके लिए हमने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है। जल्द ही याचिका दायर करेंगे।
आरएस राठी, प्रधान जीसीसी एवं निगम पार्षद बुनियादी सुविधाओं का ढांचा पुराने नियम ढाई फ्लोर के हिसाब से है और अब पार्किंग के साथ 5 फ्लोर हो गए हैं, जिससे सुविधाओं की परेशानी आ रही है।
टीएन कॉल, उप-प्रधान आरडी सिटी अकेले ब्लॉक-ए में 40 से अधिक प्लॉट पर 4 फ्लोर निर्माण का काम चल रहा है। सीवर, बिजली, पानी की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन पर ध्यान नहीं दिया तो हालात खराब होंगे।
सुनील भाटिया, निवासी डीएलएफ-1 शुरुआत में एफएआर शुल्क का पैसा नगर निगम के पास जाता था। अभी तक उसको खर्च करने की कोई योजना नहीं दी। यदि उसको खर्च करें तो हमें आगे भी पैसे देने में कोई आपत्ति नहीं है।
केएम पांडुरंग, निदेशक, नगर योजनाकार विभाग