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उम्मीद की खुशबू बिखेर रहीं शिक्षा के चमन की पुष्पा

मणिकांत मयंक फतेहाबाद जिला मुख्यालय की भगवान कॉलोनी में रहती हैं पुष्पा देवी। घर से

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 10:06 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 06:16 AM (IST)
उम्मीद की खुशबू बिखेर रहीं शिक्षा के चमन की पुष्पा
उम्मीद की खुशबू बिखेर रहीं शिक्षा के चमन की पुष्पा

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद :

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जिला मुख्यालय की भगवान कॉलोनी में रहती हैं पुष्पा देवी। घर से करीब 12 किलोमीटर दूर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दरियापुर में वह छठी से आठवीं कक्षा तक के विद्याíथयों को हिदी विषय पढ़ाती हैं। लॉकडाउन के दरम्यान ऑनलाइन शिक्षा सिरे नहीं चढ़ पाने से उन्हें इतना दुख हुआ कि एक-एक बच्चे तक पहुंचने की जिद ठान ली। जज्बे की पीठ पर, जुनून की हद तक। हर विद्यार्थी की पढ़ाई संबंधी समस्याएं दूर करना मकसद बना लिया। नतीजा, स्कूल वाले गांव दरियापुर ही नहीं आसपास के विद्यार्थी व अभिभावक भी उन्हें कर्तव्यपरायणता के लिए अनुकरणीय मानते हैं।

हिदी की अध्यापिका पुष्पा देवी शिक्षा के प्रति समर्पण का मिसाल बनी हैं तो इसलिए कि शाम के वक्त अपनी स्कूटी पर सवार होकर शहर छोड़ गांव पहुंच जाती हैं। हफ्ता में एक बार। गांव पहुंचकर घर-घर दस्तक देती हैं। होठों पर यह सवाल कि बच्चों आपको ऑनलाइन पढ़ाई में कोई दिक्कत तो नहीं आ रही? जो विषय शिक्षक पढ़ा रहे उसमें कोई दिक्कत तो नही आ रही? क्या आपका मोबाइल नेटवर्क ठीक काम कर रहा है? वाट्सएप पर प्रश्न मिले या नहीं? ऐसे अनेक सवालों का वह वहीं समाधान भी देती हैं। न केवल विद्यार्थी अपितु अभिभावकों से भी बच्चों की प्रोग्रेस व अन्य विषयों पर चर्चा कर समाधान देती हैं। छठी कक्षा की शारदा के पिता कृष्ण कुमार कहते हैं कि पुष्पाजी का शिक्षा के प्रति समर्पण अनूठा है। सुमीत के पापा ईश्वर सिंह भी पुष्पाजी के मुरीद हैं। कहते हैं, ऐसे ही सर्मिपत शिक्षाकर्मियों से चहुंओर उम्मीद की खुशबू फैलती है। नमन है उनको।

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संपर्क खातिर मोबाइल नंबर

उनके पास बच्चों के मोबाइल नंबर नहीं थे। जब वह गांव में डोर-टू-डोर जाती हैं तो बच्चों तथा उनके अभिभावकों से मोबाइल नंबर लेती हैं ताकि संपर्क में रह सकें। पुष्पा देवी सीनियर्स से पुस्तकें लेकर जूनियर कक्षा के बच्चों को दे रही हैं।

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सेवा के अंतिम चरण में अनूठा जज्बा

पुष्पा देवी 57 साल की हैं। अगले साल मार्च में वह सेवानिवृत्त हो जाएंगी। घर में दो बेटे, दो बहुएं व एक पोता का पूरा परिवार है। लेकिन उनके लिए स्कूल के बच्चे और उनके अभिभावक प्रथम परिवार है। वह कहती हैं कि शिक्षक थोड़े-से समर्पण के बल बच्चों को लॉकडाउन में भी गाइड कर सकते हैं। जैसे भी करें बच्चों की कमजोरियां दूर करें।

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शिक्षिका पुष्पा देवी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। ऐसे अध्यापकों को करना चाहिए। इस संकट की घड़ी में हर किसी को आगे आना चाहिए। एक महिला होने के बावजूद वो अपनी ड्यूटी सही कर रही है। - दयानंद सिहाग, जिला शिक्षा अधिकारी फतेहाबाद।


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