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इफको ने किसानों को नैनो यूरिया (तरल) बारे जागरूकता करने को लेकर शुरू किया अभियान

जिले में डाइ अमोनियम फास्फेट (डीएपी) के बाद अब यूरिया की किल्लत बनी हुई है। यहीं कारण है कि किसानों को खाद का बैग लेने के लिए लाइनों में लग पड़ रहा है। वहीं इफको ने अब नैनो यूरिया तरल भी निकाला है। जिसकी सहायता से किसान यूरिया की किल्लत को कम कर सकते है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Dec 2021 05:55 PM (IST)Updated: Sun, 26 Dec 2021 05:55 PM (IST)
इफको ने किसानों को नैनो यूरिया (तरल) बारे जागरूकता करने को लेकर शुरू किया अभियान
इफको ने किसानों को नैनो यूरिया (तरल) बारे जागरूकता करने को लेकर शुरू किया अभियान

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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जिले में डाइ अमोनियम फास्फेट (डीएपी) के बाद अब यूरिया की किल्लत बनी हुई है। यहीं कारण है कि किसानों को खाद का बैग लेने के लिए लाइनों में लग पड़ रहा है। वहीं इफको ने अब नैनो यूरिया तरल भी निकाला है। जिसकी सहायता से किसान यूरिया की किल्लत को कम कर सकते है।

इफको द्वारा जिले के किसानों को नैनो यूरिया (तरल) बारे जागरूकता करने को लेकर विशेष अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया है। नैनो यूरिया (तरल) जागरूकता रथ को फतेहाबाद अनाज मंडी स्थित इफको केंद्र प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा निदेशक इफको नई दिल्ली द्वारा ही झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस अवसर पर ओमप्रकाश पूनिया गुण नियंत्रण निरीक्षक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फतेहाबाद, इफको के क्षेत्र अधिकारी गुरप्रीत सिंह, किसान सेवा केंद्र फतेहाबाद से दलीप सिंह सहित दर्जनों किसान मौजूद रहे।

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जिले के पूरे गांव में जाएगी वैन

इफको के क्षेत्र अधिकारी गुरप्रीत सिंह ने कहा कि इस प्रकार के 2 नैनो यूरिया जागरूकता रथ फतेहाबाद जिले के विभिन्न गांवों में जाकर किसानों को नैनो यूरिया तरल के उपयोग व फसलों को होने वाले लाभ के बारे में किसानों को जागरूक करेंगे। इफको नैनो यूरिया पर्यावरण अनुकूल है। फसल की पत्तियों पर नैनो यूरिया का छिड़काव करने से नाइट्रोजन की सफलतापूर्वक आपूर्ति हो जाती है। जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। यह सभी फसलों के लिए उपयोगी है। इससे यूरिया या अन्य नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की मात्रा में कटौती से किसान का खेती पर खर्च भी कम होता है। इससे वातावरण प्रदूषण की समस्या नहीं होती, अर्थात मिट्टी, हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार होता है। दूसरे उर्वरकों की तुलना में इसकी दक्षता अधिक है अर्थात साधारण यूरिया की दक्षता 30 प्रतिशत तथा इसकी 85 प्रतिशत है। यह पौधे के अंदर जाकर उसकी कौशिकाओं में जमा हो जाता है और धीरे-धीरे पौधों को खुराक देता रहता है। किसानों को अब महंगे यूरिया की जगह तरल यूरिया का प्रयोग अपने खेतों में अपनाना चाहिए। इससे किसान का खर्चा कम होगा तथा उपज अच्छी होगी। एक यूरिया बैग, नैनो यूरिया की 500 एमएल के बराबर है। इसके छिड़काव से फसल के एक-एक पौधे को यूरिया की खुराक मिल जाती है तथा पैदावार में भी 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। इफको अधिकारी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि 500 एमएल नैनो यूरिया को 125 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ में स्प्रे के लिए काफी है।


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