सेंट्रलाइज्ड इंटिग्रेटेड वाटर मैनेजमेंट सिस्टम से रुकेगी पानी की चोरी
इसके तहत 32 अंडरग्राउंड टैंक और पांच मुख्य लाइनों पर फ्लो मीटर लगाकर सीआइडब्ल्यूएमएस की टेस्टिग की गई थी। मुख्य पेयजल लाइन और अंडरग्राउंड टैंकों में लेवल सेंटर इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वाल्व वाटर कंट्रोल वाल्व लगाए गए थे।
संदीप रतन, गुरुग्राम
साइबर सिटी में सेंट्रलाइज्ड इंटिग्रेटेड वाटर मैनेजमेंट सिस्टम (सीआइडब्ल्यूएमएस) से पानी की चोरी को रोका जाएगा। जीएमडीए द्वारा लगभग डेढ़ साल पहले इस प्रोजेक्ट को लागू करने की तैयारी की गई थी और पायलट प्रोजेक्ट को पूरा किया जा चुका है। इसके तहत 32 अंडरग्राउंड टैंक और पांच मुख्य लाइनों पर फ्लो मीटर लगाकर सीआइडब्ल्यूएमएस की टेस्टिग की गई थी। मुख्य पेयजल लाइन और अंडरग्राउंड टैंकों में लेवल सेंटर, इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वाल्व, वाटर कंट्रोल वाल्व लगाए गए थे। गुरुग्राम मेट्रोपालिटन डेवलपमेंट अथारिटी के सेक्टर-44 कार्यालय में बनाए गए इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (आइसीसीसी) से पेयजल आपूर्ति की निगरानी करने के साथ ही आपूर्ति को चालू या बंद भी किया जा सकता है।
सीआइडब्ल्यूएमएस रिपोर्ट: 17.89 फीसद पानी हो रहा चोरी
मुख्य पेयजल लाइनें कई अवैध कालोनियों से भी गुजरती है और अवैध कनेक्शनों के जरिये पानी की चोरी होती है। पेयजल के काफी संख्या में अवैध कनेक्शन हैं। अक्टूबर माह की सीआइडब्ल्यूएमएस रिपोर्ट के मुताबिक 17.89 फीसद पानी चोरी हो रहा है। बसई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से की गई पेयजल आपूर्ति और अंतिम छोर तक पेयजल मिलने के आंकड़ों का आकलन करने के बाद यह पता चला है।
निगम करता है 100 करोड़ का भुगतान
जीएमडीए शहर में पेजयल की आपूर्ति करता है और इसके एवज में नगर निगम सालाना 100 करोड़ रुपये पानी के बिल के रूप में भुगतान करता है। लेकिन नगर निगम के सभी पेयजल कनेक्शनों पर मीटर नहीं लगे हुए हैं। ऐसे में लोग पानी के बिलों का भुगतान नहीं करते और निगम के सरकारी खजाने को नुकसान पहुंच रहा है। सीआइडब्ल्यूएमएस का यह मिल रहा है फायदा
- पानी के बिलों की कार्यप्रणाली सुधारने में भी इसकी मदद मिल रही है।
- शहर के सभी इलाकों में पानी की बराबर मात्रा में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने में मददगार है।
- अब इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह लागू कर पानी की बर्बादी, चोरी रोकने के साथ ही सभी इलाकों में पानी पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।