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ईंछापुरी मंदिर के साथ बने शिव कुंड में नहाने उतरे बच्चे की डूबने से मौत

ईंछापुरी के प्राचीन शिव मंदिर में बने शिव कुंड में नहाने के लिए कूदे बच्चे की डूबने से मौत हो गई। इससे कुछ घंटे पहले ही एक बच्चा डूबने लगा था जिसे लोगों ने बचा लिया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 07:21 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 08:05 PM (IST)
ईंछापुरी मंदिर के साथ बने शिव कुंड में  नहाने उतरे बच्चे की डूबने से मौत
ईंछापुरी मंदिर के साथ बने शिव कुंड में नहाने उतरे बच्चे की डूबने से मौत

संवाद सहयोगी, पटौदी (गुरुग्राम): ईंछापुरी के प्राचीन शिव मंदिर में बने शिव कुंड में नहाने के लिए कूदे बच्चे की डूबने से मौत हो गई। इससे कुछ घंटे पहले ही एक बच्चा डूबने लगा था, जिसे लोगों ने बचा लिया। एक दिन में हुई दो घटनाओं के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। बचाए गए बच्चे का नाम अमन है जो मां के साथ मंदिर आया था। कुंड में पैर धुलते समय वह फिसल कर गिर गया था।

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गुरुग्राम की अमनपुरा कालोनी निवासी सात वर्षीय मनीष ममेरे भाई के साथ सोमवार को मंदिर में पूजा के लिए आए थे। शिव मूर्ति के दर्शन करने से पहले लोगों को कुंड में नहाता देख मनीष भी नहाने लगा। इस बीच मनीष के साथ नहा रहे अन्य लोग कुंड से निकल आए। मनीष बीच में चला गया और डूब गया। जब वह दस मिनट तक बाहर नहीं आया तो मनीष के साथ आए ममेरे भाई ने शोर मचाया तो लोग कुंड में कूदे और बेसुध हो चुके मनीष को बाहर निकाला। मनीष को अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया।

कुंड के चारों ओर सुरक्षा इंतजाम करने की जरूरत

संवाद सहयोगी, पटौदी: ईंछापुरी के प्राचीन शिव मंदिर के पास बने शिव कुंड में डूबने से पहली बार किसी की मौत नहीं हुई। पहले भी दो लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में यहां सुरक्षात्मक कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है। पहले यहां पर तालाब हुआ करता था। कुछ समय पूर्व ही श्रद्धालु भक्तों के सहयोग से शिव कुंड का रूप दिया गया है। कुंड में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा स्थापित कर मंदिर की दिशा में स्नान व पूजा आदि के लिए सीढि़यां भी बनाई गई हैं ताकि मंदिर आने वाले कांवड़िए व अन्य श्रद्धालु इसमें स्नान भी कर सकें।

पहले इस कुंड में नहर से पानी लाकर छोड़ा गया था ताकि श्रद्धालुओं को नहाने की सुविधा मिलने के साथ साथ इससे गिरते भूमि जल स्तर को भी कुछ ऊंचा उठाया जा सके। इस बार हुई वर्षा से मंदिर व आसपास की खेतों का पानी भी इसमें भर गया है व इसमें पानी दस फुट से अधिक तक पहुंच गया है। इस कुंड की स्थापना तो श्रद्धा भाव से व श्रद्धालुओं को सुविधा देने के उद्देश्य से गई थी परंतु बच्चे भी यहां आ जाते हैं। वे इस कुंड में कूद कर नहाने लगते हैं। जिन्हें तैरना आता है, उन्हें तो कोई दिक्कत नहीं होती परंतु जिन्हें तैरना नहीं आता उनकी जान तक चली जाती है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि या तो कुंड का पानी का स्तर चार पांच फुट से अधिक न होने दिया जाए या फिर इसमें चारों तरफ रेलिग लगाकर अंदर लोगों को जाने से रोका जाए।

इधर, इस बारे में शिव मंदिर धर्मार्थ व दनार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष रमेश गर्ग का कथन है कि वर्षा से कुंड के जल में बढ़ोतरी हो गई है। उनके अनुसार श्रद्धालु यदि सीढि़यों पर स्नान करें तो किसी के डूबने के खतरा नहीं होगा परन्तु बच्चे तालाब में देखा देखी छलांग लगाते हैं व मना करने पर लड़ने लगते हैं। खुले में होने के चलते न पुलिस वहां चौबीस घंटे पहरा दे सकती है न ही ट्रस्ट के लोग। उनके अनुसार ट्रस्ट इसका नया नक्शा बनवा रहा है तथा इसमें चार धाम स्थापित करने के साथ साथ इसे सुरक्षित बनाने की दिशा में भी प्रयास करेगा। ट्रस्ट यह भी प्रयास करेगा कि इसमें जल पांच फुट से ज्यादा न हो।


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