एनबीसीसी प्रोजेक्ट की सीबीआइ जांच की फाइल ठंडे बस्ते में
नेशनल बिल्डिग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) के अधिकारी सेक्टर-37डी के ग्रीन व्यू प्रोजेक्ट की सीबीआइ जांच से क्यों बच रहे हैं? एनबीसीसी की आंतरिक कमेटी के आग्रह पर भी सीएमडी सीबीआइ जांच के लिए फाइल आगे क्यों नहीं बढ़ा रहे?
महावीर यादव, गुरुग्राम
नेशनल बिल्डिग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) के अधिकारी सेक्टर-37डी के ग्रीन व्यू प्रोजेक्ट की सीबीआइ जांच से क्यों बच रहे हैं? एनबीसीसी की आंतरिक कमेटी के आग्रह पर भी सीएमडी सीबीआइ जांच के लिए फाइल आगे क्यों नहीं बढ़ा रहे? निवेशकों को बिना ब्याज के ही रिफंड देने की बात क्यों की जा रही है?
कंडम की गई सोसायटी के फ्लैट मालिकों के सवालों का जवाब एनबीसीसी के अधिकारियों के पास नहीं है। एनबीसीसी के अधिकारी सीबीआइ जांच की पेशकश की फाइल को ही दबाए बैठे हैं। बिना ब्याज के रिफंड देने की एनबीसीसी की पेशकश के बाद फ्लैट मालिक बेहद गुस्सा है। उनका कहना वे ब्याज के साथ रिफंड और मानसिक उत्पीड़न का मुआवजा के बिना चैन से नहीं बैठेंगे। इसके लिए चाहे उन्हें आंदोलन करना पड़े या अदालत का रुख करना पड़े। सेक्टर-37डी के एनबीसीसी के ग्रीन व्यू प्रोजेक्ट में लोगों के रहना शुरू करने के कुछ दिन बाद ही शिकायतों का दौर शुरू हो गया। लगातार शिकायतों के बाद एनबीसीसी में पूरे प्रोजेक्ट का इंफ्रास्ट्रक्चर स्ट्रक्चरल आडिट कराने की बात कही। आइआइटी दिल्ली और सेंट्रल बिल्डिग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने स्ट्रक्चरल आडिट कर अक्टूबर 2020 में रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में सोसायटी को लोगों के रहने के लिए सुरक्षित नहीं बताया। निर्माण में घटिया सामग्री और कई खामियों को उजागर किया गया था।
इस रिपोर्ट के बाद एनबीसीसी ने अपनी एक कमेटी का गठन किया। एनबीसीसी की आंतरिक कमेटी ने 27 जनवरी 2022 को एनबीसीसी को रिपोर्ट सौंपी। आंतरिक कमेटी ने रिपोर्ट में खामियों के साथ पूरे प्रोजेक्ट में मोटा घपला होने की बात कही गई। कमेटी ने एनबीसीसी के सीएमडी से इस पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने का भी आग्रह किया था। इस कमेटी ने भी प्रोजेक्ट में अनेकों खामियां उजागर की। स्लैब का लटकना और टाइल्स आदि का टूटना इसमें शामिल है।
टाइल्स आदि लगाने के लिए सीमेंट की मोटाई 10 से 12 सेंटीमीटर होना चाहिए थी। जो कि जांच के दौरान मात्र तीन से पांच सेंटीमीटर ही लगी पाई गई। निर्माण सामग्री की गुणवत्ता ठीक नहीं पाई गई। पिलर के सरिया सीमेंट की कमी के कारण बाहर दिखाई दे रहे हैं। बाहर होने के कारण उनमें जंग भी लग रहा है। कमेटी ने इस पूरे स्ट्रक्चर को दोबारा से ठीक करने के लिए करीब 270 करोड़ रुपये की लागत का अनुमानित प्रस्ताव भी एनबीसीसी के अधिकारियों को दिया था। रिपोर्ट में पूरे प्रोजेक्ट की जांच सीबीआइ से कराने के लिए भी पेशकश की गई थी। सीबीआइ जांच के लिए एनबीसीसी के अधिकारी इस फाइल को भेजने की बजाय दबाए बैठे हैं। एनबीसीसी के अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए किसी भी अधिकारी से संपर्क नहीं हो सका। जनवरी में आंतरिक कमेटी ने सीबीआइ जांच के सिफारिश की थी। उसे भी अधिकारी दबाए बैठे हैं। निवेशकों के साथ ठगी कर एनबीसीसी के अधिकारी अब हमें बिना ब्याज के ही रिफंड लेने की बात कह रहे हैं। हम ब्याज सहित रिफंड और मानसिक उत्पीड़न के लिए मुआवजा भी लेकर ही दम लेंगे।
आरसी ठाकुर, अध्यक्ष, एनबीसीसी फ्लैट अलाटी एसोसिएशन, सेक्टर-37डी (गुरुग्राम) एनबीसीसी ने निवेशकों के साथ पूरी तरह से ठगी की है। प्रोजेक्ट में शुरू दिन से ही खामियां हैं। पूरे मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। एनबीसीसी सीबीआइ जांच से क्यों बच रही है। जीवन भर की पूंजी लगाकर हम अपने आशियाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
प्रदीप कुमार चड्ढा, महासचिव, एनबीसीसी फ्लैट अलाटी एसोसिएशन, सेक्टर-37डी (गुरुग्राम)