Move to Jagran APP

तंग आंगन में ला रही शिक्षा का खुला आकाश

मणिकांत मयंक फतेहाबाद उन दिनों वह महज छठी कक्षा की छात्रा थी। क्लास में उसकी सहपाठी

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 01:21 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 06:20 AM (IST)
तंग आंगन में ला रही शिक्षा का खुला आकाश
तंग आंगन में ला रही शिक्षा का खुला आकाश

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद

loksabha election banner

उन दिनों वह महज छठी कक्षा की छात्रा थी। क्लास में उसकी सहपाठी सखियों को होमवर्क पूरा न करने की सजा मिलती थी। ऐसा अक्सर होता था। दु:खी होकर वह पूछ बैठती-क्यों नहीं पढ़कर आती हो? जवाब चौंकाने वाला मिलता था-तुम्हारी तरह बेहले (खाली बैठी) नहीं रहती हूं। घर के लोगों के साथ-साथ मवेशियों की भी सेवा करनी पड़ती है। इनसे छुट्टी मिली तो खेतों में नरमा-कपास चुगने भी तो जाना पड़ता है। तुम्हें इतनी ही तकलीफ है तो हमारे मम्मी-पापा को जाकर क्यों नहीं समझाती हो? चुभ-सी गई थी सखियों की व्यंग्य-भरी उलाहना। ग्यारह साल की अंजू का कोमल मन उद्वेलित हो गया। ठान लिया कि सहेलियों के माता-पिता से मिलना है। वह मिली। न केवल मिली बल्कि उन्हें समझाया कि घर के कामकाज में उलझकर उनकी बेटियां शिक्षा से कट जाएंगी। उसकी बात अभिभावकों को जंची। अंजू का हौसला बढ़ा। अब उसने तंग सोच वाले आंगन में शिक्षा का खुला आकाश लाने की ठानी। हौसले की पीठ पर मकसद आसमान छूने लगा।

पर, अशिक्षा हावी होने के कारण अंजू की राह आसान न थी। पढ़कै के बन जावैगा की सोच वाले समाज में लोगों को समझाना मुश्किल था। हार नहीं मानी अंजू ने। हर घर में दस्तक दी। ज्यादातर ड्रॉप-आउट वाले बच्चे मिले। इनके साथ नौवीं फेल भी मिले। बावली होग्यी छोरी के ताने के बीच अंजू ने लोगों को मनाने की जिद पकड़ ली। बकौल अंजू, पहले ही साल सौ से अधिक बच्चों का दाखिला हो गया। जिस गांव के बच्चे थे, उसी गांव में। तब से अब तक अंजू 196 गांवों के नौनिहालों को शिक्षा के अधिकार का पूरा आकाश दे चुकी है। उसकी यह उपलब्धि उसे देश की चाइल्ड राइट्स चैंपियन का खिताब दे गई। गांव की नाबालिग छोरी देशभर की सोच को बालिग बना रही है।

-----------------------------------------------------

17 साल की छोरी अंजू के सात अवार्ड

- वॉलेंटियर अवार्ड : 2018 दिल्ली

- आइ वॉलेंटियर अवार्ड : 2019 दिल्ली देशभर में सर्वाधिक वोट मिले थे।

- यूथ आइकॉन अवार्ड : 2019, पटना

- उद्विकास अवार्ड : 2019, बेंगलुरू

- द हिदू बिजनेस लाइन यंग चेंज मेकर्स अवार्ड : 2019, दिल्ली

- चाइल्ड राइट्स चैंपियन : 30 दिसंबर, 2019, दिल्ली

- श्री सत्य साईं अवार्ड : नवंबर, 2019, गोल्ड मेडल के साथ पांच लाख रुपये नकद

--------------------------------------------------------------------------

अंजू यूं बढ़ी आगे

वह बताती हैं कि प्रथम चरण से ही दिव्या बरार, सुमन वर्मा, रमेश कुमार, संदीप वर्मा, सुमित कुमार, पूजा, परमजीत, दीनबंधु प्रजापति आदि के साथ मंजिल की तलाश में निकल पड़ी। कारवां बढ़ता गया। कुछ समय बाद बेंगलुरू स्थित अशोका यूथ वेंचर से ट्रेनिग का आफर आया। उसके बाद टेडेक्स की स्पीकर बनी। कई राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार को संबोधित करने का अवसर मिला। हौसले को उड़ान मिली।

----------------------------------------------

नाज है अपनी बेटी की संवेदनाओं पर :

क्रिसेंट पब्लिक स्कूल से बारहवीं कर रही अंजू के ट्रक डाइवर पिता राजेंद्र कुमार को अपनी बेटी पर नाज है। कहते हैं कि बिटिया बचपन से ही संवेदनशील थी। शिक्षा के अधिकार के प्रति उसकी संवेदनाओं पर पूरे प्रदेश को नाज है।

--------------------------------------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.