कुनाल में आठवें चरण की पुरातात्विक खोदाई संपन्न
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व वाले गांव कुनाल में आठवें चरण
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व वाले गांव कुनाल में आठवें चरण की खोदाई मंगलवार को संपन्न हो गई। साइट ढकने जैसी कुछ औपचारिकताएं शेष रह गई हैं। इन्हें बुधवार को पूरा करने के पश्चात विभागीय टीम लौट जाएगी। इस चरण में हुई खोदाई के दौरान भी अहम बात यह रही कि करीब 6000 साल पुरानी हड़प्पा पूर्व सभ्यता व संस्कृति के कई अहम साक्ष्य मिले। राज्य पुरातत्व विभाग आने वाले दिनों में इसकी कार्बन डे¨टग करवाकर ऐतिहासिक तथ्यों की प्रामाणिकता को नया देने का प्रयास करेगा। इस पुरातात्विक खोदाई से इस बात की भी तसदीक होगी कि यहां मिली हड़प्पा पूर्व अथवा हड़प्पाकालीन सभ्यता की वास्तविक उम्र क्या है? इसके साथ ही भिरड़ाना व अन्य पुरातात्विक स्थलों से मिली प्राचीन सभ्यता की निशानियों को भी को-रिलेट किया जाएगा। बता दें कि संभावनाओं को तलाशने के लिए पुरातत्व विभाग की डिप्टी डायरेक्टर व विभागीय तकनीकी टीम ने 6 फरवरी को कुनाल में विधिवत खोदाई शुरू की थी। राज्य पुरातत्व विभाग की उप निदेशक डॉ. बनानी भट्टाचार्य सहित नेशनल म्यूजियम के डायरेक्टर बीआर मणि व भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर डॉ. प्रवीण कुमार भी पहुंचे थे। 60 दिनों तक चली आठवीं खोदाई के दौरान तत्कालीन जनजीवन की सामाजिक व आर्थिक मान्यताओं को प्रामाणिक आधार मिले थे। --तांबे की अंगूठी और मनके भी मिले इस बार उत्खनन के दौरान कॉपर ¨रग अर्थात तांबे की अंगूठी मिली। एक आकलन के अनुसार ¨रग काफी कीमती रही होगी। अंगूठी के अतिरिक्त मोती-मनके भी मिले हैं। बताया गया है कि कार्नेलियन, लेपिस लेजुली, एगेट जैसे महंगे स्टोन भी मिले हैं। ये मोती-मनके और पत्थर हड़प्पाकालीन सभ्यता के दौरान आभूषणों के वृहद व्यापार के संकेत देते हैं। --खोदाई को दिया विस्तार करीब 2300 ईसा पूर्व से 6000 ईसा पूर्व तक की हड़प्पाकालीन सभ्यता को गर्भ में समेटे गांव कुनाल की पुरातात्विक साइट पर आठवें चरण की खोदाई थी। राज्य पुरातत्व विभाग की देखरेख में शुरू हुई खोदाई को इस बार विस्तार दिया गया था। मेन माउंट की पश्चिम दिशा में शुरू की गई खोदाई के दौरान ही फर्श की आकृति सामने आई। इसके अतिरिक्त पूरब दिशा में भी करीब आधा एकड़ जमीन में खोदाई की गई। बताया गया है कि प्रथम ²ष्टया यहां भी पुरातात्विक अवशेष दबे होने के संकेत मिले थे। ---कुनाल में यह पुरातात्विक स्थल स्टेट गवर्नमेंट की संरक्षित साइट है। संरक्षित माउंट 5.5 एकड़ में है जबकि कुल रकबा 8 एकड़ है। 6 फरवरी को विधिवत शुरू हुई खोदाई बहुआयामी एवं बहुद्देश्यीय माना जा रहा है। --- यह आठवें चरण की खोदाई पहला चरण वर्ष 1985 मेंदूसरा से चौथा वर्ष 1994 से 1996 तकपांचवां चरण वर्ष 1997छठा चरण वर्ष 1999सातवां चरण 2017आठवां चरण 2018
--वर्ष 1994 में मिला था मुकुट गांव कुनाल में शुरू की गई खोदाई के कार्य में प्री-हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं जो 6000 साल पूर्व के हैं। खोदाई के दौरान टीम को आभूषण, मणके, हड्डियों के मोती मिले हैं। वर्ष 1994 में यहां 24 कैरेट सोने के हार व चांदी के मुकुट भी मिले थे। यहां पर आभूषण पिघालने की भट्टी भी मिली थी, जिससे यह स्पष्ट लग रहा है कि लोग आभूषण ढालने का काम किसी भट्टी द्वारा करते थे। --औसत सौ मजदूरों ने प्रतिदिन काम किये इस बार मजदूरों को रोजगार देने में भी आगे रही पुरातात्विक स्थल की खोदाई। बताया गया है कि प्रतिदिन औसत सौ मजदूरों ने काम किया। इस दौरान विभाग के भी 9 लोग मौजूद रहे जबकि तीन विश्वविद्यालयों के छात्रों ने शोध अध्ययन किये। --इस चरण की खोदाई बंद कर दी गई है। फोटोग्राफी आदि की औपचारिकता भी पूरी कर ली गई हैं। बुधवार को शेष कार्यवाही कर ली जाएगी। इसके बाद अप्रैल में खोदाई वाले हिस्से की फी¨लग कर दी जाएगी। अगले साल फिर से खोदाई की जा सकती है। अबकी बार भी ढेर साक्ष्य मिले हैं।
- डॉ. बनानी भट्टाचार्य।