जिले में कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर डालेगी असर, सरकारी अस्पताल में नहीं बच्चों का एक भी डाक्टर
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी सचेत हो गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि तीसरी लहर सबसे अधिक बच्चों पर असर डालेगी। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में एक भी बच्चों का डाक्टर नहीं है। ऐसे में हम कैसे कह सकते है कि तीसरी लहर से लड़ने के लिए हम तैयार है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि अगले दो दिन में एक डाक्टर नागरिक अस्पताल में ज्वाइन कर लेगा। एक डाक्टर के सहारे हम बैठे रहेंगे तो कुछ नहीं हो सकता। बच्चों के इलाज के लिए बड़े स्तर पर डाक्टरों की जरूरत होगी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने प्लान बनाना शुरू कर दिया है।
विनोद कुमार, फतेहाबाद :
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी सचेत हो गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि तीसरी लहर सबसे अधिक बच्चों पर असर डालेगी। अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में एक भी बच्चों का डाक्टर नहीं है। ऐसे में हम कैसे कह सकते है कि तीसरी लहर से लड़ने के लिए हम तैयार है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि अगले दो दिन में एक डाक्टर नागरिक अस्पताल में ज्वाइन कर लेगा। एक डाक्टर के सहारे हम बैठे रहेंगे तो कुछ नहीं हो सकता। बच्चों के इलाज के लिए बड़े स्तर पर डाक्टरों की जरूरत होगी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने प्लान बनाना शुरू कर दिया है।
जिले में 3 लाख 86 हजार बच्चों की संख्या है। ऐसे में अगर तीसरी लहर में ये बच्चे बीमार होते है तो इनका इलाज के लिए डाक्टरों के साथ सुविधाओं की जरूरत होगी। जिले में फतेहाबाद व टोहाना में बच्चों की नर्सरी है। लेकिन इन नर्सरियों में इलाज करने वाले नहीं है। अब जो स्थित है उनके अनुसार केवल मेडिकल आफिसर के सहारे ही बच्चों का इलाज किया जा रहा है। नर्सरी में काम करने वाले डाक्टर खुद मान रहे है कि स्पेशलिस्ट डाक्टर न होने के कारण परेशानी आ रही है।
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तीन डाक्टरों की बनाई एक टीम
जिले में कोरोना की दूसरी लहर में कमी आने के साथ ही अब स्वास्थ्य विभाग ने तीसरी लहर को रोकने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। सिविल सर्जन ने तीन डाक्टरों की एक कमेटी बनाई है। जिसमें डा. हनुमान सिंह, डा. सुनीता सोखी व डा. मेजर शरद तूली को इसमें लिया गया है। अब यह टीम पूरे जिले के सरकारी अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण करेंगे। वहां पर क्या-क्या कमी है इसका जायजा लेंगे। स्टाफ कितना है। एक सामुदायिक केंद्र में कितने गांव आते है और उनके इलाज के लिए पर्याप्त साधन है या नहीं इसका मंथन किया जाएगा। इसके अलावा डाक्टरों को क्या उपकरण चाहिए इसका भी विशलेषण किया जाएगा। गठित की गई कमेटी के सदस्यों को सात दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी होगी।
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इन आंकड़ों पर डाले नजर
जिले में नागरिक अस्पताल : फतेहाबाद, रतिया व टोहाना
जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र : 6
जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र : 17
जिले में बच्चों की संख्या : 3.86 लाख
जिले के अस्पताल में बच्चों के डाक्टर : 0
जिले के अस्पतालें में बच्चों की जरूरत : 20
जिले में कहां बनी हुई बच्चों की नर्सरी : टोहाना व फतेहाबाद
जिले में बच्चों के लिए एंबुलेंस : 1
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जिला प्रशासन के पास ये है व्यवस्था
जिले में बनाए गए कोविड सेंटर : 16
जिले में कोविड मरीजों के लिए कुल बेड : 332
ऑक्सीजन बेड : 147
बिना ऑक्सीजन बेड : 63
आइसीयू बेड : 122
वेंटिलेटर बेड 36
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सरकारी अस्पतालों में बच्चों के डाक्टरों की कमी है। एक डाक्टर जल्द ही ज्वाइन कर लेगा। हमने बच्चों के डाक्टर की डिमांड भेज दी है। जल्द ही जिले के नागरिक अस्पतालों में डाक्टर ज्वाइन कर लेंगे। हमारी तैयारी चलती रहेगी। तीन डाक्टरों की एक कमेटी बनाई है जो एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के बाद जो कमी मिलेगी उसे दूर किया जाएगा।
डा. वीरेश भूषण, सिविल सर्जन फतेहाबाद।