अवशेष न जलाने के लिए कृषि विभाग से लिया अनुदान, अब दूषित कर रहे वातावरण
जागरण संवाददाता फतेहाबाद सरकार करोड़ों की अंचल संपत्ति के मालिकों पर खूब मेहरबान
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
सरकार करोड़ों की अंचल संपत्ति के मालिकों पर खूब मेहरबान है। सरकार चाहती है कि जमीन वाले बड़े जमीदार फसलों के अवशेष जलाकर साधारण लोगों को परेशान न करें। इसलिए लैंडलोड किसानों को प्रत्येक वर्ष कृषि यंत्रों का अनुदान दिया जा रहा है। यह अनुदान उन्हें अवशेष प्रबंधन के लिए मिलता है। लेकिन उसके बाद भी लोग अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे। तभी तो धान बेल्ट में बड़ी संख्या में किसानों को अनुदान देने के बाद भी वे अवशेष जला रहे हैं। कृषि विभाग के भी अधिकारी भी नियमों से बंधे हुए हैं। जिन्होंने अनुदान ले लिया। उसके बाद वे अवशेष जलाए तो उनके अनुदान की राशि रिकवरी का प्रावधान नहीं है। ऐसे में किसान नियमों में छूट का गलत फायदा उठाकर अवशेष जला रहे हैं। कृषि विभागों के अनुसार जिन किसानों पर अब तक एफआईआर हुई हैं। उनमें से करीब 4 किसानों ने कृषि अभियांत्रिक विभाग से अनुदान लिया है। हालांकि अब कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन किसानों पर फसल अवशेष जलाने पर मामले दर्ज हुए हैं। उन किसानों को भविष्य में कृषि विभाग की तरफ से किसी भी प्रकार का अनुदान नहीं मिलेगा। ऐसे में किसान फसल के अवशेष न जलाए।
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अवशेष जलाने वाले किसानों से दोगुनी हो रिकवरी :
जो किसान सरकार से अवशेष न जलाने के नाम पर लाखों रुपये के यंत्र अनुदान पर लेकर अवशेष जला रहे हैं। उनसे अनुदान की राशि रिकवरी का प्रावधान हो। किसान को किसी यंत्र पर 50 हजार रुपये का अनुदान दिया गया है तो उससे रिकवरी कम से कम एक लाख हो। इससे बाद उन रुपये का अनुदान दूसरे किसानों को दिया जाए। वहीं आगजनी करने वाले किसान को अनुदान के लिए हमेशा से वंचित किया जाना चाहिए।
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बस एफआइआर तक सीमित प्रशासन, हर्जाना भरवाने पर मौन :
फसलों के अवशेष जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी के आदेश के बाद होने लगी। एनजीटी के आदेश में प्रदूषण फैलाने वाले किसानों पर हर्जाने का प्रावधान था। लेकिन अब जिला प्रशासन संबंधित किसानों पर सिर्फ एफआइआर दर्ज करवा रही है। जिसकी जमानत उन्हें थाने में मिल जाती है। बाद में न तो प्रशासन इन एफआईआर को कोर्ट में ले जाती न ही पुलिस। ऐसे में किसान पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती। जबकि आदेश में ये प्रावधान था कि किसानों से एकत्रित होने वाला हर्जाने के रुपये भविष्य में फसल अवशेष प्रबंधन पर खर्च किए जाएंगे।
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जितना किसानों को अनुदान दिया, उतना रुपये में मजदूर कर देते फसल अवशेष प्रबंधन :
मनरेगा के तहत 261 काम होते हैं, लेकिन उसमें पराली प्रबंधन नहीं। वहीं किसानों को मजदूर नहीं मिल रहे। सरकार प्रति वर्ष किसानों को औसत 10 से 15 करोड़ रुपये कृषि यंत्रों पर दे रही है। यदि ये रुपये सरकार बिना जमीन वाले मजदूरों को फसल अवशेष प्रबंधन के लिए दे तो इससे गरीबों को रोजगार मिलेगा। वहीं फसल अवशेष प्रबंधन भी आसानी से हो जाएगा।
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पिछले चार सालों में किसानों को दिया गया अनुदान
वर्ष विभिन्न योजनाओं के अनुसार अनुदान
2020 अब तक 15 करोड़ रुपये
2019 13 करोड रुपये
2018 12 करोड़ रुपये
2017 10 करोड़ रुपये
----------------------------------- जो किसान सरकार से अनुदान पर यंत्र लेकर फसलों के अवशेष जला रहे है। उनसे रिकवरी का प्रावधान तो नहीं। लेकिन जिन किसानों पर हरसेक से लोकेशन आने के बाद एफआइआर दर्ज हो रही है। उन किसानों पर भविष्य में अनुदान नहीं दिया जाएगा। ऐसे में किसान फसलों के अवशेष भूलकर भी न जलाए।
- सुभाष भांभू, सहायक कृषि अभियंता, कृषि अभियांत्रिक विभाग।
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