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..हमें चिराग वहीं जलाना है, जहां से तेज हवाओं का आना-जाना है

जागरण संवाददाता फतेहाबाद महिला किसी भी क्षेत्र में कमजोर नहीं है बस उन्हें हिप्पोक्रे

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 11:27 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 06:21 AM (IST)
..हमें चिराग वहीं जलाना है, जहां से तेज हवाओं का आना-जाना है

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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महिला किसी भी क्षेत्र में कमजोर नहीं है, बस उन्हें हिप्पोक्रेटिस समाज कमजोर बनाता है। समाज में अब भी लोगों ने दोमुंही व्यवस्था बनाई हुई है। अन्यथा महिलाएं इतनी शक्तिशाली हुई है वे शेर की सवारी करती रही हैं। इसका उदाहरण मां दुर्गा से है। वह अकेली ऐसी देवता है जो शेर पर सवारी करती है।

यह बात जेसीडी विद्यापीठ सिरसा की एमडी डा. शमीम शर्मा ने महिला दिवस पर महिला, समाज व सुरक्षा विषय पर दैनिक जागरण व एमएम कालेज के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चर्चा के दौरान कही। वह कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में पहुंची थीं। इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज के प्राचार्य डा. गुरचरणदास ने की।

उच्च शिक्षा के मंदिर एमएम कालेज सभागार में संबोधन के दौरान डा. शमीम शर्मा ने कहा कि समाज में बेटियों के नाम लक्ष्मी, सरस्वती रखा जाता है, लेकिन उन्हें हमेशा से ही धन व विद्या से वंचित रखा गया। नाम तो शक्तिशाली रखा जाता लेकिन उन्हें अबला बनाया गया। लेकिन विज्ञान ने अब महिलाओं को इतनी शक्तिशाली बना दिया कि महिलाओं का जीवन आसान कर दिया। उनके रूटीन के कार्यों में विज्ञान के आविष्कार से महिलाओं का जीवन आसान कर दिया है। ऐसे में हमें वैज्ञानिकों का धन्यवाद करना चाहिए। वहीं, महिलाओं को भी विज्ञान के आविष्कार की तरफ ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में भाई-चारा शब्द प्रचलित है, लेकिन बहन-चारा शब्द है ही नहीं। न ही इसकी कभी जरूरत पड़ी और, न ही पड़ेगी। क्योंकि भाई-भाई एक कनाल जमीन के लिए दूसरे की हत्या कर देते हैं, लेकिन बहन कभी नहीं करती। न ही बहन कभी भाइयों से जमीन को लेकर लड़ाई करती। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थियों से आग्रह किया कि एक दूसरे की गाली देते समय मां-बहन की गाली मत दे। अब तो लोग इन गालियों का प्रयोग सड़क से लेकर संसद तक करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि अब इतना बदलाव आया है कि जो महिलाएं पहले सात गज का दामण पहनकर पानी लाने के लिए जाती थी अब बेटियां इस गाने पर डांस करने लग गई है। डा. शमीम शर्मा ने कहा कि कालेजों में अब 10 से 20 फीसद ही छात्र रह गए बाकी छात्राएं हैं। उन्होंने कहा कि इतना रहे ख्याल सताने के साथ-साथ, हम भी बदल रहे हैं जमाने के साथ साथ। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि बेटियों के प्रति हमें अपनी सोच बदली होगी। उन्होंने कहा कि फली-फूली टहनियां, जड़ों की तरफ मुड़ी रहती है। बेटियां कहीं भी हो मां-बाप से जुड़ी रहती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में जो बेटों को वंश चलाने वाले मानते हैं उनकी धारणा गलत है। वंश व्यक्ति के कर्म चलाते हैं। अच्छे कर्म के लोग ही महान बनते हैं। उन्होंने बेटियों की समक्षता के बारे में बताते हुए कहा कि जहां से तेज हवाओं का आना-जाना हैं, नतीजा कुछ भी हो, चिराग मुझे वहीं जलाना हैं। हमें इबादतों की जगह मत बता, हमें मालूम है कहां अपना सिर झुकाना है।

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ये रहे मौजूद :

कार्यक्रम में महिला महाविद्यालय भोड़ियाखेड़ा की प्राचार्या वीना गोदारा, प्रोफेसर हवासिंह, आत्माराम, डा. गीतू धवन, त्रिप्ता मेहता, वनीता शर्मा, सुरेंद्र पाल, रामगोपाल काजला, संध्या अग्रवाल, एसएस मल्हौत्रा, सीमा शर्मा, ज्योति नागपाल, डा. रजनी सहित अनेक स्टाफ के सदस्य व कालेज के सदस्य मौजूद रहे।

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मेरी मां बीमार थीं, फिर भी उन्होंने मुझे भेजा : गुरचरणदास

कार्यक्रम में एमएम कालेज के प्राचार्य गुरचरण दास ने कहा कि मेरी मां पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही हैं। लेकिन महिला दिवस के कार्यक्रम को लेकर मेरी मां ने ही मुझे भेजा है। विश्व में महिला दिवस महिलाओं के उत्थान के लिए मनाया जाता है। अब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। वैसे मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में डा. शमीम शर्मा का विशेष योगदान रहा है। शमीम शर्मा महिला शक्तिकरण को बहुत बड़ा उदाहरण हैं। कालेज में महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए हर प्रकार के अवसर दिए जाते हैं। महिला शक्ति समाज को नई दिशा दे रही हैं।

-------------------- जब मैं किताबों में पर्वतारोहियों के बारे में पढ़ती थी तो मुझे भी लगता था कि मैं भी पर्वतारोही बनूं। इतिहास में नाम दर्ज हो। इसके लिए मैं तैयारी में लग गई। परिवार वाले बोले कि पहले पढ़ाई पूरी करो। फिर पढ़ाई में ही रम गई। बीटेक के दौरान कैंपस में ही मेरी प्लेसमेंट हो गई। नौकरी करने के लिए दिल्ली चल गई। नौकरी के दौरान ध्यान आया कि मुझे तो पर्वतारोही बनना था। बाद में परिवार की मंजूरी लेकर मैंने इसकी तरफ ध्यान दिया। दो साल की मेहनत के बाद मैं गत वर्ष मई में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ पाई। बेशक हर तरह की कठिनाइयां आईं। सात लोगों के दल में मैं अकेली महिला पर्वतारोही थी। सबसे छोटी। सबसे पहले चढ़ी। - मनीषा पायल, पर्वतारोही।

--------------- महिला दिवस महिलाओं के शक्तिकरण के लिए मनाया जाता है। विश्व में महिलाओं की बराबरी के हक देने लिए बहुत से आंदोलन हुए। हम महिलाएं को पुरूषों से अधिक अधिकार कानून में मिले हुए है। हमें उन अधिकारियों का सही से प्रयोग करते हुए समाज को नई दिशा देनी है। - मिनाक्षी कोहली, प्रोफेसर, एमएम कालेज। ------------------------

कालेज में सभी महिला प्रोफेसर बहनों की तरह रहती है। आज उनका दिन है। ऐसे आयोजन करने पर मैं कालेज के प्रिसीपल व दैनिक जागरण का धन्यवाद करना चाहती हूं। जिन्होंने महिलाओं से जुड़े इस दिवस को मनाते हुए बड़ा सेमिनार का आयोजन किया। ऐसे कार्यक्रम महिलाओं व छात्राओं को आगे बढ़ने का उत्साह प्रदान करते हैं।

- जनक मेहता, प्रोफेसर, एमएम कालेज। ::: इनको किया सम्मानित ::

दैनिक जागरण की ओर से आयोजित महिला दिवस कार्यक्रम में पर्वतारोही मनीषा पायल के साथ कालेज की उत्कृष्ट छात्रा ज्योत्सना व बेबी को सम्मानित किया। ज्योत्सना कालेज में बीएससी फाइनल ईयर की छात्रा हैं। वे एनसीसी में बेस्ट कैडेट है। वहीं म्यूजिक के फाइनल की छात्रा बेबी नेशनल स्तर पर कई प्रतियोगिता में भाग लेने के साथ पदक जीत चुकी हैं। वहीं, पिछले 15 वर्र्षो से एमएम कालेज में लिपिक के तौर पर कार्यरत अनु जिदल को भी सम्मानित किया गया।

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