50 हजार में खरीदा बच्चा बिकता है चार लाख तक
बच्चा खरीद-फरोख्त मामले में पुलिस की जांच आगे बढ़ने के साथ कड़ी दर परतें खुलती जा रही हैं। पुलिस इस मामले में अभी तक 13 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: बच्चा खरीद-फरोख्त मामले में पुलिस की जांच आगे बढ़ने के साथ कड़ी दर कड़ी परतें खुलती जा रही हैं। पुलिस इस मामले में अभी तक 13 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। चार बच्चे भी बरामद किए गए हैं। बच्चा खरीद-फरोख्त गिरोह का पर्दाफाश करना डीएलएफ फेज-तीन थाना पुलिस की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। डीएलएफ फेज-तीन थाना प्रभारी मनोज यादव की टीम इस मामले में मुस्तैदी से काम कर रही है। इस मामले में एक महिला समेत तीन आरोपितों को पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद बृहस्पतिवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह का नेटवर्क दिल्ली से लेकर राजस्थान तक फैला हुआ है। पुलिस इस मामले में तह तक जाने के प्रयास में जुटी हुई है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं इस गिरोह के तार बच्चा चोर गिरोह से भी तो नहीं जुड़े हुए हैं। हालांकि अभी तक की पुलिस जांच में इस गिरोह का बच्चा चोर गिरोह से जुड़ाव का कोई मामला सामने नहीं आया है।
इस गिरोह से जुड़े अधिकतर लोग गरीब वर्ग से ही संबंध रखते हैं। गिरोह के कुछ सदस्य झुग्गी झोपड़ियों में जरूरतमंद लोगों से बच्चा खरीदने की डील करते हैं। जिन जरूरतमंद लोगों को दो या तीन से ज्यादा बच्चे हो जाते हैं तो उन लोगों से यह गिरोह बच्चा खरीदने की बातचीत करता है। खरीदारी में लड़का या लड़की दोनों का ही सौदा किया जाता है। लड़की की कीमत 40 से 50 हजार रुपये और लड़के की कीमत 50 से 70 हजार रुपये तक दी जाती है। यह कीमत बच्चे की सुंदरता और उसके रंग रूप पर भी निर्भर करती है। गिरोह के जो सदस्य बच्चों की खरीदारी करते है वह आगे किसी दूसरे सदस्य को कुछ मुनाफा लेकर बेच देता है। इस तरह एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे के हाथ में बच्चा बिकता रहता है। आखिर में लड़की की कीमत दो से ढाई लाख रुपये तक होती है, जबकि लड़के की कीमत ढाई से तीन लाख तक होती है। लड़के की सुंदरता और रंग रूप को देखकर यह कीमत चार लाख तक भी हो जाती है। ये बच्चे नि:संतान दंपती को बेचे जाते हैं।