जिले में 93 फीसद हुई धान की कटाई, प्रदूषण फैलने का खतरा हुआ कम
जिले में अब तक 93 फीसद धान की कटाई का कार्य पूरा हो गया है। ऐसे में अब प्रदूषण फैलने का खतरा कम हो गया है। जिले में सिर्फ धान के सीजन में अवशेष जलाने से प्रदूषण अधिक फैलता है। इस बार किसानों ने बड़ी संख्या में अवशेष जलाए। इसकी वजह है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : जिले में अब तक 93 फीसद धान की कटाई का कार्य पूरा हो गया है। ऐसे में अब प्रदूषण फैलने का खतरा कम हो गया है। जिले में सिर्फ धान के सीजन में अवशेष जलाने से प्रदूषण अधिक फैलता है। इस बार किसानों ने बड़ी संख्या में अवशेष जलाए। इसकी वजह है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाई। लोगों ने अनुदान पर कृषि यंत्र लेकर भी फसलों के अवशेष जला दिए। ऐसे में दीपावली से पहले करीब 15 दिनों तक प्रदूषण का ग्राफ 400 से 500 तक बना रहा। आमजन को सांस लेने में परेशानी तो हुई ही। आंखों व सांस के मरीज भी बढ़ गए थे। जिले में 15 हजार हेक्टेयर में कम थी धान की फसल, फिर भी बढ़े मामले
जिले में इस बार 1 लाख 7 हजार हेक्टेयर में धान की फसल की खेती की गई थी। जो गत वर्ष के मुकाबले 15 हजार हेक्टेयर कम थी। उसके बाद भी जिले में धान की फसल के अवशेष जलाने वाले मामले बढ़। हरसेक से इस बार फायर लोकेशन गत वर्ष की तुलना में अधिक मिली। इतना ही नहीं किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान भी खूब दिया गया। अब अवशेष प्रबंधन करने वालों को मिलेगा अनुदान :
जिन किसानों ने फसल का अवशेष प्रबंधन करते हुए गांठें बनाई। उन किसानों को सरकार की तरफ से प्रति एकड़ 1 हजार रुपये का लाभ दिया जाएगा। यह लाभ सिर्फ गांठ बनवाकर पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को मिलेगा। इसके लिए किसान को वेब साइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट एग्रीहरियाणा डॉट जीओवी डॉट आईएन पर जाकर अपना पंजीकरण करवाना होगा। जिसमें गांठें बनाने वाले का विवरण के साथ गांठे कहा रखी व बेची इसकी भी जानकारी देनी होगी। इस बार जिले में बड़ी संख्या में किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन किए है। हमारे आंकड़ों के अनुसार 90 फीसद से अधिक किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन करते हुए गेहूं की बिजाई की है। इसमें सुपर सीडर बड़ी कारगर साबित हुआ। वहीं स्ट्रा बेलर व प्लाउ से भी किसानों ने फसल अवशेष प्रबंधन करते हुए गेहूं की बिजाई की। यह भविष्य के लिए शुभ संकेत है।
- डा. राजेश सिहाग, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।