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धान उत्पादक किसान साठी मूंग लगाकर बढ़ा सकते आय व जमीन उर्वरा शक्ति

जिले में करीब ढाई लाख एकड़ में धान की खेती होती है। करीब 55 फीसद कुल खेती योग्य जमीन पर धान की खेती होती है। ऐसे में किसान के सामने अब साठी धान लगाने का बेहतरीन विकल्प है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 07:09 AM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 07:09 AM (IST)
धान उत्पादक किसान साठी मूंग लगाकर बढ़ा सकते आय व जमीन उर्वरा शक्ति
धान उत्पादक किसान साठी मूंग लगाकर बढ़ा सकते आय व जमीन उर्वरा शक्ति

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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जिले में करीब ढाई लाख एकड़ में धान की खेती होती है। करीब 55 फीसद कुल खेती योग्य जमीन पर धान की खेती होती है। ऐसे में किसान के सामने अब साठी धान लगाने का बेहतरीन विकल्प है।

किसान हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के प्रमाणित बीज की खेती करते हुए अपनी आय के साथ जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा सकते है। जो धान की रोपाई से पहले पककर तैयार हो जाती है। अब मूंग को सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदने लगी है। ऐसे में किसान को मूंग की खेती मुनाफे का सौदा है। मूंग की दाल अब 120 रुपये प्रति किलोग्राम हैं जो समर्थन मूल्य से 50 रुपये प्रति किलोग्राम अधिक। जबकि प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम मूंग बिजाई के लिए पर्याप्त रहते है। ऐसे में उन्नत किस्म का मूंग बोने पर 4 से 5 क्विंटल तक आसानी से उत्पादन हो सकता है। एचएयू हिसार से बीज लेकर खेती करने पर उत्पादन कई गुणा अधिक बढ़ जाता है।

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ये किस्म हैं कारगर :

हिसार स्थित एचएयू विश्वविद्यालय किसानों के लिए अनेक मूंग की किस्म विकसित कर चुके है। इनमें से मूंग की एमएच 1142 किस्म सबसे बेहतरीन। जो गत वर्ष ही विकसित की थी। इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 20 क्विंटल के करीब हैं। इसके अलावा आशा, मुस्कान, सत्त्या, बसंती, एमएच 421 व एमएच 318 किस्में विकसित की जा चुकी हैं। वहीं किसान कृषि विभाग के साथ ढाणी बिकानेरी में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकता है।

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ऐसे मिलती है मूंग से जमीन को उर्वरा शक्ति :

मूंग की फली तोड़ाई कर किसान दाल के रूप में उपयोग कर सकते हैं। फली तोड़ाई के बाद बचे तना, पत्तियों और शाखाओं को मिट्टी में पलटकर उन्हें जैविक खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं। जिस खेत में मूंग लगा होता है, उसमें धान की खेती के दौरान यूरिया भी काफी कम मात्रा में लगता है। यह रसायनिक खाद की कमी को भी पूरा करती है।

मूंग के पौधे को हरी खाद के रूप में प्रयोग करने से मिट्टी को 16 पोषक तत्व मिलते हैं। इससे मिट्टी में हार्मोंन एवं विटामिन की मात्रा भी बढ़ती है। ऐसा करने से खेतों में खर-पतवार की वृद्धि भी नहीं होती है। मूंग की फसल की बोआई के 50 से 55 दिनों के बाद मिट्टी में दबा दिया जाता हैं। बारिश होने पर यह खेत में अच्छी तरह सड़कर खाद बन जाता है। प्रति हेक्टेयर खेत में 7 से 8 टन हरी खाद उत्पादन होता है। इससे खेत को 0.53 फीसद नाइट्रोजन प्राप्त होता है। मूंग की जड़ से हेक्सासाइमिनेज इंजाइम निकलता है, जो धान की फसल के लिए फायदेमंद होता है। इससे धान की उत्पादकता बढ़ती है।

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जो किसान साठी मूंग लगाते हैं। इससे किसान को कई फायदे मिलते है। एक तो अतिरिक्त आय होती है। वहीं जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। मेरा किसानों से आग्रह है कि वे साठी मूंग की खेती करते हुए आय व जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाए। वहीं खरीफ की फसल में मूंग कई किसानों का बेहतरीन उत्पादन हुआ था।

- डा. राजेश सिहाग, उपनिदेशक।


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