डीएपी की कमी के बाद बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिता
पहले खाद नहीं मिलने से सरसों की बिजाई समय से नहीं कर पाए थे और अब बारिश होने से आठ से दस दिन खेत बिजाई करने लायक नहीं रहे। जिन किसानों ने सरसों बो दी थी छोटी फसल होने से उन्हें भी नुकसान है।
संवाद सहयोगी, फरुखनगर: रविवार की दोपहर व सोमवार सुबह हुई बारिश ने डीएपी के लिए तरस रहे किसानों की चिता और बढ़ा दी हैं। पहले खाद नहीं मिलने से सरसों की बिजाई समय से नहीं कर पाए थे और अब बारिश होने से आठ से दस दिन खेत बिजाई करने लायक नहीं रहे। जिन किसानों ने सरसों बो दी थी, छोटी फसल होने से उन्हें भी नुकसान है। गेहूं की अगेती बिजाई करने के लिए तैयार बैठे किसानों को जरूर फायदा होगा। उन्हें खेत की सिंचाई करने के लिए बोरवेल के पानी का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।
सरसों की बिजाई का समय एक अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक माना जाता है लेकिन डीएपी खाद की कमी होने के कारण इस बार किसानों ने सरसों की फसल की बिजाई में देरी भी हो गई लेकिन कुछ किसानों ने अन्य जैविक खाद तथा सिगल सुपर फास्फेट डाल कर सरसों की फसल की बिजाई कर दी। जिन किसानों ने एक सप्ताह के अंदर सरसों की फसल की बिजाई की है उनको काफी नुकसान हो गया है अब दोबारा से सरसों की फसल की बिजाई करनी पड़ेगी बारिश के बाद जिन किसानों ने सरसों की फसल की बिजाई कर दी थी उनको नुकसान हुआ है एक तरह से दोहरी मार किसानों को झेलनी पड़ेगी। एक तरफ किसानों को खाद की कमी के कारण फसल की बिजाई करने में लेट हो रहा है दूसरी तरफ बारिश से नुकसान हो गया है।
राव मान सिंह, अध्यक्ष किसान क्लब तेज बारिश के कारण बोई गई सरसों के न उगने का अंदेशा रहता है और किसानों को दोबारा बिजाई करनी पड़ सकती है। ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। हालांकि गेंहू की फसल की बिजाई के लिए यह बारिश काफी लाभदायक है।
धर्मेन्द्र यादव, मुशेदपुर जिन किसानों ने सरसों की फसल एक सप्ताह पहले बोई है उन किसानों की फसल नहीं उगेगी। उन किसानों को दोबारा सरसों की फसल की बिजाई करनी पड़ेगी। लेकिन जिन किसानों ने गेंहू की फसल की बिजाई करनी है उनके लिए यह बारिश काफी लाभदायक है।
राजबीर शर्मा, सैदपुर फरुखनगर क्षेत्र में हुई बारिश से किसानों को काफी नुकसान हुआ है एक तरह से किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। किसानों द्वारा अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही सरसों की बिजाई शुरू कर देते है उन किसानों के लिए यह बारिश नुकसान देह है।
अजित यादव, ताजनगर