गुलाबी सुंडी से नरमा की फसल में 60 फीसद तक नुकसान, किसान बोले- मुआवजे के लिए भी सर्वे करें अधिकरी
जागरण संवाददाता फतेहाबाद जिले में इस बार बरसात व गुलाबी सुंडी के कारण नरमा की फसल
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
जिले में इस बार बरसात व गुलाबी सुंडी के कारण नरमा की फसल नष्ट हो गई है। अब तो जिला प्रशासन ने भी मान लिया है कि इस बार 60 फीसद क्षेत्र में गुलाबी सुंडी का प्रकोप है। लेकिन कृषि विभाग द्वारा अभी तक सर्वे तक नहीं करवाया जा रहा है। इसके अलावा खराब हुई फसल का मुआवजा मिलेगा या नहीं इसकी गारंटी भी कोई अधिकारी नहीं ले रहा है। वहीं किसान मान रहे है कि इस बार नकली बीज आया है। इस कारण गुलाबी सुंडी आई है। अगर जिला प्रशासन समय पर निगरानी रखता तो किसानों को आर्थिक नुकसान नहीं होता।
खरीफ सीजन 2021 के दौरान जिला फतेहाबाद में 63200 हेक्टेयर में कपास फसल की बुआई की गई है, जिसमें लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र में गुलाबी सूंडी का प्रकोप देखा गया है। पिछले कुछ वर्षों से मध्य व दक्षिणी भारत में बीटी कपास में गुलाबी सूंडी के प्रति प्रतिरोधी क्षमता कम होने के कारण इसका प्रकोप देखा गया है। परंतु वर्ष 2018-19 के दौरान उतरी भारत में गुलाबी सूंडी का प्रकोप पहली बार जिला जीन्द की कपास मीलों के आसपास देखा गया, जांच पड़ताल के बाद पता चला कि इस क्षेत्र में गुलाबी सुंडी के प्रकोप का मुख्य कारण दक्षिण भारत के राज्यों से लाए गए बिनौले के साथ प्रतिरोधी गुलाबी सूंडी के आने से हुआ।
-------------------------------------
गुलाबी सुंडी फैलने का जिला प्रशासन का ये है तर्क
वर्ष 2018-19 के दौरान इसका प्रकोप केवल कपास जीनिग मीलों व बिनौले से तेल निकालने वाली मीलों के आसपास देखा गया था। गुलाबी सूंडी कपास फसल में मध्य एवं अंतिम अवस्था में नुकसान पहुंचाती है। सुंडी टिडे के अन्दर से अपना भोजन ग्रहण करती है जिससे कपास फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर बहुत विपरित प्रभाव पड़ता है।
------------------------------------------
गुलाबी सूंडी की पहचान व आर्थिक कगार:
विशेषज्ञों के अनुसार गुलाबी सूंडी के प्रकोप को पहचानने के लिए खेत में लगाए गए फेरोमोन ट्रेप, रोजेट फूल (गुलाब की शक्ल) या हरे टिडो को खोल कर देखना जरूरी है। यदि खेत में लगाए गए फेरोमोन ट्रेप में 8 प्रोढ़ पतंगे प्रति फेरोमोन ट्रेप में लगातार 3 दिन तक मिले या खेत में कपास के पौधों पर लगे हुए 100 फूलों में से 10 फूल गुलाब की तरह (रोजेट फूल) बंद दिखाई देते हैं तथा इन फूलों को खोलने पर इनमें गुलाबी सूंडी या इसके द्वारा बनाया हुआ जाल दिखाई पड़ता है या 20 हरे टिडो (10-15 दिन पुराने बड़े आकर के) को खोलने पर टिडो में गुलाबी या सफेद लार्वा दिखाई दे, तो गुलाबी सूंडी को नियन्त्रण करने की जरूरत है।
----------------------------------------
नियंत्रण के लिए कीटनाशकों की सिफारिश
कृषि विशेषज्ञों की सलाह अनुसार गुलाबी सुंडी के लिए पहला छिड़काव 800 मीली लीटर प्रोफनोफोस 50 ईसी या 900 ये 1100 मीली लीटी क्यूनालफोस 20 एएफ या 250 से 300 ग्राम थायोडिकाई 75 डब्ल्यूपी प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसका छिड़काव 80-100 मीली लीटर साइपरमेथ्रिन 25 ईसी या 160 से 200 मीली लीटर डेकामेथरीन 2.8 ईसी को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ में 10-12 दिनों के अंतराल पर आवश्यकतानुसार स्प्रे करें।
----------------------------------
गुलाबी सुंडी का प्रबंधन
गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी व नियन्त्रण के लिए 2 फेरोनोन ट्रेप प्रति एकड़ की दर से फसल में लगाएं। गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी के लिए प्रतिदिन सुबह-शाम खेत का निरीक्षण करते रहें। गुलाबी सुंडी से प्रभावित नीचे गिरे टिडो, फूल डोडी व फूल को एकत्रित कर नष्ट कर दें। जिस खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप न हुआ हो, उस कपास को अलग से चुगाई करें व अलग ही भंडारण करें। जिस खेत में गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो उस कपास में विराजमान सुंडियों को खत्म करने के लिए अच्छी तरह से भंडारण करके उपचारित करें।
-----------------------
जिले में 60 फीसद नरमा की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप होने की सूचना आई है। जिला अधिकारी निरीक्षण कर रहे है। सरकार के जो आदेश आएंगे उनके अनुसार सर्वे भी करवाया जा रहा है।
महावीर कौशिक, उपायुक्त फतेहाबाद।