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सीबीएसई परिणाम: मंजोत को 'मन की रोशनी' ने दिखाई कामयाबी की राह

मंजोत का नाम ही उनकी पहचान कहा जा सकता है। उनकी आंखों में जोत भले न हो लेकिन उनकी मन की ज्योति उन्हें मंजिल तक की राह दिखाती है। मंजोत ने शत-प्रतिशत ²ष्टि दिव्यांग्ता के बावजूद बेहतरीन प्रदर्शन दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 06:30 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2019 06:30 PM (IST)
सीबीएसई परिणाम: मंजोत को 'मन की रोशनी' ने दिखाई कामयाबी की राह
सीबीएसई परिणाम: मंजोत को 'मन की रोशनी' ने दिखाई कामयाबी की राह

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

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मंजोत का नाम ही उनकी पहचान कहा जा सकता है। उनकी आंखों में 'जोत' भले न हो लेकिन, उनकी मन की ज्योति उन्हें मंजिल की राह दिखाती है। मंजोत ने शत-प्रतिशत ²ष्टि दिव्यांग्ता के बावजूद बेहतरीन प्रदर्शन किया। नन्हीं सी उम्र में पहले बोन कैंसर की त्रासदी से उबरा तो आंखों की रोशनी खो दी, परिवार के लिए परेशानियां आई लेकिन मंजोत ने कभी हार नहीं मानी। आत्मविश्वास ने दी सफलता का ²ष्टि

दिल्ली पब्लिक स्कूल सेक्टर 45 के छात्र मंजोत ने 92.2 प्रतिशत अंक प्राप्त करके दिखा दिया कि शारीरिक दिव्यांगता लगन व जज्बे को कम नहीं कर सकती। वे देख नहीं सकते लेकिन अपनी इस परेशानी को कभी आड़े नहीं आने दिया। अपनी इस परेशानी को अपनी हिम्मत बना लिया और इस वजह से उनके मन में कुछ बेहतर कर गुजरने का जज्बा जागा। वरदान साबित हुई टेक्नोलॉजी

सॉफ्टवेयर की मदद से नोट्स पढ़ते थे। नौनिहाल सिंह और निर्मल कौर ने अपने बेटे की सफलता पर कहा कि मंजोत ने हमेशा मेहनत की है, ऐसे में इस सफलता की उम्मीद थी। हालांकि मंजोत ने कंप्यूटर के अंकों पर संतुष्टि नहीं जताई और उन्होंने री-वैल्युएशन के लिए आवेदन करेंगे। गिटार बजना, चेस खेलना, कंप्यूटर प्रोग्रामिग का शौक रखते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में कोर्स करने की चाह

मंजोत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में कोर्स करना चाहते हैं। इसके लिए कई विदेशी विश्वविद्यालयों से कॉल भी आई लेकिन आर्थिक संकट की वजह से वे दाखिला नहीं ले पा रहे हैं। वे कैंसर सर्वाइवर हैं। छह वर्ष की उम्र से ही बोन कैंसर झेल रहे मंजोत को इलाज के लिए ब्रेक लेना पड़ा और उसी वजह से उनकी ²ष्टि चली गई। इलाज में आर्थिक स्थिति डगमगा गई लेकिन मनजोत ने मन की ज्योति को हमेशा जलाए रखा। दिव्यांगों की शिक्षा को लेकर काम करने की चाह

मंजोत के मुताबिक देश में अपनी तरह के अन्य लोगों की मदद करना चाहते हैं और ऐसे में टेक्नोलॉजी से बेहतर माध्यम कोई नहीं हो सकता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह संभव है। वे इसके लिए बेहतर टेक्नोलॉजी इजाद करना चाहते हैं।

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