जिले की सिल्वर जुबली आज, साल दर साल बढ़ता गया कद
वीरवार को जिले की सिल्वर जुबली है। यानी आज से 25 साल पहले जिले की स्थापना हुई। इस दौरान जिले में राजनीतिक उपेक्षा के बाद भी खूब विकास हुआ।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : वीरवार को जिले की सिल्वर जुबली है। यानी आज से 25 साल पहले जिले की स्थापना हुई। इस दौरान जिले में राजनीतिक उपेक्षा के बाद भी खूब विकास हुआ। इसकी बदौलत कृषि है। जनसंख्या घनत्व कई अन्य जिलों के मुकाबले कम होने की बदौलत विकसित जिला बन गया। बेशक कोरोना काल के पिछले डेढ़ साल में विकास धीमा रहा। लेकिन इस दौरान कई प्रोजेक्ट मंजूर हुए। उसमें पिछले 12 सालों से रुका 200 बेड का नागरिक अस्पताल शामिल है। इसके अलावा प्रदेश का पहला चार मंजिला बस स्टैंड फतेहाबाद में ही बना।
वैसे प्रदेश के नाम से अनुरूप हरा भरा हरियाणा और दूध-दही का खाना की प्रथा खूब है। इसके चलते जिले में बिना जंगल के बाद भी बड़ी संख्या मे जीव विचरित करते हैं। अब तो पुरातात्विक विभाग की खुदाई में सामने आ गया कि जिले में मानव सभ्यता का इतिहास हडप्पा कालीन सभ्यता से अधिक पुराना है। कभी यहां से सरस्वती नदी भी बहती थी। वैसे अब घग्घर नदी का भी यही हाल है। हिमाचल से पहाड़ों से निकलने के बाद भी अब बरसाती नदी बन गई है। उपचुनाव जीतने के लिए बना था जिला, लेकिन लोगों ने नहीं दिया साथ :
फतेहाबाद जिला 15 जुलाई 1997 को बना था। उस दौरान प्रदेश में बंशीलाल सरकार ने तीन जिलों का गठन किया था। उसमें फतेहाबाद भी शामिल है। फतेहाबाद जिला बनाने में बंशीलाल सरकार में भट्टूकलां से विधायक एवं गृहमंत्री मनीराम गोदारा का अहम योगदान है। राजनीति के जानकार बताते है कि 1996 में हुए चुनाव में फतेहाबाद से सरदार हरमिद्र सिंह विधायक बने थे। उनका एक साल बाद देहांत हो गया। इसके बाद उपचुनाव होने थे। तब फतेहाबाद क्षेत्र के प्रमुख नेता व गृहमंत्री ने फतेहाबाद जिला बना दिया था। उनकी रणनीति थी कि चुनाव जिला बनाने से जीत जाएंगे, लेकिन हरियाणा विकास पार्टी ने हरमिद्र सिंह की पत्नी जरनैल कौर को टिकट दी। उसके बाद भी सत्ता लहर के खिलाफ इनेलो के तत्कालीन दिग्गज नेता संपत सिंह जीत गए। सरकार के खिलाफ वोट जाने से शुरूआत में ही विकास कार्य प्रभावित हुए। जिसका असर अब भी है। जिला बनाते ही कालेज, लघु सचिवालय के साथ कई भवनों का हुआ शिलान्यास :
फतेहाबाद प्रदेश का 17 वां जिला 15 जुलाई 1997 में बना। बंसीलाल व मनीराम गोदारा ने जिला बनाने के साथ ही फतेहाबाद में लघु सचिवालय के भवन का शिलान्यास करवा दिया था। इसके अलावा जिला मुख्यालय में खेल स्टेडियम व महिला कालेज का भी शिलान्यास किया। फतेहाबाद को तहसील का दर्जा अंग्रेजों ने 1834 में ही दे दिया था। फतेहाबाद शहर 1898 में नगर पालिका बनी। इसे उपमंडल का दर्जा 1961 में बना था। वन्य जीवों के संरक्षण में भी आगे जिलावासी
जिले के लोग वन्य सरंक्षण में भी आगे है। सरकार ने भी तीन गांव धांगड़, ढाणी माजरा व काजल में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए क्षेत्र निर्धारित कर दिए है। लोग वन्य जीवों से बेहद प्रेम करते है, तभी तो कई क्षेत्रों में बड़ी संख्या में काले हरिण भी मौजूद है। लेकिन जिले में वन क्षेत्र 2.95 ही है। जो प्रदेश के मुकाबले कम हे। प्रदेश में वन क्षेत्र छह फीसद के करीब है। सेक्टर काटे, लेकिन नहीं किए विकसित :
शहर में अब तक 12 नंबर तक सेक्टर कट गए है, लेकिन ये विकसित नहीं हुए। सेक्टर काटकर सरकार ने साथ लगते गांव के किसानों को अरबपति बना दिया। परंतु इसका आमजन को फायदा नहीं मिला। सरकार की नीतियों की वजह से 20 पहले काटा गया सेक्टर 3 भी पूरा विकसित नहीं हुआ। वहीं उद्योग संचालकों की मांग पर शहर में औद्योगिक सेक्टर विकसित नहीं किया गया। शांत जिले में नशा व बेरोजगार बन गई प्रमुख समस्या :
फतेहाबाद जिले में क्राइम का स्तर बहुत कम रहा है। हत्या तो सप्ताह में एकाध भी मुश्किल से होती है। जघन्य अपराध कम है। लेकिन अब परेशानी बढ़ते ड्रग्स को लेकर है।
जिले में जनसंख्या बढ़ने से खेती योग्य जमीन बंट गई। इससे बेरोजगारी बढ़ी। वहीं बेरोजगार से कहीं अधिक बड़ी संख्या नशा की है। गुरदास मान के गाने घर की शराब होवे से आगे बढ़कर युवा अब ड्रग्स ले रहे है। हर महीने 15 से 25 वर्ष के युवाओं की नशा करने से तीन से चार मौत हो रही है। बड़े घरों के युवा नशा का आदी हो चुके है। लेकिन सरकार स्तर पर नशा रोकने के लिए नीति व नियत नहीं है। कुछ लोग इसे नशा जेहाद से जोड़ रहे है।
--25 साल से प्रदेश व केंद्र में जिले का नुमाइदा नहीं बना सरकार में बड़ा मंत्री :
भट्टूकलां हलके से विधायक बनकर गृहमंत्री बने मनीराम गोदारा ने फतेहाबाद को जिला बनवा दिया। लेकिन उनकी सरकार 1999 तक चली। इसके बाद सत्ता बदल गई। जिला बनने के बाद जिले से संबंधित विधायक व सांसद की कभी केंद्र व प्रदेश सरकार में बड़े मंत्री नहीं बन पाए। इसका खूब असर हुआ। हुड्डा सरकार में परमवीर सिंह टोहाना से कृषि तो फतेहाबाद से प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा मुख्य संसदीय सचिव बने। लेकिन प्रमुख मंत्री नहीं बन पाए और न ही उस हिसाब से विकास करवा पाए। अब भी तीनों विधायक सत्ता में साथ है, लेकिन किसी को भी मंत्री पद नहीं मिला हुआ। यही हाल सांसदों का कहना है कि पांच में चार बार सांसद केंद्र सरकार वाली पार्टी से बने, लेकिन वे भी उपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे। जो विकास हुआ है वह स्वत: ही हुआ है। इसमें राजनेताओं का योगदान ज्यादा नहीं। तभी तो ये कार्य अब भी अधूरे :
- जिला मुख्यालय में सरकारी कालेज नहीं है।
- स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सभी अस्पताल रेफर करते है
- जेल का प्रस्ताव भी हुआ रद्द
- जिले में तकनीकी शिक्षा के लिए कालेज नहीं
- जिले में नाबार्ड का कार्यालय नहीं
- जिले में उद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हुआ। नाम को लेकर मतभेद :
जिले के नाम को लेकर मतभेद है। कुछ राष्ट्रवादी फतेहाबाद का प्राचीन नाम उदयनगरी मानते हैं। इसके लिए पहले अभियान भी चलाया। पुरानी तहसील में बनी अशोका लाट का प्रूफ देते हैं। उनका दावा है कि आक्रमणकारियों ने इसका नाम अपने हिसाब से बाद में फतेहाबाद रखा। वहीं शिकार का शौकीन बादशाह फिरोजशाह तुगलक भी इस स्थान के प्रति आकर्षित था। जब तुगलक के घर पुत्र का जन्म हुआ। पुत्र की खुशी व अपनी स्थिति सु²ढ़ होने पर हुई फतेह पर यहां एक नगर बसाया जिसका नाम फतेहाबाद रखा और नवजात शिशु का नाम फतेह खां रखा। उसके बाद से ही इस जिले का नाम फतेहाबाद पड़ गया। हालांकि एतिहासिक लाट को अशोक का कीर्ति स्तम्भ मानते हैं। कुछ इतिहासकार इस लाट को हिन्दू शासक द्वारा निर्मित मानते हैं, क्योंकि इस पर संस्कृत भाषा के शब्द हैं। पुराने समय में इस क्षेत्र में भील जाति के लोग बसा करते थे और यह क्षेत्र उदयनगरी के नाम से जाना जाता था।
: आंकड़ों पर एक नजर :
- जिले का गठन : 15 जुलाई 1997
- फतेहाबाद का क्षेत्रफल : 2538 वर्ग किमी
- उपमंडल- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद
- तहसील- रतिया, टोहाना व फतेहाबाद
- उपतहसील - भूना, कुलां, भट्टूकलां व जाखल
- विकास खंड : भट्टूकला, भूना, नागपुर, फतेहाबाद, जाखल, रतिया व टोहाना
- मार्केट कमेटी - भट्टूकला, भूना, फतेहाबाद, जाखल, रतिया, टोहाना व धारसूल
- नगरपालिका- रतिया, जाखल व भूना
- नगर परिषद : फतेहाबाद व टोहाना
पंचायतें- जिले में 256 पंचायतें हैं
जिले में गांव- जिला में 301 गांव हैं
:: जनसंख्या ::
वर्ष 1997 में फतेहाबाद की जनसंख्या : 6 लाख 46 हजार 160
वर्ष 2011 में फतेहाबाद की जनसंख्या : 9 लाख 42 हजार 240
वर्ष 2021 मे फतेहाबाद की अनुमानित जनसंख्या : 10 लाख 50 हजार साक्षरता दर फीसद में
वर्ष साक्षरता दर
1961 17.2
1971 22.8
2001 60.2
2011 68
2019 73
2021 76
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::: लिगानुपात ::
वर्ष 2013 : 850 प्रति हजार लड़कियां
वर्ष 2014 : 820 प्रति हजार लड़कियां
वर्ष 2015 : 830 प्रति हजार लड़कियां
वर्ष 2016 : 870 प्रति हजार लड़कियां
वर्ष 2018 : 893 प्रति हजार लड़कियां
वर्ष 2019 : 917 प्रति हजार लड़कियां
वर्ष 2020 : 940 प्रति हजार लड़कियां
वर्ष : 2021 अब तक : 880
जिले में कुल भूमि : 252500
कृषि योग्य भूमि : 226966 हेक्टेयर भूमि
सिचित भूमि : 22768 हेक्टेयर भूमि
मुख्य फसलें- गेहूं, बाजरा, ज्वार, जौ, दाले, धान, कपास, चना, सरसों। :::उद्योग:::
कुल पंजीकृत उद्योग- 1800
लघु उद्योगों की संख्या- 1477
घरेलू पंजीकृत औद्योगिक इकाइयां- 20 भाखड़ा ने बदली किसानों की जिदगी
फतेहाबाद जिले की तस्वीर भाखड़ा नहर से बदली। भाखड़ा बाध पंजाब, हरियाणा व राजस्थान के लिए अमूल्य देन है। इस बांध का निर्माण का कार्य भी रायबहादुर कंवर सैन की देखरेख में हुआ। टोहाना के रहने वाले 24 जनवरी 1900 में जन्में कंवर सैन ने पहले 1940-41 में रोहतक में आई भयंकर बाढ़ का समाधान ढूंढा तभी उन्हें राय बहादुर का खिताब मिला। 1945-46 में जब भाखड़ा बांध की परियोजना बनी तब इस पूरे क्षेत्र में पानी की कमी थी और यहां रेतीले टिब्बे थे। आजाद भारत के बाद भाखड़ा डेम का निर्माण हुआ और 1953 में भाखड़ा नहर में पानी छोड़ा गया। इसी भाखड़ा नहर के सहारे धीरे-धीरे क्षेत्र की तस्वीर बदलती गई और रेतीले टिब्बों की जगह लहलाती फसलों ने किसान की तकदीर लिखी। अब जिले में इसी नहर का लोग पानी पी रहे है और अपनी फसल की पैदावार कर रहे है। टोहाना व रतिया तो इसी तरह की बदौलत आज धान उत्पादन में नंबर वन है। परमाणु संयंत्र के लगने से विश्व पटल पर मिली पहचान
गांव गोरखपुर में परमाणु संयंत्र का निर्माण शुरू हो गया है। गांव गोरखपुर व बड़ोपल की करीब 1503 एकड़ भूमि में बनने वाले परमाणु विद्युत संयंत्र में 2800 मेगावाट बिजली के लिए यहां चार इकाइया लगाई जाएंगी। यह संयंत्र स्थापित होने से यहां आने से इस क्षेत्र में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। अब इस क्षेत्र में काम तेजी से हो रहा है। हालांकि इस पर काम करीब तीन साल बाद शुरू होगा।
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खिलाड़ियों व संगीतकार ने दिलाई अलग पहचान
गांव पीलीमंदोरी से ऐसी विलक्षण प्रतिभा निकली जिसको सुन विश्व में वाहवाही मिली। पंडित जसराज ने शास्त्रीय गायन में अलग पहचान बनाई और उन्हे पद्म विभूषण सम्मान से वर्ष 2000 में नवाजा गया। उन्हीं के परिवार से गायिका सुलक्षणा पंडित व फिल्मी कलाकार विजया पंडित के अलावा संगीतकार जोड़ी जतीन व ललित ने बॉलीवुड में अलग पहचान बनाई। पर्वतारोही रामलाल, मनीषा पायल, अर्जुन अवार्डी उदयचंद जांडली कलां, एथलेटिक्स में देश का नाम चमकाने वाले सुखवंत सिंह धीड़ माने हुए खिलाड़ी हैं। एथलीट मनोज कुमार, एथलीट संतोष कुमार जांडली, हाकी में रीना बैजलपुर, साइकिलिग में सतीश कुमार धोलू, गीता रानी सुखलमपुर, सीमा रानी अयाल्की तथा हाकी में पूनम रानी बैजलपुर, सुनीता रानी फतेहाबाद, रजनी बोस्तीवाली, कविता धारसूल, मंगलसिंह टोहाना समैन की रामभतेरी व बनगांव की ज्योति, रेखा व गांव बड़ोपल की क्रिकेट खिलाड़ी सुमन सैनी ने अलग ही पहचान दिलाई है। उनकी उपलब्धियों से जिला हर समय एक नई ऊंचाई प्राप्त कर रहा था। यह सबसे बड़ी उपलब्धि
प्रदेश का पहला राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद के हिस्से में आया था। वर्ष 1967 में राष्ट्रपति डा. जाकिर हुसैन राष्ट्रपति स्काउट अवार्ड फतेहाबाद निवासी डा. राजेन्द्र प्रसाद गर्ग को दिया। उन्होंने 16 वर्ष की आयु में स्काउट के सर्वोच्च पुरस्कार को प्राप्त किया। फतेहाबाद जिलावासी को यह अवार्ड मिलने के साथ ही एक नया अध्याय भी लिखा गया है।
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24 सालों में ये आया बदलाव
-लघु सचिवालय परिसर बना
-फतेहाबाद में जिला न्यायालय व टोहाना व रतिया में उपमंडल न्यायालय स्थापित हुए।
- अल्फा व सोमा जैसी राष्ट्रीय कंपनियों ने मकान बनाए। आज यहां पर अनेक लोग अपनी कोठियां बनाकर रह रहे
-नेशनल हाइवे ने फोरलेन का रूप ले लिया जिससे दिल्ली तक का सफर आसान हो गया।
- दरियापुर में फुटबाल अकेडमी व भोडियाखेड़ा में जिले का खेल स्टेडियम बना।
- शहर में मल्टीपर्पज पार्किंग स्थल का निर्माण हुआ।
- शहर में मल्टीफ्लैस
- अधिकांश गांव व शहरों में नहरी पानी की सप्लाई
- गांवों में 24 घंटे बिजली व हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा
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इस वर्ष जिलावासियों को यह है उम्मीद
-200 बेड के काम शुरू होने की
- नए बस स्टैंड का शुभारंभ जल्द से जल्द हो।
- टोहाना में नए बस स्टेंड़
- रतिया में आईटीआई
- टोहाना में पिकनिक स्पाट विकसित होने की
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जिले के ऐतिहासिक स्थल :
- पिरथला में एतिहासिक शिव मंदिर
- झाड साहब गुरुद्वारा
- बड़ोपल का बाबा रामदेव मंदिर
- भिरड़ाना में हरियाणा की सबसे पुरानी हवेली
- भूना में बाबा राणाधीर का मंदिर
- टहलदास डेरा कमाना
- अशोका की लाट
- पुराना किला
- शिवालय जोहडी मंदिर
- गांव ढिगसरा में मनसागर मंदिर
-भिरडाना व कुनाल में पुरातत्व विभाग की जगह
-भूना में कर्ण कोट।