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सी-फार्म घोटाला: गुरुग्राम की नौ फर्म के खिलाफ शुरू हुई जांच

सी-फार्म घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा कसने लगा है। निदेशालय ने गुरुग्राम की 9 फर्मों के बारे में पूरी जानकारी आबकारी एवं कराधान विभाग से मांगी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 06:03 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:22 AM (IST)
सी-फार्म घोटाला: गुरुग्राम की नौ फर्म के खिलाफ शुरू हुई जांच
सी-फार्म घोटाला: गुरुग्राम की नौ फर्म के खिलाफ शुरू हुई जांच

आदित्य राज, गुरुग्राम

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सी-फॉर्म घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा कसने लगा है। निदेशालय ने गुरुग्राम की 9 फर्मो के बारे में आबकारी एवं कराधान विभाग से पूरी जानकारी मांगी है। कब पंजीकरण कराया गया, क्या कारोबार दिखाया गया, किन अधिकारियों ने इन फर्मों को सी-फॉर्म जारी किए, इन फर्मों का एसेसमेंट किन अधिकारियों ने किया, फर्मों को जारी करने वाले अधिकारियों की पोस्टिग कहां-कहां रही सहित ऐसे कई सवालों के जवाब विभाग को देने होंगे। इन सवालों से घोटाले की पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी।

दरअसल, विभाग के कई अधिकारियों के पर बिना कारोबार हुए ही कुछ फर्मों को सी-फॉर्म जारी करने का आरोप है। अब इस मामले में फर्मों से लेकर संबंधित विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद बढ़ी है। गत वर्ष बिना कारोबार हुए सी-फॉर्म जारी करने के साथ ही फर्जी फर्म बनाने के मामले में 9 अधिकारियों को निलंबित किया गया था, लेकिन कुछ महीने बाद सभी का निलंबन वापस ले लिया गया। लेकिन अब गलत करने वाले या लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है। प्रदेश सरकार ने भी सभी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने का मन बना लिया है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आबकारी एवं कराधान आयुक्त अमित अग्रवाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

किस तरह किया गया गड़बड़झाला

जीएसटी लागू होने से पहले अंतरराज्यीय कारोबार करने पर सी-फॉर्म का इस्तेमाल करने का प्रावधान था। उदाहरणस्वरूप जीएसटी लागू होने से पहले अगर गुरुग्राम का कारोबारी दिल्ली या कहीं से भी माल खरीदता था तो वह दिल्ली के कारोबारी को सी-फॉर्म देता था। इससे गुरुग्राम के कारोबारी को केवल दो प्रतिशत ही टैक्स देना पड़ता था। सी-फॉर्म नहीं देने पर गुरुग्राम के कारोबारी को उतना टैक्स देना पड़ता था, जितना टैक्स देकर दिल्ली के कारोबारी ने पीछे से माल खरीदा था।

कीमत कम हो जाए, इसके लिए अंतरराज्यीय कारोबार करने पर टैक्स में छूट का प्रावधान किया गया था। लेकिन इसका गलत फायदा दूसरे राज्यों में कारोबार करने वालों ने उठा लिया। गुरुग्राम या हरियाणा के किसी जिले में पहले फर्जी कंपनी बनाई गई। फिर फर्जी कंपनी का किसी राज्य में कारोबार दिखाकर सी-फॉर्म हासिल कर लिया गया। सी-फॉर्म हासिल करने के बाद दूसरे राज्य के कारोबारियों ने अपनी राज्य सरकार से रिफंड मांग लिया। अनुमान है कि अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही से 900 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार के बोगस सी-फॉर्म हुए।

बोगस सी-फॉर्म जारी करने का मामला काफी गंभीर है। जो भी अधिकारी एवं कर्मचारी जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही जिन फर्मों ने लाभ उठाया या उठाने का प्रयास किया है, उन सभी की न केवल पहचान की जाए बल्कि उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

-नवीन गुप्ता, संरक्षक, डिस्ट्रिक्ट टैक्सेशन बार एसोसिएशन, गुरुग्राम


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