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सरकारी संस्थान में नहीं होंगे दाखिले, प्राइवेट संस्थान में करनी होगी जेबीटी

एससीईआरटी गुड़गांव द्वारा जेबीटी कोर्स में दाखिले के लिए नोटि

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 10:28 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 10:28 PM (IST)
सरकारी संस्थान में नहीं होंगे दाखिले, प्राइवेट संस्थान में करनी होगी जेबीटी
सरकारी संस्थान में नहीं होंगे दाखिले, प्राइवेट संस्थान में करनी होगी जेबीटी

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: एससीईआरटी गुड़गांव द्वारा जेबीटी कोर्स में दाखिले के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन के अनुसार 21 डाइट में से किसी भी सरकारी संस्था डाइट में एडमिशन नहीं होगा। चार बाइट और दो गैटी में सिर्फ 400 स्टूडेंट ही दाखिला ले सकेंगे, जबकि 351 सेल्फ फाइनेंस प्राइवेट इंस्टीट्यूशन में 19100 स्टूडेंट्स का दाखिला हो सकेगा। जिसका हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ विरोध कर रहा है। संघ ने बैठक की। जिसमें जिला प्रधान सुरजीत दुसाद, सचिव कृष्ण नैन, जिला प्रैस प्रवक्ता देशराज माचरा, राज्य कमेटी सदस्य राजपाल मित्ताथल, डा. नीतू रानी, सुमेर आर्य आदि उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों वित्तायुक्त एवं शिक्षा सचिव धीरा खंडेलवाल के साथ हुई बैठक में सभी 21 डाइट, 4 बाईट (2 जो सरकार बंद कर चुकी है) और 2 गैटी में डीएड के दाखिले करने पर सहमति हुई थी। कमिश्नर ने ये दाखिले जुलाई माह के अंत तक कर लिए जाने का भरोसा भी दिलाया था, लेकिन इसके बावजूद गत दिवस जारी नोटिफिकेशन में 11 अक्टूबर से नया सत्र आरंभ करने की बात कही गई है। वक्ताओं ने कहा कि लेट के कारण बच्चों का एक साल भी बर्बाद होगा। अंबाला बाइट को बंद करके उसकी 50 सीटें डाइट अंबाला को दी गई हैं। फतेहाबाद में रतिया बाइट को 50 सीटें, मेवात के नमक में गैट्टी को 100 सीटें, मेवात के नगीना में बाइट को 50 सीटें, पंचकूला के मोरनी में गैटी को 100 सीटें और सिरसा बाइट बंद करके उसकी जगह 50 सीटें सिरसा डाइट को देकर कुल मिलाकर सरकारी संस्थानों में 400 सीटें ही भरी जाएंगी। सुरजीत ने बताया कि दूसरी तरफ 330 सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूशन और 21 माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन जो पूर्णता सेल्फ फाइनेंस होंगे, इन सभी 351 प्राइवेट संस्थानों में 19100 सीटें दिए जाने का प्रावधान किया गया है जो शिक्षा का सीधा-सीधा बाजार में ऊंचे दामों पर बेच कर गरीब की पहुंच से दूर करता है। इसमें अभिभावकों के साथ साथ विद्यार्थियों का भी शोषण होगा और शिक्षा की गुणवत्ता पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि सरकारी संस्थान में प्रतिवर्ष प्रत्येक छात्र की 800 रुपये फीस लगती है जबकि सेल्फ फाइनेंस प्राइवेट इंस्टीट्यूशन में 25800 रुपये प्रति विद्यार्थी प्रत्येक वर्ष के लिए फीस देनी पड़ेगी।

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