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फसल अवशेषों का प्रबंधन करके पर्यावरण संरक्षण के साथ अपनी आमदनी बढ़ाएं किसान : डीसी

किसान फसल अवशेषों का प्रबंधन करके पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाएं। किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण एवं फसल विविधिकरण को अपनाना होगा। खेती के साथ-साथ पशुपालन व्यवसाय को भी बढ़ावा दें ताकि किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 07:56 AM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 07:56 AM (IST)
फसल अवशेषों का प्रबंधन करके पर्यावरण संरक्षण के साथ अपनी आमदनी बढ़ाएं किसान : डीसी
फसल अवशेषों का प्रबंधन करके पर्यावरण संरक्षण के साथ अपनी आमदनी बढ़ाएं किसान : डीसी

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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किसान फसल अवशेषों का प्रबंधन करके पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ाएं। किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण एवं फसल विविधिकरण को अपनाना होगा। खेती के साथ-साथ पशुपालन व्यवसाय को भी बढ़ावा दें ताकि किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके।

यह बात उपायुक्त डा. नरहरि सिंह बांगड़ ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण स्कीम के तहत स्थानीय पंचायत भवन में जिला स्तरीय किसान मेला एवं प्रदर्शनी मेले में उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कही। इस किसान मेले में जिला भर से लगभग 700 किसानों ने भाग लिया। मेले में कृषि विभाग द्वारा विभिन्न प्रदर्शनियों के माध्यम किसानों को कृषि संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाई गई। उपायुक्त ने लगाई गई प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे गांव-गांव जाकर किसानों को पर्यावरण संरक्षण और फसल विविधिकरण से होने वाले फायदों के बारे में जागरूक करें। उन्होंने कहा कि किसान हित में लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं बारे भी अवगत करवाए ताकि किसान इन योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सके।

उपायुक्त डा. बांगड़ ने कहा कि हरित क्रांति की सफलता ने जहां देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर किया है। वहीं, दूसरी ओर हरित क्रांति को सफल बनाने वाले धान-गेहूं फसल चक्र की लगातार संघन्न खेती के चलते प्रदेश में अनेक समस्याओं को भी जन्म दिया है जैसे भू-जल स्तर में गिरावट, भूमि की उर्वरा शक्ति कम होना, फसल पैदावार में ठहराव, खरपतवारों तथा कीड़ों एवं बिमारियों का प्रकोप इत्यादि। फसल विविधिकरण कार्यक्रम के तहत धान की जगह अन्य फसलें जैसे मक्का, मूंग, अरहर, ग्वार आदि को अपनाकर फसल चक्र में दलहनी फसलों को शामिल करके खेती में आ रही समस्याओं को दूर कर सकते हैं।

इस दौरान उपकृषि निदेशक डा. राजेश सिहाग, डीडीएएच डॉ. काशी राम, उद्यान विकास अधिकारी डा. अमरजीत कुंडु व मत्स्य अधिकारी संदीप बेनीवाल ने भी किसानों को जागरूक करते हुए विभागीय योजनाओं की जानकारी दी। उपमंडल कृषि अधिकारी डा. भीम सिंह कुलडि़या ने किसानों को जिलास्तरीय किसान मेले व अन्य योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।


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