विवेक को सिर्फ सत्संग से ही किया जा सकता है जागृत
श्री कृष्ण कृपा एवं जीओ गीता परिवार द्वारा आयोजित दिव्य गीता सत्संग में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने फरमाया कि गीता जी को सिर्फ पढ़ना नहीं है बल्कि गीता जी के अनुभवों को गीता के सार को अपने जीवन में अपनाना भी है
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
श्री कृष्ण कृपा एवं जीओ गीता परिवार द्वारा आयोजित दिव्य गीता सत्संग में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने फरमाया कि गीता जी को सिर्फ पढ़ना नहीं है बल्कि गीता जी के अनुभवों को गीता के सार को अपने जीवन में अपनाना भी है। स्वामी जी ने कहा कि भागवत गीता अनुपम उपहार है। महात्मा गांधी जब रविन्द्रनाथ टैगोर से प्रथम बार मिलने गए तो गांधी जी अपने साथ भगवत गीता ही लेकर गए थे और उन्होंने भगवत गीता टैगोर को भेंट की। गीता जी का प्रभाव टैगोर पर काफी पड़ा। उनकी जो रचना गीतांजली नोबल पुरस्कार के लिए पुरस्कृत हुई, उसका नाम भी गीता जी के नाम पर ही था। परमात्मा ने केवल मनुष्य को ही विवेक दिया है, बाकी प्राणियों में विवेक नहीं। मनुष्य को विवेक इसलिए मिला है कि वह सोचे समझे और निर्णय करे लेकिन इस युग में मनुष्य का विवेक उस तरह लुप्त हो गया है जैसे सूर्य के सामने बादल आ गए हो। विवेक को सिर्फ सत्संग से ही जागृत किया जा सकता है। कुसंग जागी हुई बुद्धि को सुला देता है, विवेक को लुप्त कर देता है।
स्वामी ने कहा संसार के प्रलोभन एकदम खींचते हैं और बुद्धि काम करना बंद कर देती है। बाद में पता चलता है कि अनमोल जीवन भौतिकता में बिताने के लिए नहीं था। केवल सत्संग ही ऐसी चीज है जो अंदर के विवेक को जगाता है। स्वामी ने कहा जीवन की सबसे बड़ी और पहली आवश्यकता सत्संग है।
अरोड़वंश धर्मशाला में चल रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन के मुख्यातिथि जिला संघ चालक गुरबक्श मोंगा, राजेन्द्र चौधरी काका, राहुल लोहिया, सुभाष भाटिया व महेन्द्र बंसल थे। इस अवसर पर कृष्ण कृपा सेवा समिति के प्रधान दीपक सरदाना, बाल सेवा समिति के चेयरमैन नरेन्द्र मोंगा, बलदेव भाटिया, संत कुमार टुटेजा एडवोकेट, प्रमुख समाजसेवी कुशल चराईपौत्रा, कृष्ण मदान, सुशील आहुजा, सुभाष खुराना, सीमा दत्ता, आशु ग्रोवर, तरुण मदान, निशांत दत्ता, सुरेश सरदाना, विक्की मैहता, राकेश चानना, राकेश मैहता, राहुल सरदाना, अर्चित, राहुल भाटिया सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने सत्संग का आनंद उठाया।