जवाबदेही की टेंशन से मुक्त स्ट्रे कैटल फ्री के दावे
इसे विडंबना की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहेंगे कि जिन्हें सहारा बनाया गया उन्होंने बेजुबान पशुओं को बेसहारा ही छोड़ दिया। जवाबदेही सरकारी बाबुओं के शब्दकोश से दूर हो गई। लेकिन दावे अपनी जगह अटल। क्या कहने ऐसी गैरजवाबदेही की जवाबदेही के भी। यह सब टोहाना शहर में देखा जा सकता है। यहां स्ट्रे कैटल फ्री शहर के दावे जवाबदेही की टेंशन से फ्री हैं। जबकि नप प्रशासन काफी समय पहले शिवनंदी गोशाला के सहयोग से एक अभियान चलाकर कुछ पशुओं को काबू कर नंदीशाला में भेजा था। आलम यह कि इसके बावजूद भी प्रत्येक गली-मोहल्ले व बाजारों के बीच यह बेसहारा पशु आमजन के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
सतभूषण गोयल, टोहाना :
इसे विडंबना की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहेंगे कि जिन्हें सहारा बनाया गया उन्होंने बेजुबान पशुओं को बेसहारा ही छोड़ दिया। जवाबदेही सरकारी बाबुओं के शब्दकोश से दूर हो गई। लेकिन दावे अपनी जगह अटल। क्या कहने ऐसी गैरजवाबदेही की जवाबदेही के भी। यह सब टोहाना शहर में देखा जा सकता है। यहां स्ट्रे कैटल फ्री शहर के दावे जवाबदेही की टेंशन से फ्री हैं। जबकि नप प्रशासन काफी समय पहले शिवनंदी गोशाला के सहयोग से एक अभियान चलाकर कुछ पशुओं को काबू कर नंदीशाला में भेजा था। आलम यह कि इसके बावजूद भी प्रत्येक गली-मोहल्ले व बाजारों के बीच यह बेसहारा पशु आमजन के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
शहर के भीड़भाड़ वाले बाजारों महाराजा अग्रसेन चौक, शास्त्री बाजार, नया बाजार, गांधी चौक, नेहरू मार्केट, मिलन चौक, बस स्टैंड चौक, कैंची चौक, अंबेडकर चौक सहित कल्पना चावला पार्क, रेलवे रोड़, जवाहर गली, बक्शी गली, पुरानी तहसील रोड, गुरुद्वारा गली, तहसील रोड आदि क्षेत्रों में आज भी इन गोवंशों को देखा जा सकता है। जोकि कई बार हिसक होकर आपस में भिड़कर राह चलते पैदल व वाहन चालकों को घायल कर देते हैं। वहीं ये पशु शहर की गलियों व बाजारों में गंदगी फैलाने का काम भी कर रहे हैं। हालांकि कैंची चौक के पास कुछ लोगों द्वारा 7-8 एकड़ भूमि में एक अस्थाई नंदीशाला बनाकर उसमें लगभग 1600 गोवंशों को रखकर उनकी सार-संभाल का जिम्मा उठाया हुआ है। सामाजिक संगठनों ने उठाया मुद्दा
शहर के विभिन्न सामाजिक व व्यापारिक संगठनों द्वारा इस मुद्दे को लेकर कई बार प्रशासन के समक्ष आवाज उठाकर इस समस्या के समाधान की मांग भी उठाई जा चुकी है लेकिन इसका स्थाई समाधान न बनने के कारण आज भी सड़कों व भीड़भाड़ वाले बाजारों में यह हिसक पशु लोगों के लिए खतरे का कारण बना हुआ है। अधिवक्ता रजनीश जैन कई बार उठा चुके हैं आवाज
बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान रजनीश जैन ने इन बेसहारा पशुओं के लिए नप प्रशासन को पूरी तरह से जिम्मेवार ठहराया है। उन्होंने बताया कि वह कई बार इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज उठा चुके है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस संदर्भ में कड़े कदम ना उठाने से आए दिन लोग इनके कारण काल का ग्रास बन रहे है जबकि अनेक लोग घायल होने से लाचार हो चुके है। इसलिए प्रशासन को इस मामले में गंभीरता से कदम उठाने चाहिये। बेसहारा पशु मंडी में फसलों को पहुंचाते हैं नुकसान
नप प्रशासन सड़कों पर सरेआम घूम रहे पशुओं पर नकेल डालने में पूरी तरह से फेल हो चुका है। यह पशु केवल हादसों का कारण ही नहीं बन रहे बल्कि सड़कों पर गंदगी फैलाने के साथ-साथ मंडी में पड़ी किसानों की फसल को भी नुक्सान पहुंचाते है। वहीं हटाने पर यह उनपर हमला कर देते हैं। नप प्रशासन को इन्हें काबू कर नंदीशाला में भिजवाने का काम करवाना चाहिये।
----------------------------- इस समय नंदीशाला में लगभग 1500 गोवंश से ज्यादा है। जिसमें नंदी, गाय व बछड़े शामिल है।उनके द्वारा बार-बार शहर में अभियान चलाकर बेसहारा पशुओं को काबू कर नंदीशाला में लाया जाता है। लेकिन पंजाब सीमावर्ती क्षेत्र के लोग रात्रि के समय शहर में गोवंशों को छोड़ जाते है जिससे शहर से इनको मुक्त कर पाना असंभव हो रहा है। शहर की अन्य समाजसेवी संस्थाओं की मदद व प्रशासन के सहयोग से एक अभियान चलाकर शहर में सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं काबू कर नंदीशाला में भिजवाने का काम करेंगे।
धर्मपाल सैनी नंदीशाला संयोजक टोहाना।
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उनके द्वारा समय-समय पर सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशुओं को नंदीशाला में भेजने का अभियान चलाया जाता है। उनके प्रयास है कि इस अभियान के बाद सड़कों व सार्वजनिक स्थलों पर कहीं भी यह पशु देखने को ना मिले। लेकिन उसके बावजूद लोग बाहर से रात्रि के समय इन्हें छोड़ जाते हैं। जल्द ही एक संयुक्त बैठक का आयोजन कर शहर में घूम रहे बेसहारा पशुओं को काबू कर नंदीशाला में भेजने का काम करेंगे।
अजैब सिंह, सफाई निरीक्षक नगरपरिषद टोहाना ।