सरकारी नौकरीपेशा लोग बने थे चिटफंड कंपनियों के प्रोमोटर, अब नौकरी पर संकट
चिटफंड कंपनियों में ठगी का शिकार हुए आम लोगों के साथ
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
चिटफंड कंपनियों में ठगी का शिकार हुए आम लोगों के साथ सरकारी कर्मचारी भी शामिल है। कुछ सरकारी कर्मचारी तो बकायदा छुट्टी लेकर कंपनी के प्रोमोटर बन गए थे। सरकारी मुलाजिम होने के चलते इनके साथ बड़ी संख्या में लोग जुड़े और लाखों रुपयों का निवेश किया। इसके चलते उन्होंने जमकर चांदी कूटी। लग्जरी गाड़िया मिली सो अलग। कंपनी ने उन्हें स्टार का तमगा हजारों लोगों की भीड़ के सामने दिया तो वे अपने आप को आप से खास मानने लगे। कई तो इस बहाने विदेश भी घूम आए। परंतु अब क्षणिक सुख के बाद उनके दुखभरे दिन शुरू हो गए हैं। चिटफंड कंपनियों पर मामले दर्ज शुरू होने के बाद वे अब अपनी सरकारी नौकरी बचाने में लगे हुए है। सरकारी बाबुओं ने जिन लोगों को पहले करोड़पति बनने के सपने दिखाते हुए रुपये लगवाए थे, अब वे उनसे भरी सभा में माफी मांग रहे है। पंचायत में वे जिन लोगों के रुपये लगाए थे वे रुपये भी अब खुद अपनी जेब से देने के लिए तैयार है। ऐसे ही एक मामले को लेकर पंचायत हुई। एक अधिवक्ता ने बताया कि दो सरकारी कर्मचारियों ने कई लोगों के लाखों रुपये फ्यूचर मेकर कंपनी में लगा दिए थे। अब उनके नीचे लगे हुए लोग अपने रुपये वापस मांग रहे हैं। अन्यथा पुलिस को शिकायत देने की धमकी दे रहे है। उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारियों ने उनके करीब 30 लाख रुपये अपनी जेब से देने का वादा करके समझौता किया। सरकारी कर्मचारी के खिलाफ चिटफंड के तहत मामला ही दर्ज हो गया तो उनकी नौकरी पर संकट आ जाएगा। ऐसे में अब वे रुपये वापस देने के लिए भी तैयार है।
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प्राइवेट नौकरी करने वाले भी पीछे नहीं
चिटफंड कंपनियों में निवेश तेज-तर्रार लोगों ने किया। जो कम समय में धनवान बनने का सपना देखते थे। उनमें प्राइवेट नौकरी करने वाले युवा भी शामिल है। ये युवा निजी क्षेत्र के बैंकों, लिमिटेड कंपनियों व अन्य प्राइवेट फर्मों में काम करते थे। यहां तक की वकील व झोलाछाप डाक्टर भी इसमें शामिल है। उन्होंने इन कंपनियों के चक्कर में मूल व्यवसाय छोड़ दिया, अब इनके खिलाफ मामले दर्ज हो रहे हैं।