जन भागीदारी से बढ़ेगा वन क्षेत्र, लोगों में जागरूकता पैदा करने की जरूरत
ग्रामीण क्षेत्रों के भी लगातार होते शहरीकरण के बीच वन क्षेत्र बढ़ाने की बेहद जरूरत है।
महावीर यादव, बादशाहपुर
ग्रामीण क्षेत्रों के लगातार होते शहरीकरण के बीच वन क्षेत्र बढ़ाने की बेहद जरूरत है। अगर इसी तरह कंक्रीट के जंगल बढ़ते रहे और वन क्षेत्र कम होते रहे तो एक दिन सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। पौधारोपण के लिए वन विभाग साल दर साल अभियान तो चलाता है, लेकिन पौधारोपण के बाद उनकी देखभाल की चिंता किसी को नहीं होती। वन विभाग को पौधारोपण के बाद कम से कम तीन से चार साल तक उनकी देखभाल करने के लिए एक मॉनिटरिग कमेटी बनाने की जरूरत है।
पौधारोपण में दिलचस्पी रखने वाले और पर्यावरण की चिता करने वाले कुछ लोगों से दैनिक जागरण ने इस बारे में बातचीत की तो यह तथ्य उभर कर सामने आया कि वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए जन भागीदारी बढ़ानी होगी। पौधारोपण के लिए जन आंदोलन शुरू करने की जरूरत है। जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि पर हर व्यक्ति पौधारोपण करे और उसके बाद उसकी परवरिश की भी जिम्मेदारी ले तभी पौधारोपण मुहिम सफल हो सकती है। पंचायतों को साथ ला उनको भागीदार बनाने की जरूरत
वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए वन विभाग को ग्राम पंचायतों को अपने साथ जोड़ने की जरूरत है। जिला में अरावली का काफी क्षेत्र फैला हुआ है। जिला के 42 गांव में अरावली पहाड़ियों का हिस्सा आता है। इसमें पंचायतों की काफी जमीन है। अरावली के अलावा भी सभी ग्राम पंचायतों के पास जमीन है। उस जमीन में पंचायतों को भागीदार बनाकर पौधारोपण किया जाए। पंचायतों को पौधरोपण के बाद 3 से 4 साल तक उस पौधे की परवरिश की जिम्मेदारी दी जाए। वन विभाग पंचायती जमीन में पौधारोपण तो अभी भी करता है, लेकिन खानापूर्ति के लिए ग्राम पंचायत से प्रस्ताव लेकर पौधारोपण कर देता है। उसके बाद उस पौधे की देखभाल करने की जरूरत ना तो वन विभाग समझता है और ना ही पंचायत जिम्मेदारी लेती है। पौधारोपण के बाद पौधे को जिदा रखने के लिए उसके साथ 3 से 4 साल तक परिश्रम करने की जरूरत है। शहर की आबादी के हिसाब से अगर एक व्यक्ति भी एक पौधे को पालने की जिम्मेदारी ले, तो 1 साल में ही बड़ा वन क्षेत्र खड़ा हो सकता है। व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र का निर्माण होता है। इसी भावना के साथ एक-एक व्यक्ति को पौधारोपण की जिम्मेदारी को समझना होगा। जन भागीदारी बढ़ेगी तो ही वन क्षेत्र बढ़ सकता है। सरकार और वन विभाग अपने स्तर पर प्रयास करते रहते हैं। इन प्रयासों में लोगों को अपनी भागीदारी दिखाने के लिए आगे आना होगा।
विकास शर्मा, पर्यावरण प्रहरी शहर में कंक्रीट का जंगल लगातार बढ़ता जा रहा है। सोसायटी और सेक्टरों में रहने वाले लोगों को आसपास खाली जगह और पार्क आदि में पौधारोपण के लिए जागरूक करने की जरूरत है। पौधारोपण प्रत्येक व्यक्ति उत्सव के तौर पर करे। अपने जन्मदिन, शादी की सालगिरह या अपने माता पिता के नाम पर पौधारोपण करना चाहिए। ऐसे अवसर पर पौधारोपण करने से उस पौधे के प्रति उस व्यक्ति का विशेष लगाव रहेगा और वह इस पौधे को पालने के लिए भी हमेशा सजग रहेगा। शास्त्रों में भी उल्लेख है कि पेड़ लगाने से जो पुण्य मिलता है, वह किसी दूसरे काम में नहीं मिलता।
राजेंद्र कुमार, पर्यावरण प्रहरी वन विभाग हर साल लाखों पौध तैयार करता है। उन पौधों को विभिन्न संगठनों के माध्यम से लगाया जाता है। अधिकतर लोग एक-दूसरे की देखा-देखी वन विभाग की नर्सरी से पौध लाकर लगा देते है लेकिन अधिकतर लोग उसकी परवरिश के बारे में नहीं सोचते। लोगों की भागीदारी और उनमें पेड़ों के प्रति लगाव पैदा करने से ही वन क्षेत्र बढ़ेगा। आज विकास के नाम पर बड़े-बड़े पेड़ों को काट दिया जाता है। किसी बड़े प्रोजेक्ट के बीच में आने वाले पेड़ को काटने की बजाय उसको ट्रांसप्लांट करने की भी योजना बनाई जानी चाहिए।
लतिका ठुकराल, पर्यावरण प्रहरी