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लघु एवं मध्यम उद्योगों पर दबाव बनाने से बिगड़ेगी औद्योगिक सेहत

एनसीआर चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री गुरुग्राम के अध्यक्ष एचपी यादव ने कहा कि बैंकों द्वारा लघु एवं मध्यम उद्योगों पर बकाया ऋण के ब्याज की वसूली को लेकर जिस प्रकार से दबाव बनाया जा रहा है वह उचित नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 06:23 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 06:23 PM (IST)
लघु एवं मध्यम उद्योगों पर दबाव बनाने से बिगड़ेगी औद्योगिक सेहत
लघु एवं मध्यम उद्योगों पर दबाव बनाने से बिगड़ेगी औद्योगिक सेहत

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: एनसीआर चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री, गुरुग्राम के अध्यक्ष एचपी यादव ने कहा कि बैंकों द्वारा लघु एवं मध्यम उद्योगों पर बकाया ऋण के ब्याज की वसूली को लेकर जिस प्रकार से दबाव बनाया जा रहा है वह उचित नहीं है। इससे औद्योगिक सेहत और खराब होगी। अभी कोविड-19 के दुष्प्रभाव से उद्योग पूरी तरह से उबर नहीं आए हैं ऐसे में बैंकों के दबाव से वह बुरी तरह से प्रभावित होंगे। चैंबर के अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर शशिकांत दास को पत्र लिखा है। जिसमें मांग की गई है कि अगले वित्त वर्ष तक बैंकों के ऋण वसूली पर रोक लगाई जाए।

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एचपी यादव ने कहा कि केंद्र सरकार से ऋण एवं ब्याज वसूली की रोक की अवधि को दिसंबर 2021 तक बढ़ाया जाए। कोरोना महामारी से उपजे संकट से एमएसएमई क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयां खस्ता वित्तीय हालात से गुजर रही हैं। ऋण वसूली पर रोक लगा कर इन्हें पुन: उठ खड़े होने की दिशा में मदद की जा सकती है। कोविड-19 को लेकर घोषित किए गए लाकडाउन के बाद से ही एमएसएमई क्षेत्र के उद्योगों की समस्या शुरू हो गई थी। अभी तक इनकी स्थिति में सुधार होता नहीं दिख रहा है। बाजार में विभिन्न प्रकार के उत्पादों की कम मांग से लघु एवं मध्यम उद्योग संकट में हैं। चैंबर के अध्यक्ष ने कहा कि इस क्षेत्र की बेहतरी के लिए ठोस उपाय किए जाने की जरूरत है।

एमएसएमई क्षेत्र का निर्यात में बड़ा योगदान है। साथ ही इस क्षेत्र के उद्योग बड़े रोजगार प्रदाता हैं। इन्हें बचाने और इनकी स्थिति को बेहतर करना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत जरूरी हैं। उद्योगों पर ऋण एवं बकाया ब्याज मार्च, 2021 तक जमा कराने का दबाव डाला जा रहा है। ऐसा उस समय हो रहा है जब कच्चे माल के भाव आसमान छू रहे हैं। ऐसी स्थिति में बैंकों का दबाव कंपनी बंद कराने वाला साबित हो सकता है।


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