बिजली संकट बढ़ने की आशंका के बीच उद्योग जगत में बढ़ी हलचल
चीन में पिछले लगभग दो माह से जारी बिजली संकट के बाद अब देश में भी इसी प्रकार के वातावरण की आशंका जताई जा रही है। गुरुग्राम के उद्योग जगत में भी काफी हलचल है। उद्यमियों का कहना है कि बिजली का उत्पादन प्रभावित होने से पहले सरकार को कोयले का उचित प्रबंध कर लेना चाहिए।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
चीन में पिछले लगभग दो माह से जारी बिजली संकट के बाद अब देश में भी इसी प्रकार के वातावरण की आशंका जताई जा रही है। गुरुग्राम के उद्योग जगत में भी काफी हलचल है। उद्यमियों का कहना है कि बिजली का उत्पादन प्रभावित होने से पहले सरकार को कोयले का उचित प्रबंध कर लेना चाहिए। अक्टूबर से लेकर मार्च तक का समय औद्योगिक सेहत में सुधार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस अवधि में यदि दिक्कत आई तो कोविड-19 महामारी के नकारात्मक प्रभाव से जूझ रहे उद्योगों की कमर ही टूट जाएगी। देश के लगभग 70 प्रतिशत पावर प्लांटों में कोयले से ही बिजली बनाई जाती है। औद्योगिक इकाइयों में भी कोयले का इस्तेमाल बायलर के संचालन में भी किया जाता है।
हरियाणा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के चेयरमैन किशन कपूर बताते है कि यदि यह सही है कि देश में मात्र 10 दिन के लिए ही कोयला पावर प्लांट के पास हैं तो यह उद्योगों के लिए बड़ी चिता का विषय है। इनका कहना है कि एसोसिएशन की सदस्य कंपनियों द्वारा इसे लेकर लगातार चिता जताई जा रही है। देश में कोयले की कुल खपत का 75 प्रतिशत अकेले बिजली उत्पादन पर खर्च होता है। उद्यमियों का कहना है कि कोयले की कमी हुई तो स्थिति क्या होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
गुरुग्राम देश का सबसे बड़ा आटोमोबाइल हब है। साथ ही यहां अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, नार्वे, डेनमार्क और स्वीडन सहित अन्य पश्चिमी देशों को यहां से परिधानों का निर्यात किया जाता है। यदि कोयले की कमी के कारण बिजली संकट खड़ा होता है तो विदेशी आर्डर को पूरा करना असंभव हो जाएगा। इससे देश के निर्यात की साख भी प्रभावित होगी। औद्योगिक इकाइयों में बायलर में भी कोयले का इस्तेमाल किया जाता है। कोयले की कमी से बिजली संकट की आशंका प्रबल हो गई है। औद्योगिक कामकाज के लिए फेस्टिवल सीजन महत्वपूर्ण होता है यदि ऐसे में समय में औद्योगिक बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई तो स्थिति गंभीर हो जाएगी।
अनिमेश सक्सेना, अध्यक्ष, उद्योग विहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन निश्चित रूप से कोयले की कमी से बिजली संकट बढ़ेगा। इससे सिर्फ गुरुग्राम ही नहीं देश भर में उद्योगों के समक्ष बड़ा संकट खड़ा होने जा रहा है। यदि समय रहते सरकार कोयले के पर्याप्त स्टाक की व्यवस्था नहीं करती है तो उद्योगों के लिए आने वाला समय सबसे बड़ा वाला होगा। जिसका असर औद्योगिक उत्पादन से लेकर रोजगार पर भी भारी पड़ेगा।
दीपक मैनी, महासचिव, फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री, हरियाणा यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो उद्योग फिर से ट्रैक से उतर जाएंगे। बिजली के अभाव में डीजल जेनरेटर के माध्यम से उत्पादन करना बड़े घाटे का सौदा होगा। जहां बिजली से उत्पादन पर प्रति यूनिट आठ रुपये का खर्च आता है वही बढ़कर लगभग 35 रुपये प्रति यूनिट हो जाता है। कोयले के पर्याप्त प्रबंध के लिए चैंबर प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखने जा रहा है।
एसके आहूजा, महासचिव, गुड़गांव चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री