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बिल्डरों से सावधान: एनडीसी पोर्टल पर अटकी आधे शहर की रजिस्ट्री

शहर में एनडीसी पोर्टल से अदेयता प्रमाण पत्र लेने के बाद ही रजिस्ट्री हो रही है। खास बात ये है कि मर्जी से प्लाटों के टुकड़े (सब-डिवीजन) कर बहुमंजिला इमारतें खड़ी करने वालों की रजिस्ट्री पर रोक लग गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 06:22 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 06:22 PM (IST)
बिल्डरों से सावधान: एनडीसी पोर्टल पर अटकी आधे शहर की रजिस्ट्री
बिल्डरों से सावधान: एनडीसी पोर्टल पर अटकी आधे शहर की रजिस्ट्री

संदीप रतन, गुरुग्राम

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अगर आप पुराने गुरुग्राम की किसी कालोनी में प्लाट या फ्लोर खरीदने जा रहे हैं तो पहले पूरी जांच पड़ताल कर लें। रजिस्ट्री के नए नियमों से आधे शहर की रजिस्ट्रियां अटक गई हैं। लगभग सात माह पहले शुरू किए गए एनडीसी (नो-ड्यूज सर्टिफिकेट) पोर्टल से अदेयता प्रमाण पत्र लेने के बाद ही रजिस्ट्री हो रही है। खास बात ये है कि मर्जी से प्लाटों के टुकड़े (सब-डिवीजन) कर बहुमंजिला इमारतें खड़ी करने वालों की रजिस्ट्री पर रोक लग गई है।

पुराने शहर की ज्यादातर कालोनियों में ऐसी हजारों अवैध इमारतें बन चुकी हैं। बिल्डर सस्ते फ्लोर का झांसा देकर प्रापर्टी तो बेच रहे हैं, लेकिन लाखों रुपये की प्रापर्टी खरीदने के बाद रजिस्ट्री नहीं होने से इसके खरीदार तहसील और नगर निगम में चक्कर काट रहे हैं। मुख्य नगर योजनाकार मधुस्मिता का कहना है कि प्लाट के सब-डिवीजन की निगम से स्वीकृति लेना जरूरी है। क्या होता है सब-डिवीजन

सब-डिवीजन यानी किसी भी प्लाट को टुकड़ों में बांट देना। उदाहरण के तौर पर अगर 200 गज का प्लाट है तो उसको दो भागों 100-100 गज में बांटकर अगर नगर निगम से बिना सब-डिवीजन की स्वीकृति लिए निर्माण कर लिया जाता है तो इसे अवैध निर्माण माना जाएगा और इसका नो-ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा व रजिस्ट्री नहीं होगी। नियमों के मुताबिक प्लाट के टुकड़े करते वक्त पहले नगर निगम में निर्धारित फीस जमा करवानी होती है। उसके बाद प्लाट पर निर्माण के लिए बिल्डिग का नक्शा मंजूर करवाना होता है। लेकिन पुराने शहर की कालोनियों में बिल्डर नियमों की अवहेलना कर लोगों के लिए आफत पैदा कर रहे हैं।

इन 18 कालोनियों में सब-डिवीजन पर है रोक

शहर में न्यू कालोनी, भीम नगर, अर्जुन नगर और चार-आठ मरला कालोनी को पुनर्वास योजना के तहत बसाया गया था। इन चारों कालोनियों में प्लाट के टुकड़े करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा शिवाजी नगर, सुभाष नगर, जवाहर नगर, प्रेम नगर, इंदिरापुरी, शिवपुरी, नई बस्ती, प्रताप नगर, विजय पार्क, वसंत अपार्टमेंट, अपना एंकलेव, सुभाष नगर वेस्ट, नेहरू लेन, मियांवाली कालोनी में टीपी स्कीम यानी टाउन प्लानिग स्कीम लागू है। इन कालोनियों में प्लाट को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता है। लेकिन प्लाट को कई भागों में बांटकर अवैध निर्माण कार्य जारी हैं। बिल्डरों ने नियम विरुद्ध काटे प्लाट, खड़े किए फ्लोर

पुराने गुरुग्राम के कादीपुर, शिवाजी नगर, शांति नगर, राजेंद्रा पार्क, बसई क्षेत्र, ज्योति पार्क, कीर्ति नगर, पटेल नगर, भीमनगर, शीतल कालोनी, अशोक विहार, आयुध डिपो के 900 मीटर प्रतिबंधित क्षेत्र सहित अन्य कालोनियों में बिल्डरों ने प्लाट के टुकड़े करते वक्त निगम से सब-डिवीजन की मंजूरी नहीं ले रखी है। इसके कारण बिल्डर फ्लोर या मकान खरीदने के बाद इसकी रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी। बिल्डर फ्लोर की रजिस्ट्री भी तब होगी जब आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नगर निगम से लिया जाएगा। यह सर्टिफिकेट भी तब मिलता है, जब निगम से स्वीकृत कराए गए नक्शे के मुताबिक ही निर्माण हो। ज्यादातर बिल्डर नक्शे के हिसाब से इमारतों का निर्माण नहीं कर रहे हैं। क्या है एनडीसी और कौन से कागजात हैं जरूरी

- एनडीसी पोर्टल सात माह पहले स्थानीय निकायों के लिए सरकार ने लागू किया था ताकि रजिस्ट्री से पहले निगमों या निकायों के बकाया शुल्क की वसूली हो और राजस्व का नुकसान न हो।

- नो-ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) के लिए एनडीसी पोर्टल पर आवेदन करना होता है।

- इसके बिना किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है।

- नो-ड्यूज सर्टिफिकेट के लिए निगम में विकास शुल्क, पेयजल-सीवर शुल्क, संपत्ति कर, फायर कर और ठोस अवशेष का पहले जमा होना जरूरी है।


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