जिला के विभिन्न गांवों में पहुंची विजय ज्योति, नागरिकों ने किया जोरदार स्वागत
सन 1971 युद्ध के शहीद हुए रणबांकुरों के सम्मान में सेना की तरफ से विजय ज्योति पूरे भारत में निकाली जा रही है। उस युद्ध को इस वर्ष पूरे 50 वर्ष हो गए। इसकी 50वीं वर्षगांठ के निकाली जा रही विजय ज्योति शुक्रवार को जिला के विभिन्न गांवों में पहुंचने पर ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
सन 1971 युद्ध के शहीद हुए रणबांकुरों के सम्मान में सेना की तरफ से विजय ज्योति पूरे भारत में निकाली जा रही है। उस युद्ध को इस वर्ष पूरे 50 वर्ष हो गए। इसकी 50वीं वर्षगांठ के निकाली जा रही विजय ज्योति शुक्रवार को जिला के विभिन्न गांवों में पहुंचने पर ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। विजय ज्योति यात्रा लेकर फतेहाबाद पहुंचे मेजर तरुण कुमार, मेजर मंगेश पाटील व डॉट डिविजन द्वारा जाट रेजिमेंट के निवासी किरढ़ान शहीद नायक तारा चन्द की धर्मपत्नी लिच्छमा देवी, जाट रेजिमेंट के शहीद निवासी ढिगसरा सिपाही बलबीर सिंह की धर्मपत्नी कमला देवी और 15 राजपूत रेजिमेंट निवासी धोलू शहीद सिपाही श्रीचंद की धर्मपत्नी बिमला देवी को गांव में जाकर सम्मानित किया गया। गांव के सभी लोग और स्कूली बच्चे भी इन कार्यक्रमों का हिस्सा बने। इसके उपरांत विजय ज्योति जिला सैनिक बोर्ड कार्यालय पहुंची, जहां पर जिला के भूतपूर्व सैनिक व मनोहर मेमोरियल कॉलेज की छात्राएं तथा 3 हरियाणा गर्ल्स बटालियन की एनसीसी केडेट्स शहीदों के सम्मान में एकत्रित हुए। इस मौके पर सेवानिवृत्त कर्नल सुल्तान सिंह, एक्स लगी के उपप्रधान रामप्रताप बैजलपुर, कैप्टन उमेद सिंह, सेवानिवृत सूबेदार मेहताब सिंह, महेंद्र सिंह, हरिसिंह, सतबीर सिंह ने विजय ज्योति का सैनिक कल्याण बोर्ड कार्यालय पहुंचने पर स्वागत किया। वहीं ज्योति के साथ तीनों गांवों में जाकर ग्रामीणों युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। गांव ढिगसरा में गांव के सरपंच अशोक कुमार, हरि सिंह फौजी, रिशाल सिंह, पवन कुमार, पूर्व सरपंच जवाहर सिंह, पूर्व सरपंच जसवंत सिंह, उग्रसेन मेहरा, सुभाष, हरि सिंह ढकरवाल, भारत सिंह, नरसी, बुधराम, सुनील, महेंद्र, नवीन मलोदिया सहित अनेक लोग मौजूद थे।
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ग्रामीणों को बताया 1971 के युद्ध के बारे में :
हिसार कैंट से विजय ज्योति मशाल यात्रा के साथ पहुंची सेना की टीम में शामिल मेजर तरुण कुमार, मेजर मंगेश पाटील , सूबेदार संजीव कुमार , सूबेदार रामफल ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि हर भारतीय उन शहीदों द्वारा दिए गए सर्वोच्च बलिदान तथा उनके परिवार के संघर्ष का ऋणी है। यह उनके बलिदान का ही नतीजा है, जो हमने ऐतिहासिक विजय हासिल की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायकों को पहचानना और याद रखना था। भारत-पाकिस्तान युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान सेना पर एक विचित्र और ऐतिहासिक जीत हासिल की, जिसके कारण एक नये राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ और दूसरे विश्व युद्ध के बाद पारंपरिक युद्धों के इतिहास में सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण हुआ।