आस्था का पर्व:: उगते सूरज को अर्घ्य देकर संपन्न हुआ महापर्व छठ
'उगा हो सुरुजदेव भिन भिनसरवा, अरघ केर बेरवा पूजन केर बेरवा हो, बड़की पुकारे देव दूनों कर जोरवा, अरघ केर-बेरवा..'। बुधवार सुबह तीन बजे से ही साइबर सिटी के तीस से अधिक छठ घाटों पर ऐसे ही गीतों से व्रती महिलाएं और श्रद्धालु भगवान भास्कर से जल्दी उदय होने के लिए गुहार लगा रहे थे। लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन व्रतियों ने सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर सूर्य देव को दूसरा अघ्र्?य दिया। सूर्य को आखिरी अघ्र्?य देने के बाद छठ व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया और 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन किया।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: 'उगा हो सुरुजदेव भिन भिनसरवा, अरघ केर बेरवा पूजन केर बेरवा हो, बड़की पुकारे देव दूनों कर जोरवा, अरघ केर-बेरवा..।' बुधवार सुबह तीन बजे से ही साइबर सिटी के तीस से अधिक छठ घाटों पर ऐसे ही गीतों से व्रती महिलाएं और श्रद्धालु भगवान भास्कर से जल्दी उदय होने के लिए गुहार लगा रहे थे। लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन व्रतियों ने सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर सूर्य देव को दूसरा अर्घ्य दिया। सूर्य को आखिरी अर्घ्य देने के बाद छठ व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया और 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन किया। कई श्रद्धालु ऐसे भी थे जो कल डूबते सूरज को अर्घ्य देने के बाद से ही घाटों पर रुके हुए थे। बड़े आयोजन स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और झांकियां भी निकाली गई, जिसने मैथिली-भोजपुरी की पूर्वांचली मिठास घोला।
- इन जगहों पर हुआ आयोजन
शहर में सबसे बड़ा आयोजन शीतला माता मंदिर परिसर स्थित ब्रह्मा सरोवर में हुआ जहां तीस हजार से अधिक श्रद्धालु अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचे। यहां पाटलीपुत्र सांस्कृतिक चेतना समिति ने आयोजन कराया। वहीं, सेक्टर-4 स्थित फाउंटेन पार्क में पर्व समन्वय समिति, सेक्टर-45 स्थित गांव कन्हई में छठ पूजा समिति, सेक्टर-41 स्थित शक्ति पीठ मंदिर परिसर में संपूर्ण पूर्वांचल महासंघ व सेक्टर-15 पार्ट-2 में मिथिलांचल जन सेवा समिति के सदस्यों द्वारा छठ घाट पर व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा सुखराली इन्क्लेव, राजेंद्र पार्क, सूरत नगर फेज-2, सेक्टर-46 पावर ग्रिड, सनी इन्क्लेव, कृष्णा कुंज, धर्म कॉलोनी, अशोक विहार, ओम विहार,
राजीव नगर, सेक्टर 40, सुशांत लोक फेज-3, सेक्टर 10-ए, सरस्वती इन्क्लेव, मौजी का कुआं, साउथ सिटी-1, सिरहौल, लक्ष्मण विहार, देवी लाल कॉलोनी, चकरपुर, सिकंदरपुर, द कादीपुर इंडस्ट्री एरिया व मानेसर समेत करीब तीन दर्जन छठ घाटों पर श्रद्धालु अर्घ्य देने पहुंचे। बड़े छठ घाटों पर बेहतर सफाई एवं सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने में प्रवासी एकता मंच व अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ यातायात पुलिस और प्रशासन नें भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
छठ को पूर्वांचल के बाहर किसी भी शहर में अगर इतने उत्साह के मनाया जा रहा हो तो सहज ही वहां के स्थानीय लोगों के सहयोग का अंदाजा लगाया जा सकता है।
- मनोरमा, श्रद्धालु छठ अब सिर्फ एक क्षेत्र विशेष का पर्व नहीं बल्कि ग्लोबल फेस्टिवल हो गया है। शहर में इस पर्व को इस खूबसूरती से मनाया जाता है कि गांव की याद नहीं आती।
- निक्की, श्रद्धालु पहले तो छठ के लिए हम गांव ही जाते थे, लेकिन पांच साल से यहीं भगवान भास्कर को अर्घ्य दे रहे हैं। यहां की व्यवस्था और बाजार गांव की कमी नहीं खलने देती।
- शैल मिश्रा, व्रती घाट पर आना अच्छा लगता है। मैं कई सालों से आती रही हूं। साल दर साल यहां की व्यवस्था भी अच्छी होती जा रही है और श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ रही है।
- कंचन माला, श्रद्धालु यहां इस पर्व की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छठ पूजा के दौरान बाजार में गागर, ¨नबू और सुथनी जैसे फल भी आसानी से मिल जाते हैं।
- खुशबू देवी, श्रद्धालु शुरुआत के कुछ सालों में तो दिक्कत हुई थी, लेकिन अब छठ से एक-दो सप्ताह पहले से ही यहां तैयारियां शुरू हो जाती है। हर मोहल्ले में छठ करने वाले मिल जाते हैं।
- संगीता, व्रती सात साल से हमलोग यहीं पर छठ कर रहे हैं और अब तो यहां गांव जैसा ही माहौल मिलने लगा है। दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले रिश्तेदार भी यहीं आ जाते हैं।
- राधिका, श्रद्धालु छठ पर गांव जाने के लिए पहले तो ट्रेन टिकट की मारामारी और फिर छुट्टियों के लिए भी समस्या हो जाती है। इसलिए तीन साल से हमलोग यहीं छठ मना रहे हैं।
- दीपिका, श्रद्धालु बच्चे यहीं रहने लगे हैं तो हमलोग 12 साल से छठ भी यहीं मनाने लगे हैं। यहां के घाटों पर भी वही पवित्रता मिलती है जो गांव के घाटों पर। यहां भी अच्छा लगता है।
-रेणु, व्रती यहां पर स्थानीय लोग और प्रशासन की व्यवस्था इतनी अच्छी रहती है कि पहले जहां हम छठ के लिए गांव जाते थे अब गांव से परिजन यहां आते हैं यहीं छठ मनाते हैं।
- सुनीता पांडे, श्रद्धालु मेरी सासू मां कई वर्षों से यहीं छठ कर रही हैं तो अब हमारे लिए तो यहीं का घाट गांव का छठ घाट है। यहां भी इस त्योहार को मनाते हुए बहुत अच्छा लगता है।
- पूनम, श्रद्धालु करीब 20 वर्ष से यहीं छठ कर रही हूं। अब तो कई जगह छठ घाट बनने लगे हैं और लगता है कि यहीं का त्योहार हो। स्थानीय लोगों का भी बहुत सहयोग मिलता है।
- जानकी देवी, व्रती