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खटाई में पड़ सकता है सीआइएसएफ ट्रेनिग सेंटर बनाने का मामला

अरावली की गोद में बसे गांव मंडावर में सीआइएसएफ के ट्रेनिग सेंटर बनाने का मामला खटाई में पड़ सकता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 05:50 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 05:50 PM (IST)
खटाई में पड़ सकता है सीआइएसएफ ट्रेनिग सेंटर बनाने का मामला
खटाई में पड़ सकता है सीआइएसएफ ट्रेनिग सेंटर बनाने का मामला

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: अरावली की गोद में बसे गांव मंडावर में सीआइएसएफ के ट्रेनिग सेंटर बनाने का मामला खटाई में पड़ सकता है। सेंटर बनाने के निर्णय के खिलाफ मामला एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में पहुंच चुका है। इस बारे में पहली सुनवाई 14 नवंबर को थी। अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी जिसमें प्रधान मुख्य वन संरक्षक को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।

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एनजीटी में अर्जी डालने वाले मानेसर के पूर्व सरपंच रामअवतार यादव का कहना है कि सोहना इलाके का गांव मंडावर पूरी तरह अरावली पहाड़ी की गोद में बसा है। इलाके में घनी हरियाली होने की वजह से काफी संख्या में वन्य जीव रहते हैं। इसका प्रमाण यह है कि कई बार रिहायशी इलाकों में वन्य जीव प्रवेश कर चुके हैं। दो वन्य जीवों की मौत भी हो चुकी है। ऐसी स्थिति में इलाके की 260 एकड़ भूमि पंचायत द्वारा सीआइएसएफ को देना गलत है।

रामअवतार यादव का कहना है कि अरावली के साथ किसी भी कीमत पर छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। यह दिल्ली-एनसीआर के लिए जीवनदायिनी है। पहले ही इसके साथ काफी छेड़छाड़ हो चुकी है। एक तरफ दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण की समस्या का दंश झेल रहा है वहीं दूसरी तरफ अरावली पहाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा के ऊपर कोई ध्यान नहीं। यदि अरावली नहीं बची फिर सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। अरावली पहाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा ही दिल्ली-एनसीआर की सुरक्षा है। आखिर वन्य जीव कहां जाएं?

पूर्व सरपंच रामअवतार यादव कहते हैं कि अरावली पहाड़ी क्षेत्र में तेंदुआ, लकड़बग्घा, खरगोश, हिरण, नीलगाय सहित कई प्रकार के काफी संख्या में वन्य जीव हैं। गैर वानिकी कार्यो की वजह से वे अशांत हो रहे हैं। आवश्यकता है इन्हें बचाने की। ये तभी बचेंगे जब अरावली बचेगी।


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