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- तीन विभागों के कर्मचारी की टीम गठित फिर भी कार्रवाई के लिए फायर लोकेशन पर निर्भर

जागरण संवाददाता फतेहाबाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के आदेश के बाद अवशेष जला

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 10:15 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 10:15 PM (IST)
- तीन विभागों के कर्मचारी की टीम गठित फिर भी कार्रवाई के लिए फायर लोकेशन पर निर्भर
- तीन विभागों के कर्मचारी की टीम गठित फिर भी कार्रवाई के लिए फायर लोकेशन पर निर्भर

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के आदेश के बाद अवशेष जलाने वाले किसानों पर प्रशासन कार्रवाई के लिए हरसेक हिसार से आने वाली फायर लोकेशन पर निर्भर है। अधिकारी व उनकी द्वारा गठित टीम स्वत: कहीं पर भी कार्यवाही नहीं की। इससे जिले में अवशेष बड़ी संख्या में जल रहे है। अधिकारियों का कहना है कि अवशेष जलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो रही है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। बारिश होने के बाद भी जिले का प्रदूषण ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। मंगलवार सुबह 180 के करीब था। जो दोपहर होते हुए 200 तक पहुंच गया। आने वाले दिनों में यह 400 से अधिक हो जागएा। ऐसे में सांस लेने में परेशानी तो होगी ही। आंखों में जलन भी बढ़ जाएगी। कोरोना की दूसरी लहर के सताए हुए लोगों के लिए आने वाले दिन बड़े कठिन होने वाले है। इसके लिए जरूरी है कि अवशेष जलाने वालों पर लगाम लगे। हरसेक यानी हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर हिसार में स्थित है। प्रदेश में धान की फसल के अवशेष जलाने की फायर लोकेशन इसी सेंटर के मार्फत संबंधित जिलों में भेजी जाती है। पहले ये लोकेशन हरसेक के पोर्टल एचएआरएसएसी डाट ओआरजी पर अपलोड करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इससे अब जिले के प्रशासनिक अधिकारी अपनी इच्छानुसार कार्रवाई करते है। यदि किसी बड़े राजनेता के स्वजनों के खेत की लोकेशन आई हो तो अधिकारी उसे दबा देते है। ऐसे में लोकेशन को पोर्टल पर जारी करना जरूरी है।

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गत वर्ष 60 फीसद लोकेशन पर हुई थी कार्रवाई : गत वर्ष प्रदेश में सबसे अधिक फायर लोकेशन फतेहाबाद जिले में आई थी। उसमें से 60 फीसद से कम लोकेशन ही अधिकारियों ने सही मानते हुए संबंधित किसानों पर कार्रवाई की थी। हरसेक की रिपोर्ट को भी अधिकारियों ने गत वर्ष फेक बताते हुए संबंधित किसान को बचा दिया था। इस बार ऐसा न हो। इसके लिए जरूरी है कि जो भी सेटेलाइट से लोकेशन आगजनी की आती है। उसे अपने पोर्टल पर अपलोड करे। इससे संबंधित जिले के अधिकारी गड़बड़ी कम कर पाएंगे। -------------

गांव स्तर पर गठित कमेटी, स्वत: नहीं ले रही संज्ञान :

जिले में अब तक 45 किसानों को अवशेष जलाने पर हर्जाना लगाया गया हैं। इन पर कार्रवाई इसलिए हुई कि इनके खेत की फायर लोकेशन आई थी। अन्यथा इन पर भी कार्रवाई नहीं होती। गांव स्तर पर स्वत: कार्रवाई के लिए ग्राम सचिव, पटवारी व एडीओ के अलावा नंबरदार की चार सदस्य टीम गठित है। ऐसी टीम जिले के 260 में से 220 गांवों में गठित गई गई हैं। उसके बाद भी एक भी टीम ने फसलों के अवशेष जलाकर प्रदूषण फैलाने वाले किसानों पर खुद कार्रवाई नहीं की।

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शाम के समय अधिक जलाते है अवशेष :

किसान अपने खेतों में शाम के समय अधिक अवशेष जलाते है। सुबह उसी खेत में हल चलाकर सबूत नष्ट कर देते है। शाम के समय धान बेल्ट में धुआं ही धुआं हो जाता है। इससे सांस लेने में परेशानी आती है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार अवशेष जलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करें। अन्यथा हालत खराब हो जाएंगे। जो अवशेष जलाते है वे बड़े जमीदार है। ऐसे में आम ग्रामीण सीधे उनकी शिकायत नहीं करता। -------------------

जिले में अब तक आई 49 लोकेशन : डा. सिहाग जो भी फायर लोकेशन आती है। उसी आधार पर हम कार्रवाई करते है। जिले में अब तक 49 फायर लोकेशन आई है। उसी आधार पर कार्रवाई की जा रही है। गत दो दिनों से कोई लोकेशन नहीं आई है। - डा. राजेश सिहाग, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग। -------------------- नियमानुसार रखते हैं सीक्रेट : डा. आर्य हम नियमानुसार फायर लोकेशन भेजते हैं। एक साल पहले दी गई प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की विशेष हिदायतों के अनुसार अब फायर लोकेशन को पोर्टल पर अपलोड नहीं कर सकते। वैसे हम फायर लोकेशन संबंधित जिले के डीसी, डीडीए के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कृषि विभाग के महानिदेशक को भेजते हैं। कार्रवाई की जिम्मेदारी उनकी है। कार्रवाई न करने व करने के बारे में मैं कुछ भी नहीं कह सकता। - डा. वीएस आर्य, निदेशक, हरसेक।


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